मगरमच्छ पर निबंध Essay on crocodile in hindi language

Essay on crocodile in hindi language

दोस्तों आज हम आपको इस आर्टिकल के माध्यम से  मगरमच्छ  के बारे में बताने जा रहे हैं । चलिए अब हम आगे बढ़ते हैं और इस आर्टिकल को पढ़कर मगरमच्छ के जीवन काल के बारे में जानते हैं । मगरमच्छ एक मांसाहारी जानवर है । मगरमच्छ पानी में रहने वाला जीव है । यह पानी के साथ साथ जमीन पर भी सांस लेने के लिए आता है । मगरमच्छ की कई तरह की प्रजातियां होती हैं । अभी तक खोजबीन करने के बाद मगरमच्छ की 23 प्रजातियों के बारे में पता चला है ।

essay on crocodile in hindi language
essay on crocodile in hindi language

मगरमच्छ विश्व के हर कोने में स्थित हैं , सभी देशों में स्थित हैं । एशिया , अमेरिका , अफ्रीका , ऑस्ट्रेलिया , यूरोप एवं बड़े बड़े महाद्वीपों के देशों में भी मगरमच्छ की प्रजाति पाई जाती है । मगरमच्छ अपना पेट भरने के लिए जलीय जीवो के साथ साथ स्थलीय जीवो को भी खा लेता है । मगरमच्छ की बात करें तो वह जीव जंतुओं को खाने के साथ साथ मनुष्य को भी खा सकता है । यदि कोई मनुष्य उसकी चपेट में आ जाए तो वह उसे भी अपना भोजन बना सकता है ।

मगरमच्छ के जो दांत होते हैं वह नुकीले होते हैं , बहुत मजबूत होते हैं । मगरमच्छ के 24 धारदार नुकीले दांत होते हैं । जिनके माध्यम से मगरमच्छ जीव जंतु को चीर फाड़ कर निगल लेता है । मगरमच्छ की जो पूछ होती है वह बहुत ही ताकतवर होती है । उसी पूछ से मगरमच्छ अपना शिकार करता है । मगरमच्छ पानी में लंबे समय तक रह सकता है । मगरमच्छ पानी में सांस नहीं लेता है । मगरमच्छ सांस लेने के लिए जमीन पर आता है और सांस लेता है ।

मगरमच्छ की यदि पानी में तैरने की बात करें तो 50 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार होती है । मगरमच्छ का जो जीवनकाल होता है वह 70 से 80 साल का होता है । मगरमच्छ की उत्पत्ति तकरीबन 23 से 24 करोड़ साल पुरानी है । मगरमच्छ का जबड़ा बहुत ही मजबूत , ताकतवर होता है । मगरमच्छ का जो जबड़ा होता है वह इतना मजबूत होता है कि वह अपने भोजन को ठीक तरह से चीर फाड़ कर के  निगल लेता है क्योंकि इसका जबड़ा मजबूत होने के साथ-साथ लंबा होता है ।

मगरमच्छ के बारे में ऐसा कहा जाता है कि जब मगरमच्छ खाना खाता है , भोजन करता है तब उसके आंखों से आंसू बहते हैं । मगरमच्छ को पसीना नहीं आता है क्योंकि मगरमच्छ के शरीर की त्वचा पर पसीने की ग्रंथि नहीं होती है । जिसके कारण मगरमच्छ को पसीना नहीं आता है । मगरमच्छ का खून बहुत ठंडा होता है । खून ठंडा होने के कारण मगरमच्छ को पसीना नहीं आता है ।जब मगरमच्छ अंडा देता है तब वह अपने अंडे को मिट्टी या रेत  में गाड़ देता है ।

मगरमच्छ के अंडे से जो बच्चे होते हैं उनको अधिकतर जलीय जीव खा जाते हैं ।मगरमच्छ की कई प्रजातियां होती हैं । मगरमच्छ की सबसे बड़ी जो प्रजाति होती है वह खारे पानी में पाई जाती है । खारे पानी में जो मगरमच्छ होते हैं वह बहुत ही बड़े होते हैं । उनकी लंबाई तकरीबन 7 फुट तक रहती है । खारे पानी के मगरमच्छ का बजन तकरीबन 1200 किलो होता है । खारे पानी के मगरमच्छ को साल्टवॉटर क्रोकोडाइल कहते हैं और इसी नाम से यह मगरमच्छ जाना जाता है ।

छोटा मगरमच्छ मीठे पानी में पाया जाता है । छोटे मगरमच्छ को डवार्फ कहां जाता है । मीठे पानी में रहने वाले मगरमच्छ की लंबाई तकरीबन 5 फुट हो सकती है । इस मगरमच्छ का बजन तकरीबन 32 किलो तक हो सकता है । मगरमच्छ देखने में बहुत ही खतरनाक जीव है । मगरमच्छ बिना भोजन किए कई दिनों तक रह सकता है । मगरमच्छ पानी के अंदर कई समय तक रह सकता है । जब मगरमच्छ पानी के अंदर रहता है तब वह अपने शिकार की तलाश करता रहता है ।

पानी के अंदर जब मगरमच्छ का मुंह खुला होता है तब उसके मुंह के द्वारा पेट के अंदर पानी नहीं जाता है क्योंकि उसके गले में पर्दा लगा होता है ।

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