दुर्गाबाई देशमुख की जीवनी durgabai deshmukh biography in hindi
durgabai deshmukh biography in hindi
दोस्तों आज हम आपको भारत की एक ऐसी महिला के बारे में बताने जा रहे हैं जिसने हमारे देश को आजाद कराने के लिए अपना योगदान दिया था । उस महिला ने देश के लोगों की सोच को बदलने में भी अपना योगदान दीया था । यह कहा जाता है कि नारी की शिक्षा को लेकर वह बड़ी चिंतित थी । उन्होंने अपना यह मकसद बना लिया था कि देश की महिलाओं और लड़कियों को शिक्षित किया जाए । अब हम उनके बारे में जानेंगे कि उन्होंने किस तरह से देश की स्वतंत्रता में अपना योगदान दिया एवं देश की महिलाओं , लड़कियों को शिक्षित करने के लिए भी क्या योगदान दिया था?

image source – https://en.wikipedia.org/wiki/Durgabai_Deshmukh
प्रारंभिक जीवन – दुर्गाबाई देशमुख का जन्म 15 जुलाई 1909 को आंध्र प्रदेश के राजामुंदरी में हुआ था । वह हमारे देश की प्रथम महिला नेता थी । वह एक मध्यम वर्ग के परिवार में जन्मी थी । उनके माता-पिता उनको बहुत प्रेम करते थे । वह मध्यम वर्ग परिवार में जन्म लेने के कारण कई परेशानियों से ग्रसित थी । उनके अंदर बचपन से ही शिक्षा प्राप्त करने का जज्बा था । वह अपने पड़ोस के लोगों से हिंदी सीखती थी । उनको लोग दुर्गाबाई देशमुख के साथ साथ आयरन लेडी के नाम से भी जानते थे । वह एक अच्छी सामाजिक कार्यकर्ता , वकील एवं राजनीति में भी एक अच्छी नेता थी । दुर्गाबाई देशमुख जी का हमारे भारत को आजाद कराने में महत्वपूर्ण भूमिका रही है । उन्होंने देश की महिलाओं को भी शिक्षा के क्षेत्र में आगे बढ़ाने के लिए भी अपना योगदान दिया था ।
शिक्षा – उन्होंने अपनी प्रारंभिक पढ़ाई घर से प्रारंभ की थी । उनका परिवार गरीब था इसलिए वह अपने पड़ोस के शिक्षकों से हिंदी का ज्ञान लेती रहती थी । वह धीरे धीरे अपने शिक्षा स्तर को आगे बढ़ाती गई और उन्होंने ग्रेजुएशन करके एलएलबी की पढ़ाई पूरी की थी । वह एक अच्छे वकील के रूप में भी जानी जाती थी । उन्होंने अपने साथ साथ देश की महिलाओं को पढ़ाने का जिम्मा भी अपने ऊपर ले लिया था । उस समय जब हमारा देश गुलाम था तब वह कई महिलाओं और लड़कियों को पढ़ाती थी । उन्होंने कई बार अंग्रेजों का विरोध भी किया था कि आप हमारे देश की महिलाओं और लड़कियों को पढ़ाने के लिए विद्यालयों का निर्माण करें लेकिन अंग्रेजों ने उनकी बात नहीं मानी और कई बार वह इस मुद्दे पर आंदोलन भी कर चुकी थी ।
देश को स्वतंत्रता दिलाने में योगदान – दुर्गाबाई देशमुख जी हमारे भारत की एक अच्छी स्वतंत्रता सेनानी थी । वह वकील होने के साथ-साथ एक अच्छी भारतीय नारी भी थी । उस समय में वह हमारे भारत की पहली महिला नेता थी जिन्होंने सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में अपना योगदान दिया था । उन्होंने कभी भी अपने जीवन में हार नहीं मानी थी । जब उन्होंने पढ़ाई के लिए यह दृढ़ संकल्प लिया कि मुझे पढ़ना है और आगे बढ़ना है तो उन्होंने कठिनाइयों का सामना किया और सफल भी हो गई थी । जब उन्होंने एलएलबी की पढ़ाई पूरी की तब वह मद्रास के उच्च न्यायालय में प्रैक्टिस के लिए जाने लगी थी । देश की आजादी के बाद वह सर्वोच्च न्यायालय में भी अपना योगदान देती थी । दुर्गाबाई देशमुख जी को राष्ट्रीय स्वतंत्रता सेनानी के रूप में तब पहचाना गया जब नमक सत्याग्रह आंदोलन शुरू हुआ था । उन्होंने हमारे देश के 2 महान स्वतंत्रता सेनानियों के साथ मिलकर मद्रास के आंदोलन को प्रारंभ किया था ।
उन्होंने ब्रिटिश सरकार का विरोध किया जिसके कारण उनको गिरफ्तार भी कर लिया था ।जब उन्हें गिरफ्तार किया गया तब उन्होंने अंग्रेजों से कहा था कि अब हम तुम्हारी इन नीतियों को देश में नहीं चलने देंगे । जेल से छूटने के बाद वह ब्रिटिश सरकार का विरोध और भी करने लगी थी । कई आंदोलन उनके द्वारा किए गए थे जिसके कारण उनको कई दिनों तक जेल में भी रहना पड़ा था । जब हमारा देश आजाद हो गया तब उनको संविधान सदस्य का अध्यक्ष भी चुना गया था । यह कहा जाता है कि संविधान निर्माण में उनकी अहम भूमिका थी । आजादी के बाद उन्होंने हमारे देश से चुनाव भी लड़ा था और वह चुनाव जीत गई थी ।
उन्होंने सामाजिक कार्य करने के लिए अपना जीवन बिता दिया था । उनका राजनीति में आने का एक ही मकसद था कि वह हमारे देश के नागरिकों को न्याय दिला सकें एवं उनको विकास की ओर बढ़ा सकें। उन्होंने महिलाओं के हक के लिए बहुत से कार्य किए हैं । उन्होंने महिलाओं के लिए आंध्र प्रदेश में महिला सभा की भी स्थापना की थी । उन्होंने महिलाओं को न्याय दिलाने के लिए कई जगहों पर शाखाएं भी खोली थी । उन्होंने समाज को बदलने का प्रयत्न किया और वह कामयाब हो गई थी । उन्होंने समाज की सोच बदलने के लिए भी प्रयास किया था। उनका उद्देश्य था कि हमारी समाज महिलाओं और लड़कियों को शिक्षा दिलाने के लिए आगे बढ़े जिससे हमारे देश का शिक्षा स्तर बढ़े ।
पुरस्कार – हमारे भारत की महिला स्वतंत्रता सेनानी दुर्गाबाई देशमुख जी को पदम विभूषण से सम्मानित किया गया था । इसके साथ-साथ उनको सामाजिक कार्यों के लिए भी कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है ।
मृत्यु – हमारे भारत की महिला स्वतंत्रता सेनानी का देहांत 9 मई 1981 को हो गया था । आज हमें उनकी कमी महसूस होती है । हमारे देश को आजाद कराने में महिला स्वतंत्रता सेनानी दुर्गाबाई देशमुख ने अपना योगदान दिया । आज हम उनको याद करते हैं और आने वाली पीढ़ी भी उनके इस योगदान को नहीं भूलेगी
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