एक योगी की आत्मकथा Ek yogi ki atmakatha in hindi

Ek yogi ki atmakatha in hindi

दोस्तों आज हम आपको इस आर्टिकल के माध्यम से , एक योगी की आत्मकथा पर लिखी गई किताब के माध्यम से एक योगी की आत्मकथा के बारे में बताने जा रहे हैं ।चलिए अब हम आगे बढ़ते हैं और एक योगी की आत्मकथा के बारे में गहराई से पढ़ते हैं ।

ek yogi ki atmakatha in hindi
ek yogi ki atmakatha in hindi

एक योगी की आत्मकथा एक ऐसी पुस्तक है जिसके माध्यम से कई लोगों ने योग साधना के द्वारा अपने जीवन को ऊंचाई तक पहुंचाया है । एक योगी की आत्मकथा नामक पुस्तक  परमहंस योगानंद के द्वारा लिखी गई है । इस पुस्तक में योग साधना से किस तरह से हम हमारे जीवन को सफल बना सकते हैं इसका ज्ञान दिया गया है । परमहंस योगानंद जी योग साधना के ऐसे महान गुरु थे जिन की जितनी भी तारीफ की जाए उतनी कम है ।

योगानंद परमहंस जी के द्वारा विश्व के हर मनुष्य को योग साधना समझाने के लिए कई यात्राएं की और उन यात्राओं के माध्यम से लोगों को योग साधना से अध्यात्मिक ज्ञान दिया गया है । जब किसी व्यक्ति को आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त हो जाता है तब उसकी सारी परेशानियां दूर हो जाती हैं और वह शांत स्वभाव से अपने जीवन को जीने लगता है । कई ऐसे महान लोग हैं जिन्होंने एक योगी नामक पुस्तक को पढ़कर अपने जीवन को सफलता की ओर पहुंचाया है ।

परमहंस योगानंद जी की विश्व यात्रा – परमहंस योगानंद जी पूरी दुनिया को यह संदेश देना चाहते थे कि यदि हर व्यक्ति योग साधना को अपनाएं तो वह अपने जीवन को सही ढंग से जी सकता है , योग साधना के माध्यम से आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त कर सकता है । परमहंस योगानंद जी का मानना है कि जब किसी व्यक्ति को आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त हो जाता है तो वह हर खुशियां प्राप्त कर लेता है । उसको किसी तरह का कोई भी दुख नहीं होता है । वह मोह माया के जाल से बाहर निकल जाता है और अपने जीवन को एक सफलता की ओर ले जाता है ।

परमहंस योगानंद जी ने ज्ञान को बांटने के लिए और विश्व में योग शिक्षा के माध्यम से प्रकाश डालने के लिए कई देशों की यात्राएं की हैं । परमहंस योगानंद जी ने अपनी सभी यात्राओं के माध्यम से सभी को योग शिक्षा का ज्ञान दिया है । परमहंस योगानंद जी ने  अपनी यात्राओं के माध्यम से यह भी कहा है कि कई ऐसे कार्य होते हैं जो योग साधना के बिना नहीं किए जा सकते हैं । योग साधना के माध्यम से आध्यात्मिक उन्नति होती है , आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त होता है ।

जब आध्यात्मिक गुरु परमहंस योगानंद जी अपनी वाणी से लोगों को संबोधित करते हैं तब वह इस बात को बड़ी गहराई से कहते थे की योग क्रिया एक ऐसा साधन है जिसके माध्यम से आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त होता है और हमारी बुद्धि का विकास होता है ।योग क्रिया को श्री कृष्ण ने भी अपनाया था । विष्णु भगवान भी योग क्रिया को सर्वश्रेष्ठ मानते थे । ईसा मसीह ने भी योग क्रिया को अपनाया था और पूरी दुनिया को यह बताने की कोशिश की थी कि यदि योग क्रिया से आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त किया जाए तो अधिक प्रकाश हम सभी के जिंदगी में प्राप्त हो सकता है ।

आध्यात्मिक ज्ञान से जो अज्ञान हमारे जीवन में फैला हुआ है वह दूर हो सकता है । इसीलिए आध्यात्मिक ज्ञान हम सभी के जीवन में आवश्यक है । योगानंद परमहंस जी ने सभी को योग शिक्षा प्राप्त करने और आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त करने के रास्ते दिखाने के लिए एक योगी की आत्मकथा नामक पुस्तक लिखी है । एक योगी की आत्मकथा पुस्तक में कई महान लोगों का वर्णन किया है । इस पुस्तक में परमहंस योगानंद जी ने अपने पूरे जीवन काल का वर्णन किया है ।जन्म से लेकर पूरे जीवन काल का वर्णन इस पुस्तक में उन्होंने किया है । किस तरह से उन्होंने लोगों को योग साधना की ओर ले जाने के लिए काम किया है इस पुस्तक में दिया गया है ।

जो कोई व्यक्ति इस पुस्तक को बड़ी गहराई से पड़ता है उसको आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त होता है और भक्ति योग साधना की ओर अपने कदम बढ़ा लेता है । परमहंस योगानंद जी ने योग साधना की शिक्षा देने के लिए देश , विदेशों में कई ऐसे ट्रस्टों का निर्माण किया था जिनके माध्यम से योग साधना का प्रचार प्रसार किया जाता था । क्योंकि योगानंद परमहंस जी का एक ही मकसद था पूरी दुनिया को योग साधना से जोड़ना । योग साधना के माध्यम से मन मस्तिष्क एवं शरीर स्वस्थ रहता है , बुद्धि का विकास होता है और मानव शरीर का कल्याण होता है ।

इस पुस्तक को लिखने के बाद परमहंस योगानंद जी के शिष्य श्यामा चरण लाहिरी जी ने इस पुस्तक का प्रचार प्रसार किया था । परमहंस योगानंद जी ने श्यामा चरण लाहिरी जी को कहा था कि इस पुस्तक के माध्यम से कई लोगों को आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त होगा और जो भी इस पुस्तक को पड़ेगा वह योग साधना से जुड़ जाएगा । जब मनुष्य योग साधना से जुड़ जाएगा तब उसको आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त होगा । जब व्यक्ति को आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त हो जाएगा तब वह अपने जीवन को सफल बनाएगा । इस पुस्तक में मेरे जीवन काल की  सभी ऐसी घटनाएं लिखी गई हैं जिन घटनाओं को पढ़ने के बाद मनुष्य को ज्ञान प्राप्त होगा ।

पुस्तक में क्रिया योग का वर्णन – योगानंद परमहंस जी के द्वारा लिखी गई इस पुस्तक में एक योगी की आत्मकथा  के माध्यम से योग क्रिया को बढ़ावा दीया गया है । इस पुस्तक को लिखने का एक ही उद्देश्य योगानंद परमहंस जी का था कि पूरे विश्व के लोग योग साधना के माध्यम से आध्यात्मिक ज्ञान की प्राप्ति करें । इस पुस्तक के माध्यम से परमहंस योगानंद जी  यह चाहते थे कि दुनिया में जो अशांति फैली हुई है उस अशांति को दूर किया जाए । इस पुस्तक में आत्मकथा  के माध्यम से महावतार बाबाजी के बारे में विस्तृत रूप से बताया गया है । योग क्रिया के बारे में यह कहा गया है कि योग क्रिया एक ऐसी क्रिया है जो वायुयान की तीव्र गति से हमारे जीवन को ऊंचाइयों तक पहुंचाती है ।

एक योगी की आत्मकथा नामक पुस्तक के द्वारा महावतार बाबाजी का जीवनकाल – योगानंद परमहंस जी एक ऐसे गुरु थे जिन्होंने आध्यात्मिक ज्ञान को बढ़ावा देने के लिए कई कार्यक्रम किए और कई देशों की यात्रा करके योग साधना को सभी के जीवन में पहुंचाया गया था । महावतार बाबाजी एक ऐसे महान गुरुओं के गुरु थे जिन्होंने योग साधना का ज्ञान चारों तरफ फैलाया था ।महावतार बाबाजी परमहंस योगानंद जी के गुरु थे ।महावतार बाबाजी की छत्रछाया में परमहंस योगानंद जी ने शिक्षा ग्रहण की और योग साधना का प्रचार प्रसार करने के लिए यात्रा पर निकल पड़े थे ।

जिन साधु महात्माओं ने महावतार बाबाजी से ज्ञान प्राप्त किया है वह अपने जीवन को ऊंचाइयों तक ले गए हैं । महावतार बाबाजी के शिष्यों ने चारों तरफ शिक्षा का प्रकाश फैलाया है । महावतार बाबाजी एक ऐसे गुरु थे जिन्होंने ज्ञान की गंगा को चारों तरफ फैलाया है । महावतार बाबाजी के द्वारा परमहंस योगानंद , श्यामा चरण लाहिरी ,  सिद्धनाथ आदि महापुरुषों ने ज्ञान प्राप्त किया था । महावतार बाबाजी को कई नाम से संबोधित किया जाता था । उनके कई नाम इस प्रकार से हैं शिव गोरक्ष बाबाजी , महर्षि मतंग , नागराज बाबाजी आदि ।

महावतार बाबाजी आधुनिक काल के सबसे महान गुरु थे । उनकी छत्रछाया में जो भी शिष्यों ने ज्ञान प्राप्त किया है वह अपने ज्ञान के माध्यम से सफल हुए हैं । कई प्रत्यक्षदर्शी महात्माओं का यह कहना था कि महावतार बाबाजी का जीवनकाल 5000 वर्ष का था । महावतार बाबाजी ने अपने जीवन काल में कई कार्य किए और दुनिया में प्रकाश फैलाने का दृढ़ संकल्प लिया था ।

एक योगी की आत्मकथा पुस्तक में गंध बाबा का उल्लेख –  एक योगी की आत्मकथा नामक पुस्तक में गंध बाबा के प्रसंग को भी बड़ी सरलता के साथ लिखा गया है । जिसको पढ़ने से यह ज्ञान प्राप्त होता है की सूर्य विज्ञान का जीवन में बड़ा ही महत्व होता है । गंध बाबा बंगाल के महान सिद्ध कर थे । बंगाल के सभी लोग गंध बाबा को मानते थे , उनका सम्मान करते थे । गंध बाबा कई ऐसे चमत्कार के लिए जाने जाते थे जिन चमत्कार को देखने के बाद उन पर गर्व महसूस होता है । गंध बाबा सूर्य विज्ञान की सहायता से क्षणभर में कोई भी गंध , वस्तु को प्रकट कर दिया करते थे ।

गंध बाबा यह सब चमत्कार सूर्य विज्ञान की सहायता से किया करते थे । गंध बाबा एक ऐसे गुरु थे जिन्होंने मनुष्य की भलाई के लिए कई महान कार्य किए थे । गंध बाबा ने सिद्धाश्रम से ज्ञान प्राप्त किया था ।गंध बाबा ने सूर्य विज्ञान की शिक्षा के साथ-साथ योग शिक्षा का ज्ञान भी प्राप्त किया था । गंध बाबा के द्वारा योग साधना एवं सूर्य विज्ञान की शिक्षा दूर-दूर तक फैलाई गई थी । इस पुस्तक में गंध बाबा के सभी प्रसंगों का उल्लेख है । एक योगी की आत्मकथा नामक पुस्तक में गंध बाबा  के  सभी चमत्कार  के बारे में लिखा  गया है । गंध बाबा का नाम परमहंस विशुद्धानंद है ।

एक योगी की आत्मकथा पुस्तक में परमहंस योगानंद जी का जीवन काल – एक योगी की आत्मकथा पुस्तक में परमहंस योगानंद जी के जीवन काल को विस्तृत रूप से बताया गया है । इस पुस्तक के माध्यम से परमहंस योगानंद जी का जन्म 5 जनवरी 1813 को उत्तर प्रदेश राज्य के गोरखपुर में हुआ था । वह एक अच्छे योग गुरु थे । जिन्होंने योग साधना के प्रचार में अपना जीवन बिता दिया था । एक योगी की आत्मकथा नामक पुस्तक में परमहंस योगानंद जी के संपूर्ण जीवन में घटने वाली घटनाओं को विस्तृत रूप से बताया गया है ।

इस पुस्तक में यह बताया गया है की परमहंस योगानंद जी ने किस तरह से योग साधना के प्रचार प्रसार के लिए काम किया और लोगों को आगे बढ़ाया था । परमहंस योगानंद जी ने 1915 में कोलकाता विश्वविद्यालय से स्नातक की पढ़ाई को पूरी की और पढ़ाई करने के बाद उन्होंने अपने जीवन को लोगों के लिए निछावर कर दिया था । परमहंस योगानंद जी ने एक सन्यासी बनने का फैसला ले लिया था  और अपने जीवन का एक ही मकसद बना  लिया था और वह मकसद था लोगों को योग साधना के माध्यम से ज्ञान देना । क्योंकि गुरु परमहंस योगानंद जी यह जानते थे की योग साधना से आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त होता है ।

जब यह ज्ञान लोगों को मिलेगा तो वह अपने जीवन को सफल बनाएंगे । योगानंद परमहंस जी ने सन्यासी बनने की दीक्षा श्री श्री स्वामी श्री युक्तेश्वर गिरजी से ली थी । दीक्षा लेने के बाद वह निरंतर ज्ञान प्राप्त करते गए । उनके विचार लोगों की भलाई के लिए अच्छे  थे । कई ऐसे काम परमहंस योगानंद जी ने किए हैं जिससे शिक्षा का प्रचार प्रसार हुआ है । परमहंस योगानंद जी ने योग शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए योगदा सत्संग सोसाइटी ऑफ इंडिया की स्थापना भी की थी ।

इस सोसाइटी के माध्यम से काफी लोगों को योग शिक्षा का ज्ञान देकर उनको आगे बढ़ाया था और इस सोसाइटी के निर्माण के बाद कई लोगों ने अपने जीवन को सफलता तक पहुंचाया था । इसके बाद परमहंस योगानंद जी ने सेल्फ हेल्प रिलाइजेशन फैलोशिप की स्थापना भी की थी । इस सोसाइटी की स्थापना करने का एक ही मकसद था और वह मकसद योग साधना को बढ़ावा देना था । कई सफल कार्य करने के बाद परमहंस योगानंद जी ने अपने जीवन की समाधि लेने का निश्चय किया था ।

परमहंस योगानंद जी ने 7 मार्च 1952 को लॉस एंजेलिस में समाधि ले ली थी । समाधि लेने के बाद योग साधना के महान गुरुओं के गुरु परमहंस योगानंद जी का जीवनकाल समाप्त हो गया था । उनकी समाधि के बाद सिर्फ उनके द्वारा दिए गए विचार और योग साधना के कई साधन ही हमारे पास थे । समाधि लेने से पहले कई ऐसे महान कार्य परमहंस योगानंद जी कर गए थे जिन कार्यों को हम कभी भी नहीं भुला सकते हैं ।

एक योगी की आत्मकथा नामक पुस्तक के माध्यम से परमहंस योगानंद जी ने यह बताने की कोशिश की है की ईश्वर क्या है ? परमहंस योगानंद जी का यह कहना था कि मनुष्य का आनंद ही उसका ईश्वर है । यदि मनुष्य के जीवन में आनंद नहीं है , उसके जीवन में शांति नहीं है तो वह ईश्वर की प्राप्ति कभी नहीं कर सकता है । जब तक वह मोह माया के जाल से बाहर नहीं निकलता तब तक वह ईश्वर के बारे में नहीं जान सकता है । जब वह ईश्वर को नहीं जानेगा तब कई ऐसे कार्य करेगा जिससे उसको आनंद की अनुभूति नहीं होगी ।

एक योगी की आत्मकथा पुस्तक में परमहंस योगानंद जी के द्वारा लिखी गई सूक्तियां – परमहंस योगानंद जी ने एक योगी की आत्मकथा पुस्तक में कई ऐसी शक्तियों को लिखा है । जिनके माध्यम से मनुष्य के जीवन को एक नई दिशा प्राप्त हुई हैं । उसमें से पहली सूक्ति थी प्रतिष्ठित परंपरा । इस सूक्ति में परमहंस जी ने बताया है कि क्रियायोग दुनिया की सभी क्रियाओं से अच्छी है । क्योंकि योग क्रिया के माध्यम से जीवन की हर ऊंचाइयों तक पहुंचा जा सकता है । योग क्रिया एक ऐसी क्रिया है जिससे हमें अध्यात्मिक ज्ञान की प्राप्ति होती है । दूसरी सूक्ति निजी अनुभव थी ।

इस सूक्ति में , योगी की आत्मकथा में निजी अनुभव को भी बताया गया है । योगानंद परमहंस जी ने अपनेे अनुभवों से यह बताने की कोशिश की है कि जितने महान लोगों को सफलता प्राप्त हुई है । उन सभी  का निजी अनुभव इसमें बताया गया है । परमहंस योगानंद जी के अनुभव भी इस किताब में लिखे गए हैं । इस पुस्तक में योग गुरु परमहंस योगानंद जी ने गुप्त शक्तियों का वर्णन भी किया है । क्योंकि योग साधना में कई गुप्त शक्तियां छुपी हुई होती हैं । जब हम हमारे जीवन को योग शक्ति से जोड़ते हैं तब हमें योग साधना से अध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त होता है और आध्यात्मिक ज्ञान से कई गुप्त शक्तियां हमें प्राप्त हो जाती हैं ।

यदि हम योग साधना से जुड़े रहे तो हमें हजारों तरह के लाभ प्राप्त होते हैं । ऐसी कोई सी भी कल्पना नहीं है जो हम योग साधना से प्राप्त ना कर सकें । योगी की आत्मकथा नामक पुस्तक में यह भी बताया गया है कि लोगों का कल्याण किस तरह से होता है और वह किस तरह से सही रास्ते पर चल सकते हैं । कई कथाओं के माध्यम से योग साधना का प्रचार प्रसार किया गया है । इस पुस्तक में कथा के साथ-साथ कहानियां भी लिखी गई हैं । इन रोचक कहानियों को पढ़कर मनुष्य अपने जीवन को योग साधना से जोड़ सकेगा ।

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