जान बची तो लाखों पाए निबंध Essay on jaan bachi to lakhon paye in hindi

Essay on jaan bachi to lakhon paye in hindi

दोस्तों आज का हमारा आर्टिकल जान बची तो लाखों पाए पर लिखा गया है। हमारे इस आर्टिकल से आप इस विषय में लेख लिखने के लिए अच्छी तैयारी कर सकते हैं तो चलिए पढ़ते हैं आज के इस आर्टिकल को

Essay on jaan bachi to lakhon paye in hindi
Essay on jaan bachi to lakhon paye in hindi

हम सभी के जीवन में कभी-कभी ऐसे पल आते है जब हमें ऐसा लगता है कि यदि इस परिस्थिति से हमारी जान बच गई तो हमने बहुत सारा धन पा लिया है यानी हमने सब कुछ पा लिया है क्योंकि हम सभी जानते हैं कि हमारी जान से बढ़कर हमारे लिए कुछ भी नहीं होता। जान बची तो लाखों पाए कहावत कई बार बच्चे स्कूलों में भी कह देते हैं जब वह अपने अध्यापक से बचने की कोशिश करते हैं जब उन्हें पता लगता है की आज हमारे अध्यापक नहीं आए हैं तो उन्हें यह कहावत अकस्मात याद आ जाती है की जान बची तो लाखों पाए। कभी कभी विकट परिस्थितियों में हमें यह बात जरूर याद आती है।

हमारे देश में बहुत सारे ऐसे लोग हैं जो कठिन परिस्थितियों से संघर्ष करते हैं यह कहावत जरूर ही हमे कई बार याद आती होगी। हम सभी लोग अपार धन-संपत्ति एकत्रित करने के लिए परिश्रम करते हैं लेकिन वास्तव में हमारे लिए हमारी जान से बढ़कर कोई भी धन-संपत्ति नहीं हो सकती। यदि हम हमारी धन-संपत्ति को खो दें तो परिश्रम करके उसे दोबारा पाया जा सकता है लेकिन यदि हमने हमारी जान एक बार खो दी तो फिर किसी भी कीमत पर वह हमें दोबारा प्राप्त नहीं हो सकती। एक कहानी भी कुछ ऐसी है जो इस कहावत से हमें याद आती है

एक समय की बात है जंगल में सूअरों का परिवार एक तालाब के किनारे रहता था उसी जंगल में एक शेर था एक दिन शेर ने किसी जानवर का शिकार किया, पेट भर जाने के बाद उसे प्यास लगी तो वह एक तालाब के किनारे पानी पीने के लिए जाने लगा। उसने देखा कि तालाब में केवल सूअर का बच्चा है जो उस तालाब के गंदे पानी में लोटपोट रहा है। उसने जब शेर को देखा तो अकस्मात ही एकदम चुप हो गया। सूअर के बच्चे को देखकर शेर ने सोचा यहां का पानी कितना गंदा है उसे भूख भी नहीं लगी थी

इस वजह से उसने उस सुअर के बच्चे पर प्रहार करने की कोशिश भी नहीं की इस वजह से सूअर का बच्चा यह सोचने लगा कि यह शेर मुझसे डर रहा है, उसने शेर को ललकार दिया कि मैं तुझसे लड़ाई करना चाहता हूँ लेकिन शेर को जोर की प्यास लगी थी वह बिल्कुल भी भूखा नहीं था इस वजह से उसने कहा कि अगले दिन हम इसी जगह पर लड़ाई करेंगे।

सूअर के बच्चे ने जब यह बात अपने माता पिता से कहीं तो उसके माता पिता ने उसको समझाया कि वह जंगल का राजा शेर है उससे हम कभी नहीं जीत सकते तभी उन्होंने आगे कहा की यदि तुम लड़ाई के लिए कल उस तालाब के पास नहीं गए तो शेर हम सभी को मार डालेगा इसीलिए सूअर के बच्चे के माता-पिता ने उसको सुझाव दिया कि तू धूल मिट्टी और गंदे पानी से अपने शरीर को लपेट लेना जिससे शेर तुझमें आती हुई बदबू को देखकर भाग जाएगा।

सूअर के बच्चे ने ऐसा ही किया अगले दिन जब शेर ने सूअर के बच्चे को इस तरह से देखा तो उसमें से आ रही अजीब सी वदबू को देखकर शेर वहां से चला गया। सूअर के बच्चे को अकस्मात ही एक कहावत याद आ गई की जान बची तो लाखों पाए
वास्तव में इस तरह की परिस्थिति में हमारी जान बचना हमारे लिए सबसे बड़ा उपहार होता है, हमारे लिए जान वेश कीमती होती है।

दोस्तों हमारे द्वारा लिखा यह आर्टिकल Essay on jaan bachi to lakhon paye in hindi यदि आपको पसंद आया हो तो इसे अपने दोस्तों में शेयर करना ना भूले।

Add a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *