बदलता परिवेश पर निबंध Essay on badalta parivesh in hindi
Essay on badalta parivesh in hindi
हमारा भारत देश एक बहुत बड़ा देश है इस भारत देश में प्राचीन काल से अभी तक कई सारे बदलाव हमें देखने को मिले हैं चाहे वह बदलाव पुरुष एवं नारी से संबंधित हो या वह बदलाव नवयुवक या छात्र से संबंधित हो। बदलते परिवेश में इन सभी में बदलाव देखने को मिला है।
पहले जहां नारी को देवी का रूप समझा जाता था नारी की पूजा की जाती थी लेकिन आजकल के बदलते परिवेश में नारी को पुरुष केवल अपने हाथ की कठपुतली ही समझता है। यह सही नहीं है आज का पुरुष नारी को कमजोर समझता है। हम कुछ समय पहले यानी इतिहास की बात करें तो कई सारी नारियां ऐसी हुई हैं जिन्होंने अपने साहस के जरिए बहुत सारे युद्ध में जीत हासिल की है।
वीरांगना लक्ष्मीबाई यानी झांसी की रानी लक्ष्मीबाई ने अपनी झांसी की रक्षा के लिए अपने प्राणों का बलिदान दे दिया था लेकिन दुश्मनों के आगे अपना सिर नहीं झुकाया था। इसी तरह देवी सीता ने भी अयोध्या की प्रजा की मन की बात समझते हुए जंगल में चले जाना ही उचित समझा था। वह जंगल में जाने से घबराई नहीं थी, वह साहसी थी एवं निडर थी।
उनके नजरिए में अपना पति और अयोध्या की जनता की सोच सबसे महत्वपूर्ण थी इसलिए उन्होंने अपने साहस के जरिए अपने जीवन की खुशियों का भी बलिदान दे दिया था। महिलाओं ने हमारे भारत देश में कई तरह की कुर्बानी दी हैं उनके साहस की गाथाएं इतिहास के पन्नों में दर्ज हैं लेकिन बदलते हुए परिवेश में ज्यादातर पुरुष केवल अपने आप को ही शक्तिशाली समझते हैं।
ऐसा समझते हैं कि सिर्फ पुरुषों ने ही कुछ बड़ा किया हो वास्तव में महिलाएं पुरुषों से कम नहीं हैं। आज बदलते परिवेश में महिलाओं पर कई तरह के अत्याचार किए जाते हैं इन अत्याचारों को दूर करने की जरूरत है। इनके खिलाफ हम सभी को आवाज उठाने की जरूरत है।
आज हम देखें तो बदलते परिवेश में महिलाओं के अतिरिक्त आजकल के लोग भी कई तरह से बदल रहे हैं। आज के लोगों में झूठ, कपट, वचनबद्धता ना होना आदि देखा जाता है। लोग केवल अपने फायदे का ही सोचते हैं दूसरों के बारे में ज्यादातर लोग नहीं सोचते यह सही नहीं है।
बदलते परिवेश में फैशन भी दिन-प्रतिदिन बदल रहा है स्त्री पुरुष सभी के तरह-तरह के नए नए फैशन हैं।आजकल ऐसे ऐसे फैशन हमें देखने को मिलते हैं कि हम पहचान ही नहीं पाते कि सामने खड़ा हुआ इंसान एक युवक है या युक्ति। बदलते परिवेश में लोग हिंदी भाषा को ना बोलते हुए विदेशी भाषा अंग्रेजी को बढ़ावा दे रहे हैं। यह ठीक नहीं है।
बदलते जमाने में बहुत कुछ बदल रहा है लोगों की मानसिक स्थिति बदल रही है, बदलते इस परिवेश में कई ऐसे माता-पिता होते हैं जो अपने बच्चे का ध्यान सही ढंग से नहीं रखते वह माता-पिता अक्सर कमाई करने की ओर विशेष ध्यान देते हैं। बच्चों का लालन पोषण उनकी देखरेख करना कि उनका बच्चा कैसी संगति में है यह सब ध्यान आजकल के माता-पिता नहीं रख पाते हैं जिस वजह से कई सारे बच्चे संगति गलत होने की वजह से बिगड़ते जा रहे हैं।
आजकल के माता-पिता बड़े ही उम्मीद से अपने बच्चों को पालते हैं। ऐसे माता-पिता भी होते हैं जिन्हें बुढ़ापा केवल अकेले ही जीना पड़ता है उनके बच्चे बुढ़ापे में उनकी मदद करने के लिए उनका सहयोग नहीं देते। कभी-कभी तो बच्चे अपने बूढ़े मां-बाप को बेसहारा छोड़ देते हैं और कभी-कभी वह प्रदा आश्रम में छोड़ आते हैं।
बच्चे कभी कभी मां-बाप का दो वक्त का खर्चा उठाने से भी मना कर देते हैं यह बिल्कुल भी सही नहीं है। लोगों को चाहिए कि बदलते परिवेश में इतना ना बदलें कि आपके बच्चे भी आपके साथ ऐसा ही करने के लिए मजबूर हो जाए और फिर आप उस स्थिति से दुखी हो जाएं। बदलते परिवेश में छात्रों को भी बदलते हुए देखा जाता है।
छात्र जो कि देश के भविष्य होते हैं छात्र जीवन सबसे महत्वपूर्ण जीवन होता है। छात्र अपने गुरुजनों की बात नहीं मानते, उनकी आज्ञा का पालन नहीं करते यह सब बदलते परिवेश में हम सभी को देखने को मिलता है। कई बार तो छात्र अपने शिक्षकों के प्रति अच्छी भावना भी नहीं रखते यह बिल्कुल भी सही नहीं है। हमें जीवन को एक व्यवस्थित ढंग से सही तरह से जीना चाहिए तभी हम सभी जीवन में आगे बढ़ सकते हैं।
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