इंद्रधनुष पर निबंध Essay on indradhanush in hindi
Essay on indradhanush in hindi
दोस्तों आज हम आपको इस आर्टिकल के माध्यम से इंद्रधनुष पर लिखे इस निबंध के बारे में बताने जा रहे हैं ।चलिए अब हम आगे बढ़ते हैं और इस आर्टिकल को पढ़कर इंद्रधनुष के बारे में जानते हैं ।

सात रंगों का सबसे सुंदर इंद्रधनुष The most beautiful rainbow of seven colors – इंद्रधनुष सात रंगों का समूह होता है । जो देखने पर बहुत अच्छा लगता है ।इसको देखते समय जो आनंद की अनुभूति होती है वह अनुभूति हमारे दिनचर्या जीवन में खुशी देती है । बच्चे इंद्रधनुष को देखने के लिए उत्साहित होते हैं और इंद्रधनुष के साथ रंगों को देखकर आनंद की अनुभूति करते हैं ।इंद्रधनुष में सात रंग दिखाई देते हैं । इंद्रधनुष वृत्ताकार का होता है । इसकी सुंदरता के बारे में जितनी प्रशंसा की जाए उतनी कम है ।
प्रकाश की किरणों में स्थित सात रंगों के विक्षेपण के कारण इंद्रधनुष का निर्माण होता है । यह विक्षेपण प्रकाश की किरणों में होने वाले सात रंगों के झुकाब के कारण होता है । इंद्रधनुष को सात रंगों के झूले के नाम से भी सभी लोग जानते हैं । इंद्रधनुष को सात रंगों का झूला इसलिए कहा जाता है क्योंकि इतने सात रंगों का समूह मौजूद होता है ।इंद्रधनुष को इंद्र देवता का धनुष भी कहा जाता है क्योंकि इंद्र देवता के ही द्वारा बारिश की जाती है । इंद्र देवता के नाम पर ही इस सात रंगों के समूह का नाम इंद्रधनुष रखा गया है ।
इस सात रंगों के समूह को रेनबो के नाम से भी पुकारा जाता है । जिसका अर्थ होता है बारिश की बूंदे । इस तरह से कई अलग-अलग नामों से इंद्रधनुष को संबोधित किया गया है । इन सात रंगों के समूह का जो भी नाम हो पर इसकी सुंदरता बहुत अच्छी लगती है क्योंकि इसे देखने पर एक सकारात्मक ऊर्जा मनुष्य को मिलती है । इन सात रंगों के समूह मैं से सबसे ज्यादा बैगनी एवं लाल रंग की सुंदरता बहुत अच्छी लगती है क्योंकि यह सबसे ऊपर एवं सबसे नीचे स्थित होते हैं ।
इन्हीं दो रंगों की चमक सबसे ज्यादा होती है जिसको देखने पर आंखों के माध्यम से 40 से 50 डिग्री का कोण बनता है । जब बादल में काले बदरा छाए हुए होते हैं तब हम बड़े उत्साहित होकर इस इंद्रधनुष को देखते हैं और सकारात्मक ऊर्जा लेते हैं ।
सात रंगों से सुसज्जित इंद्रधनुष के बारे में About the rainbow equipped with seven colors- इंद्रधनुष अपने सात रंगों से बच्चों का मन मोह लेता है । इंद्रधनुष में यह सात रंग होते हैं लाल रंग , हरा रंग , पीला रंग , नारंगी रंग , हल्का नीला रंग , आसमानी रंग , बैगनी रंग आदि । यह सात रंग इंद्रधनुष में स्थित होते हैं । इंद्रधनुष जब बनता है तब यह वृत्ताकार आकार में सात रंगों में दिखाई देता है ।जिसको देखने से सकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न होती है और मनुष्य के शरीर के अंदर यह सकारात्मक ऊर्जा उसके शरीर को ऊर्जा देती है । जिससे मनुष्य ऊर्जावान हो जाता है ।
सात रंग के बनने का सबसे बड़ा कारण होता है बारिश की बूंदे एवं प्रकाश की किरणों का मिलन । जब बारिश की बूंदे और प्रकाश की किरण का मिलन होता है तब यह झूले के आकार का इंद्रधनुष बनता है । इसे देखने के लिए काफी लोग रुचि रखते हैं । यह इंद्रधनुष बहुत ही सुंदर और अद्भुत दिखाई देता है । कई वैज्ञानिकों के द्वारा इस पर रिसर्च किया गया है और इसका खंडन किया गया है । जब प्रकाश से निकलने वाली किरण बारिश की हल्की बिंदो पर पड़ती है तब प्रकाश की किरण उस पानी की बूंद के अंदर होकर निकलती है और झूले के आकार का इंद्रधनुष बन जाता है ।
जिसे देखने से मनुष्य को सकारात्मक ऊर्जा मिलती है और वह ऊर्जावान हो जाता है । इंद्रधनुष को देखने की इच्छा हर मनुष्य को होती है ।इसीलिए कई कविताएं और लेख इंद्रधनुष के बारे में लेख लिखें गए हैं । कई साहित्यकारों ने इंद्रधनुष के बारे में बताया है , इसकी सुंदरता के बारे में बताया है । बच्चे इंद्रधनुष के सात रंगों को देखने के लिए तैयार रहते हैं । जब बारिश का समय आता है तब बच्चे इंद्रधनुष को देखते हैं और उनके जीवन में आनंद आता है ।
इंद्रधनुष के द्वारा जब सात रंग झूलों के आकार में दिखाई देता हैं तब इन रंगों की सुंदरता बहुत अच्छी लगती है । इन रंगों में चमक होती है और यह रंग मनुष्य के जीवन में खुशियां देते हैं ।
इंद्रधनुष के बारे में सबसे पहले कल्पना – इंद्रधनुष के बारे में सबसे पहले 1236 ईसवी में एक खगोल शास्त्री जोकि पर्शियन थे उन्होंने इस पर अपने विचार व्यक्त किए थे ।उनका नाम कुतुब अल दिन सिराजी था । उन्होंने सर्वप्रथम इंद्रधनुष के सात रंगों की कल्पना की थी । जब उन्होंने बूंद पर सूर्य की किरण को पढ़ते हुए देखा तब उनको यह सात रंग दिखे और उन्होंने अपने ज्ञान से सात रंगों को देखने की कल्पना की थी । उन्हीं के कारण इंद्रधनुष के बारे में हम सभी को पता चल पाया है ।
जब उन्होंने झूले के आकार में सात रंगों का दृश्य देखा तब उनको बड़ा आश्चर्य हुआ था कि यह 7 रंग एक साथ किस तरह से एकत्रित हुए हैं ।उन्होंने यह सोचा कि यह सात रंग अवश्य किसी कारण से एकत्रित हुए हैं और उन्होंने आगे रिसर्च करना प्रारंभ कर दिया था । इसके बाद कई वैज्ञानिकों के द्वारा भी इंद्रधनुष के सात रंगों पर रिसर्च किया गया था । रिसर्च करने के बाद यह पता चला था कि यह सात रंग प्रकाश की किरण एवं बारिश की हल्की बूंदों के कारण दिखाई दे रहे हैं ।
जब बारिश की हल्की बूंदों पर प्रकाश की किरण पड़ती है तब यह सात रंग झूले के आकार में दिखाई देते हैं और इंद्रधनुष बन जाता है । जिसको देखने से सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त होती है । हरा , पीला , नारंगी , लाल , हल्का नीला , गहरा नीला और बैगनी रंग आदि सात रंगों का एक झूले के आकार में एकत्रित हो जाना प्रकृति की सुंदरता दर्शाता है । प्रकृति के अंदर ऐसे कई गुण मौजूद हैं जिनके गुणों से मनुष्य जीवन को सकारात्मक ऊर्जा मिलती है ।उन्हीं गुणों में से एक इंद्रधनुष है ।
इंद्रधनुष को देखने से मनुष्य को सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त होती है । मनुष्य के शरीर के अंदर जो रोग होता है इस सकारात्मक ऊर्जा से उस रोग की मुक्ति हो जाती है और मनुष्य का शरीर स्वस्थ हो जाता है । इंद्रधनुष छोटे बच्चों का मन मोह लेता है क्योंकि बच्चों को इंद्रधनुष के सात रंगों को देखना बहुत अच्छा लगता है । बच्चे एवं कई लोग इंद्रधनुष को देखना पसंद करते हैं और बरसात के समय का इंतजार करते हैं । जब बरसात का समय आता है तब वह इंद्रधनुष को देखते हैं ।
इंद्रधनुष के साथ रंगो को देखने का समय – इंद्रधनुष के सात रंगों को देखने का समय वैज्ञानिकों के द्वारा बताया लगाया गया है । खगोल शास्त्रीय वैज्ञानिकों के अनुसार बरसात के समय हम इंद्रधनुष को देख सकते हैं । जब बरसात की हल्की हल्की बूंदे गिरती हैं तब इंद्रधनुष दिखाई देता है । जब बारिश की हल्की-हल्की बूंदों पर प्रकाश की किरण पड़ती हैं तब सात रंगों का इंद्रधनुष दिखाई देता है । बारिश की बूंदों के अंदर से जब प्रकाश की किरण निकलती है तब एक प्रतिबिंब बनता है और हमें इंद्रधनुष दिखाई देता है ।
संध्या के समय यदि हम इंद्रधनुष को देखना चाहते हैं तो पूर्व दिशा में हमें यह इंद्रधनुष दिखाई देता है और इसमें सातों रंग समाहित होते हैं । यह झूले के आकार का दिखाई देता है । यदि हम प्रातः काल के समय इंद्रधनुष को देखना चाहते हैं तब हमें पश्चिम दिशा में इसको देखना चाहिए । वहीं से हमें इंद्रधनुष दिखाई देता है । जिसकी सुंदरता बहुत अच्छी लगती है । इंद्रधनुष बरसात के समय ही दिखाई देता है ।
बरसात के समय जब हल्की-हल्की बूंदे गिरती हैं तब प्रकाश की किरणें पानी की बूंदों के अंदर से होकर गुजरती हैं । जिससे इंद्रधनुष की आकृति बनती है और यह सब प्रकाश की किरणों का विक्षेपण हो जाने के कारण होता है । जब प्रकाश की किरणों का विक्षेपण होता है तब यह इंद्रधनुष बनता है , सात रंगों की आकृति बनती है और झूले के आकार के सात रंग के रूप में यह सभी को दिखाई देता है ।
इंद्रधनुष बनने की पूरी प्रक्रिया – इंद्रधनुष के बनने की प्रक्रिया को कई वैज्ञानिकों के द्वारा बताया गया है । सभी वैज्ञानिकों के द्वारा अलग-अलग राय दी गई है और इंद्रधनुष के बनने की पूरी प्रक्रिया को बताया गया है । दे कार्ते नामक वैज्ञानिक ने अपने एक सिद्धांत के माध्यम से यह बताया है की बरसात के समय इंद्रधनुष किस तरह से बनता है और यह किस तरह से झूले के आकार के सात रंगों में समाहित हो जाता है । वैज्ञानिक के अनुसार बारिश के समय बारिश की बूंदों का संबंध प्रकाश की किरणों से होता है ।
जब बारिश की बूंदे प्रकाश की किरणों पर पड़ती हैं तब यह बारिश की बूंदे प्रिज्म का काम करती हैं । जिस तरह से प्रकाश की किरण प्रिज्मा पर पड़ती है तो वह कई तरह के रंग उसमें दिखाई देते हैं और यह ऐसा प्रकाश की किरणों के विक्षेपण के कारण होता है । उसी तरह से जब प्रकाश की किरण बारिश की बूंद पर पड़ती हैं तब प्रकाश की किरणों का विक्षेपण होता है और हमें यह इंद्रधनुष दिखाई देता है । इंद्रधनुष हमेशा सूर्य की दिशा में ही बनता है ।
इंद्रधनुष बनने का सिद्धांत Rainbow theory- इंद्रधनुष के बनने का सिद्धांत कई वैज्ञानिकों के द्वारा दिया गया है । उन सिद्धांतों में से एक सिद्धांत यह है कि प्रकाश जब अपने एक माध्यम से दूसरे माध्यम में जाता है या प्रवेश करता है तब यह झुकता है । झुकने की बाद प्रकाश की किरण बारिश की बूंदों में प्रवेश करती है और यह बारिश की बूंदे प्रिज्म का काम करती हैं । जिससे प्रकाश की किरण का विक्षेपण हो जाता है और इंद्रधनुष का निर्माण होता है ।
इंद्रधनुष के प्रकार Types of rainbow- इंद्रधनुष के मुख्यता दो प्रकार होते हैं । जिसे प्राथमिक इंद्रधनुष एवं द्वितीय इंद्रधनुष कहते हैं ।दोनों प्रकार के इंद्रधनुष के बनने की प्रक्रिया अलग अलग होती है । प्राथमिक इंद्रधनुष के बनने की प्रक्रिया , जब वर्षा की हल्की-हल्की बूंदों पर प्रकाश की किरण पड़ती है तब वर्षा की बूंदों पर आपतित होने वाली सूर्य की किरणों का यदि दो बार अपवर्तन एवं एक बार परावर्तन होता है तो प्राथमिक इंद्रधनुष का निर्माण होता है ।
प्राथमिक इंद्रधनुष के अंदर लाल रंग बाहर की ओर दिखाई देता है और बैगनी रंग अंदर की ओर दिखाई देता है । प्राथमिक इंद्रधनुष को देखते समय यदि हमारी नजर बैगनी रंग पर पड़ती है तो हमारी आंखों के द्वारा 40 डिग्री का कोण बनता है । जब लाल किरण को देखते हैं तब 42 डिग्री का कोण हमारी आंखों के द्वारा बनता है । इस तरह से प्राथमिक इंद्रधनुष बनता है और इसको देखने पर इसकी सुंदरता बहुत अच्छी लगती है । जब प्रकाश की किरण बारिश की हल्की हल्की बूंदों पर पड़ती है तब यह अपनी सुंदरता बिखेर देता है ।
जो भी व्यक्ति इंद्रधनुष को देखता है उसको आनंद की अनुभूति होती है । द्वितीय इंद्रधनुष बनने की प्रक्रिया के बारे में वैज्ञानिकों का यह कहना है कि जब द्वितीय इंद्रधनुष बनता है तब इंद्रधनुष की सुंदरता और भी बेहतर हो जाती है । द्वितीय इंद्रधनुष बनने का सबसे बड़ा कारण यह है की सूर्य की किरणों का दो बार परावर्तन एवं दो बार अपवर्तन । जब सूर्य की किरणों का दो बार अपवर्तन और दो बार परावर्तन होता है तब द्वितीय इंद्रधनुष का निर्माण होता है ।
द्वितीय इंद्रधनुष में बैगनी रंग बाहर की ओर होता है । जब इस द्वितीय इंद्रधनुष में कोई बैगनी किरण को देखता है तब उसकी आंख के माध्यम से 54 डिग्री का कोण बनता है । जब द्वितीय इंद्रधनुष में कोई लाल रंग की किरण को देखता है तब उसकी आंख के माध्यम से 50 डिग्री का कोण बनता है । इस तरह से इंद्रधनुष अपनी छटा बिखेरता है और इसको देखने पर आनंद की अनुभूति होती है । इंद्रधनुष को देखने पर एक सकारात्मक ऊर्जा मनुष्य को मिलती है ।
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