आज़ाद हिन्द फ़ौज पर निबंध Essay on azad hind fauj in hindi
Essay on azad hind fauj in hindi
दोस्तों आज हम आपके लिए लाए हैं आजाद हिंद फौज पर लिखा निबंध आप इसे जरूर पढ़ें और यहां से अपनी परीक्षाओं की तैयारी करें तो चलिए पढ़ते हैं आज के हमारे इस लेख को
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आजाद हिंद फौज का गठन करने का उद्देश्य भारत को स्वतंत्र करना था। आजाद हिंद फौज का गठन 1942 में हुआ, दरहसल इसके गठन के लिए जापान में निवास कर रहे भारतीयों ने आजाद हिंद फौज के गठन के लिए एक सम्मेलन का आयोजन किया। आजाद हिंद फौज की स्थापना करने का सर्वप्रथम विचार मोहन सिंह जी के मन में था। आजाद हिंद फौज का पहला चरण 1942 में दिसंबर के महीने में हुआ जिसमें 16300 सैनिकों ने हिस्सा लिया।
कुछ समय बाद जापानी सरकार एवं भारतीय सैनिकों के बीच आजाद हिंद फौज को लेकर कुछ विवाद उत्पन्न होने लगे जिसकी वजह से निरंजन सिंह एवं मोहन सिंह को गिरफ्तार किया गया। आजाद हिंद फौज का दूसरा चरण शुरू हुआ तब सुभाष चंद्र बोस जी जुलाई 1943 में जापानी नियंत्रण वाले सिंगापुर गए वहां पहुंचकर सुभाष चंद्र बोस जी ने दिल्ली चलो का नारा दिया। इसके बाद इन्होंने आजाद हिंद फौज को संभाला। उन्होंने 1943 में ही आजाद हिंद सरकार की स्थापना की। इस सरकार के सुभाष चंद्र बोस ही प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति एवं सेना अध्यक्ष थे। सुभाष चंद्र बोस जी को हर कोई नेताजी कहकर पुकारता था इन्होंने अपने अनुयायियों को जय हिंद का नारा दिया।
आजाद हिंद सरकार को कई अन्य देशों जैसे कि जापान जर्मनी आदि देशों द्वारा मान्यता दी गई और फिर सिंगापुर और रंगून में आजाद हिंद फौज का मुख्यालय बना और फिर कुछ समय बाद 1944 के महीनों में जापानियों के साथ मिलकर आजाद हिंद फौज ने वर्मा एवं भारत की पूर्वी सीमा से लड़ाई की लेकिन इस दूसरे विश्व युद्ध में आजाद हिंद फौज की पराजय हुई। सन 1945 में अंग्रेजों ने आजाद हिंद फौज के अधिकारियों एवं सैनिकों को गिरफ्तार कर लिया था ऐसी सूचना आई कि सुभाष चंद्र बोस की 18 अगस्त 1945 को मृत्यु हो गई थी लेकिन कुछ लोगों ने सुभाष चंद्र जी की मृत्यु पर संदेह जताया।
बहुत सारे लोगों को सुभाष चंद्र बोस जी की मृत्यु का भरोसा ही नहीं हुआ फिर आगे चलकर भारत की अंग्रेजी सरकार ने दिल्ली में आजाद हिंद फौज के सैनिकों एवं अधिकारियों पर मुकदमा चलाया। आजाद हिंद फौज के कुछ लोगों पर राजद्रोह का आरोप भी लगा लेकिन इनके पक्ष में कई लोगों ने दलीले रखी लेकिन कर्नल सहगल, कर्नल ढीब्बो तथा मेजर शाहवाज खान को अंग्रेजी सरकार के द्वारा फांसी की सजा सुनाई गई लेकिन आगे चलकर देश भर में इस बात की निंदा हुई और फिर इनकी मृत्यु दंड की सजा को माफ कर दिया गया। आजाद हिंद फौज के शहीदों की याद में सिंगापुर में भी स्मारक बनाया गया। सुभाष चंद्र बोस ने भी इन स्मारकों पर शहीदों को श्रद्धांजलि दी थी।
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