एक गधे की आत्मकथा Ek gadhe ki atmakatha in hindi

Ek gadhe ki atmakatha in hindi

दोस्तों कैसे हैं आप सभी, दोस्तों आज का हमारा आर्टीकल गधे की आत्मकथा पर लिखा गया हैं ये एक काल्पनिक आर्टिकल है यह आर्टिकल केवल आपकी जानकारी के लिए लिखा गया है चलिए पढ़ते हैं हमारे आज के इस काल्पनिक आर्टिकल को।

Ek gadhe ki atmakatha in hindi
Ek gadhe ki atmakatha in hindi

मैं एक गधा हूं मैं अपने मालिक के साथ दिन भर मेहनत करता रहता हूं फिर भी मेरा मालिक मुझे अच्छी तरह से नहीं रखता। मेरा मालिक सुबह सुबह मेरी पीठ पर कपड़े रख कर पास की नदी के किनारे ले जाता है और दिन भर नदी के किनारे कपड़े धोता रहता है उसके बाद वह कपड़ों को मेरे ऊपर रखकर अपने घर ले आता है. मैं रोज-रोज यही कार्य करता हूं और कपड़ों का बोझ उठाता हूं. मैं दिन भर नदी के पास ही धूप में बैठा रहता हूं दोपहर के समय मेरा मालिक भोजन करता है लेकिन मुझे वह सिर्फ दो वक्त खाने को देता है।

सुबह और शाम को दोपहर के समय मैं बस अपने मालिक को देखता रहता हूं. एक दिन दोपहर के समय मेरा मालिक भोजन कर रहा था जब मालिक पानी पीने नदी किनारे के पास गया तो मैं मालिक की रोटियां जहां रखी थी वहां पर गया मैंने देखा कि एक रोटी बची हुई है मैंने वह खाने की कोशिश की इतने में मेरे मालिक ने मुझे बहुत पीटा और उसने छड़ीओं से मेरी काफी देर तक ठुकाई लगाई उस दिन के बाद मैं बस अपने मालिक को खाना खाते हुए देखता हूं लेकिन मेरे मालिक से कुछ कहता नहीं किसी भी तरह की आवाज भी मैं नहीं निकालता चाहे मुझे कितनी भी भूख लगी हो बस मेरी यही जिंदगी है इसी तरह की जिंदगी में काफी सालों से जीता रहा हूं।

सुबह से शाम तक मालिक मुझसे कार्य करवाता है और मैं करता रहता हूं लेकिन मेरा मालिक मेरा ठीक से ख्याल नहीं रखता। शाम को घर आने पर भी भरपेट मुझे भोजन नहीं देता मैं अपनी जिंदगी में बहुत परेशान हूं. लोग सही कहते हैं की गधे की तरह काम क्यों करते हो वास्तव में गधा बहुत मेहनत करता है लेकिन गधे को उसके कार्य के अनुसार इनाम नहीं मिल पाता फिर एक सुबह होती है फिर मैं अपने मालिक के साथ चल पड़ता हूं अपने मार्ग पर फिर शाम को अपनी पीठ पर कपड़ों का बोझा लादकर मैं अपने मालिक के घर आ पहुंचता हूं यही मेरी जिंदगी है। मैं जिंदगी में अपने लिए कुछ नहीं कर पाता मैं बस अपने मालिक के कार्य को करता जाता हूं।

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