डिप्रेशन यानी अवसाद पर निबंध Essay on depression in hindi

Essay on depression in hindi

दोस्तों आज हम आपके लिए लाए हैं डिप्रेशन यानी अवसाद पर निबंध आप इसे जरूर पढ़ें और यहां पर दी गई जानकारी से अपने विषय की अच्छी तरह से तैयारी करें तो चलिए पढ़ते हैं आज के हमारे आर्टिकल को

Essay on depression in hindi
Essay on depression in hindi

डिप्रेशन एक ऐसी मानसिक बीमारी होती है जिसकी वजह से कई अन्य बीमारियां भी जन्म ले सकती हैं. डिप्रेशन में मनुष्य काफी चिंता या दुख की गहराई में डूब जाता है, उसके दिलो-दिमाग पर अशांति छाई रहती है, उसे चारों और असफलता ही असफलता दिखती है, इस तरह की मानसिक बीमारी में हमें जल्द से जल्द मरीज को मनोचिकित्सक के पास दिखाना चाहिए, उनसे सलाह लेनी चाहिए.

अक्सर हम सभी जीवन में थोड़े बहुत दुखी तो होते ही हैं लेकिन यदि यह दुख कुछ ज्यादा ही बढ़ जाए और लंबे समय तक रहे तो डिप्रेशन या अवसाद जैसी स्थिति पैदा होती है. इस स्थिति को रोकने के लिए हम कई सारे उपाय कर सकते हैं और अपने परिवार वालों को इस अवस्था में पहुंचने से पहले ही रोक सकते हैं. सबसे पहले हम जानते हैं डिप्रेशन के कारण

डिप्रेशन या अवसाद के कारण– डिप्रेशन या अवसाद की स्थिति में पहुंचने का एक कारण यह है कि यदि किसी के प्रियजन की मृत्यु हो जाए तो वह डिप्रेशन या अवसाद की स्थिति में जा सकता है. इसके अलावा डिप्रेशन या अवसाद का कारण तलाक, बिछड़ना आदि भी होता है. डिप्रेशन ऐसे लोग को हो सकता हैं जो बार-बार असफल हो रहे हैं. इसके अलावा डिप्रेशन का कारण अनुवांशिकता से भी जुड़ा हो सकता है, कई तरह की बीमारियां भी डिप्रेशन का कारण हो सकती हैं.

डिप्रेशन की इस स्थिति से कैसे निकले– यदि किसी को डिप्रेशन या अवसाद हो जाता है तो हमें चाहिए कि हम उस व्यक्ति का विशेष रूप से ख्याल रखें, उसे अकेला ना छोड़ें, उसके साथ बातें करें, उसे अकेलापन महसूस ना होने दें, एक अच्छे मनोचिकित्सक से इलाज जरूर करवाएं. इस डिप्रेशन या अवसाद की स्थिति को पहचानकर उसे संभालने की कोशिश करें. जब भी परिवार का कोई सदस्य गुमसुम सा दिखता है या निराशावादी बातें करता है तो हमें उस स्थिति को समझना चाहिए क्योंकि इस तरह के लोग डिप्रेशन या अवसाद में भी जा सकते हैं.

हमें उसको अकेला नहीं छोड़ना चाहिए,उसे हंसाने की कोशिश करनी चाहिए, हो सके तो उसके साथ उसके पसंद की जगह पर घूमने के लिए जाना चाहिए. कभी-कभी यह डिप्रेशन की स्थिति काफी गंभीर हो सकती है इसलिए हमें ऐसी स्थिति में आने से पहले ही बचाव के उपाय करने चाहिए. हमें चाहिए कि हम योग, प्राणायाम आदि समय-समय पर करते रहें क्योंकि इससे भी डिप्रेशन या अवसाद काफी हद तक कम हो सकता है.

माता-पिता या शिक्षकों को चाहिए कि वह अपने विद्यार्थियों की क्षमताओं को पहचाने, उनकी क्षमता से अधिक उन्हें होमवर्क ना दें तो ही अच्छा है. कभी-कभी विद्यार्थियों पर ज्यादा प्रेशर होने की वजह से वो अधिक चिंतित हो जाते हैं. हमें चाहिए कि हम खुद की क्षमताओं को भी पहचाने क्योंकि आजकल के इस दौर में यदि हम कुछ समय के लिए हार जाते हैं तो लगातार प्रयत्न करने से हम जीत भी सकते हैं इसलिए हमें आशावादी बनना चाहिए और डिप्रेशन या अवसाद को आसपास भी नहीं आने देना चाहिए.

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