डोरोथी डिक्स जिसने दुसरो के लिए संघर्ष किया “dorothea dix biography”
dorothea dix बोस्टन नगर की रहने वाली थी वह बहुत ही सुंदर थी और शुरू से ही दूसरों के प्रति वह सहानुभूति रखती थी,एक बार ये पागल खाने की ओर गइ तोह उन्होंने देखा की वहां पर बहुत सारी गंदगी और बहुत ही सीलन भरी हुई है जहां पर रहना जानवरों के लिए भी मुश्किल है इस तरह की जगह पर पागल या विक्षिप्त लोगों को रखा जाता था उन्होंने जब उन विक्षिप्त लोगों को देखा तो उन से रहा नहीं गया उन्होंने सोचा कि इन लोगों की हालत सुधारने के लिए हमें इन्हें अच्छे माहौल में रखने की जरूरत है लेकिन इस इस माहौल में वह कभी ठीक नहीं हो सकते है.
dorothea dix ने उसी समय अपने जीवन का लक्ष्य बना लिया और दृढ़ संकल्प किया कि मैं लोगों की दशा सुधारने की पूरी कोशिश करुँगी.दोस्तों उन्होंने जो प्रयास किया वह एक महिला के लिए बहुत ही कथिन था लोग इस किए गए प्रयास के प्रति इनको पागल कहते थे लेकिन वह पागल नहीं थी बल्कि इन्होने एक ऐसी जिद पकड़ ली थी जिससे दूसरे लोगों की मदद होने वाली थी,दोस्तों उन्होंने अपनी मेहनत से इन लोगों के लिए काफी कुछ प्रयास किए लेकिन फिर भी एक बहुत बड़ी सफलता उनसे दूर थी,उनके द्वारा किया गया छोटा सा कार्य जो कोई विशेष नहीं था और उस में लगभग 40 साल का समय हो चुका था,उन्हें उसमे कोई ख़ास सफलता नहीं मिली थी.
दोस्तों लेकिन फिर भी dorothea dix ने हार नहीं मानी और उन्होंने फिर से प्रयास करना शुरू किया वह निराश नहीं हुई बल्कि इस असफलता से उन्हें सफलता के लिए प्रयास करने का और भी जुनून सवार हो गया उन्होंने बड़े अधिकारियों को पागल खाने की स्थिति को बताने के लिए उसके कुछ चित्र खींच कर उनके समक्ष प्रस्तुत किये और जब बड़े अधिकारियों को इस बारे में पता लगा तो उन्होंने पागल लोगों के लिए अच्छे कमरे की व्यवस्था की और कहा कि भविष्य में होने वाले किसी भी तरह की व्यवस्था को हम करेंगे,इससे dorothea dix बहुत खुश थी
इस सफलता को पाने के लिए उन्होंने बहुत प्रयास किया बहुत सारे राज्यों में भ्रमण किया और पैदल चल चल कर उन्होंने लोगों की भलाई के लिए बहुत कुछ सहा,काफी बार वह ऐसे इलाके में पहुंच गई जहां पर उन्हें डाकुओं ने घेर लिया लेकिन किसी तरह से वहां से भी निकल गई क्योंकि उनके अंदर एक साहस था और उस साहस की वजह से उन्हें किसी से डर नहीं लगता था उनकी हिम्मत साहस को देखते हुए डाकुओं के सरदार ने उनको छोड़ दिया.
दोस्तों वह एक महान महिला थी और ऐसी महान मूर्ति दुनिया में कभी कभार ही जन्म लेती हैं उन्होंने उन विक्षिप्त लोगों के साथ जो किया वाकई में सराहनीय है उन्होंने ऐसे लोगों की काफी मदद की और जब तक वह जीवित रहे तब तक वह अपने इस प्रयास को निरंतर करती रही और उन्होंने इस में सफलता भी हासिल की,दोस्तों वाकई में इनके अंदर वह साहस था वह हिम्मत थी जो हर एक नारी के अंदर होना चाहिए हर एक औरत को इनसे सीख लेना चाहिए क्योंकि ऐसी नारी कभी बार बार नहीं आती.
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