वन आग पर निबंध essay on forest fire in hindi
jangal ki aag essay in hindi
दोस्तों आज हम आपके लिए लाए हैं जंगल की आग पर निबंध को । चलिए अब हम पढ़ते हैं जंगल की आग पर लिखे इस निबंध को । हमारे भारत देश में चारों तरफ जंगल ही जंगल मौजूद है । गर्मी के समय जंगलों में आग लगने की घटनाएं अक्सर होती रहती हैं ।
जंगल की आग को बुझाने के लिए फायर ब्रिगेड का सहारा लिया जाता है । जंगल की आग हवा चलने के कारण फैलती रहती है । जंगल की आग को बुझाने के लिए हेलीकॉप्टर के द्वारा पानी का छिड़काव किया जाता है ।
हेलीकॉप्टर के माध्यम से आसपास की झीलों ,तालाबों से पानी लेकर जंगल में फेंका जाता है। जंगल में आग लगने से जंगल के पेड़ों को काफी नुकसान पहुंचता है । आग लगने के कारण पेड़ जल जाते हैं । जंगल में रहने वाले जानवर आग के लपेटे में आकर मर जाते हैं ।
जंगल की आग को बुझाने के लिए फायर ब्रिगेड के साथ साथ एन.डी.आर.एफ टीम , एस.डी.आर.एफ , थल सेना एवं वायु सेना का उपयोग किया जाता है । यह सभी सेनाएं मिलकर जंगल की आग को बुझाने में अपना योगदान देती हैं ।
जंगल की आग हवा चलने के कारण आसपास के इलाकों में पहुंच जाती है जिससे उस इलाके में रहने वाले व्यक्तियो को नुकसान पहुंचता है । जंगल की आग जब बस्ती में पहुंचती है तब बस्ती में रहने वाले अनेक लोगो के घर तबाह हो जाते हैं ।
जंगल की आग को रोकने के लिए फायर ब्रिगेड एवं थलसेना हेलीकॉप्टरों के माध्यम से आग को रोकने की कोशिश करती हैं । गर्मी के मौसम में जंगलों में आग लगती है । हमारे भारत देश में गर्मी के मौसम में उत्तराखंड के जंगलों में आग लगती है ।
आग को बुझाने के लिए फायर ब्रिगेड, थल सेना एवं वायु सेना पूरी तरह से तैयार रहती है । आग को बुझाने के लिए सुरक्षाकर्मी कोशिश करते रहते हैं । कभी-कभी उत्तराखंड के जंगलों की आग वैष्णो देवी के जंगलों तक पहुंच जाती है जिसके कारण जो भक्त माता वैष्णो देवी के दर्शन करने के लिए जाते हैं वह रास्ते में ही फस जाते हैं ।
effect of forest fire on environment in hindi
वनों में हर वर्ष गर्मी के मौसम में आग लग जाती है । यह आग इतनी तेज गति से फैलती है कि इसको बुझाने में काफी मशक्कत करना पड़ती है । उत्तराखंड के वनो में फैली आग को रोकने के लिए m 17 हेलीकॉप्टर का उपयोग किया जाता है. भारतीय वनों में लगी आग के कारण काफी नुकसान भारत की इकोनॉमी में होता है । हर साल उत्तराखंड के वनों में भीषण आग लग जाती है ।
उत्तराखंड के वनों में कम बरसात एवं कम नमी की जमीन होने के कारण गर्मी के महीने में भीषण आग लग जाती है । यह आग जम्मू कश्मीर, गढ़वाल, कुमाऊ, शिवालिक के जंगलों एवं वनों तक पहुंच जाती है । इस साल उत्तराखंड के वनों को आग से काफी नुकसान हुआ है ।
उत्तराखंड के कुमाऊ में आग के कारण 238 घटनाएं हो चुकी हैं। इन घटनाओं के कारण 508.98 हेक्टेयर वन भूमि को नुकसान का सामना करना पड़ा है । गढ़वाल के जंगलों में आग के कारण 257 घटनाएं हो चुकी हैं । इस घटना के कारण 524.9 हेक्टेयर भूमि प्रभावित हुई है ।
शिवालिका के जंगलों में अभी तक 222 घटनाएं हो चुकी है जिसके कारण 125.75 हेक्टेयर भूमि प्रभावित हुई है । हमारा भारत देश तेजी से विकास की ओर बढ़ रहा है और वनों की सुरक्षा के लिए कड़े से कड़े कदम भारत सरकार ने उठाए हैं ।
भारत सरकार के द्वारा हर तरह की कोशिश की जा रही है कि भारतीय वनों को हर तरह के होने बाले नुकसान से बचाया जा सके । हमारे भारत के अथक प्रयासों के बाद भारत पूरे विश्व में फॉरेस्ट कवर में दसवें नंबर पर पहुंच चुका है । आज भारत के पास जंगलों एवं वनों में लगी आग को बुझाने के लिए काफी साधन मौजूद हैं ।
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