दो बैलों की कथा मुंशी प्रेमचंद Do bailon ki katha in hindi

Do bailon ki katha in hindi

दोस्तों कैसे हैं आप सभी, आज हम आपके लिए लाए हैं मुंशी प्रेमचंद्र जी की कहानी दो बैलों की कथा. दोस्तों आज 31 जुलाई को मैं आप सभी को प्रेमचंद्र जी की जयंती की शुभकामनाएं देता हूं. आज के दिन हमारे भारत देश के एक विख्यात कथा सम्राट कहलाने वाले मुंशी प्रेमचंद जी का जन्म हुआ था, आज की हमारी यह कहानी जरूर ही आपको मुंशी प्रेमचंद्र जी की याद दिला देगी. यह कहानी हमने अपनी भाषा में short में लिखी है चलिए पढ़ते हैं आज की इस कथा को

Do bailon ki katha in hindi
Do bailon ki katha in hindi

झूरी के पास दो बैल थे एक का नाम था हीरा और दूसरे का नाम था मोती. दोनों बैल आपस में काफी प्रेम करते थे उनमें भाईचारा था, दोनों आपस में ही मूक भाषा में ही बातें किया करते थे. झूरी उन्हें अच्छा अच्छा चारा, भूंसा डालता जिसे खाकर वो बहुत अच्छी तरह रहते थे. एक दिन झूरी की पत्नी का भाई गया उन दोनों बेलों को अपने साथ ले जाने लगा. बैल कुछ समय तक काफी आश्चर्यचकित हुए उन्हें लगा कि शायद मालिक ने हमें बेंच दिया है, रास्ते में मोती एक और भागता तो हीरा दूसरी ओर भागता.

गया दोनों बैलो को अपने घर ले आया और उन्हें एक स्थान पर बांध दिया, उसने दोनों बेलो को सूखा घास फूस डाल दिया इसलिए बैलों ने उसे नहीं खाया. रात होने पर दोनों बैलो ने वहां से भागने का निश्चय किया और वो रस्सी तोड़कर भाग गए.
सुबह जब झूरी की नींद खुली तो उसने अपने द्वार पर दोनों बेलो को पाया, झूरी की पत्नी नाराज होने लगी लेकिन झूरी काफी स्नेह से भर आया और आस पड़ोस वालों ने इन दोनों बैलों की तारीफ की.

एक दिन फिर से गया आया और दोनों बैलो को फिर से ले जाने लगा इस बार उसने दोनों बैलों को गाड़ी से बांधा और ले जाने लगा
अब गया उन दोनों से काफी सख्ती से काम करवाता था, उन्हें मारता पीटता था, हल चलवाता था. गया के घर में एक छोटी बच्ची रहती थी वह बच्ची रात के समय उन दोनों बेलों को खाना खिलाती थी, रोटियां डाल देती थी. 1 दिन उस बच्ची ने देखा कि दोनों बैल रात के समय रस्सी तोड़ने का प्रयत्न कर रहे हैं तभी उस बच्ची ने दोनों बैलो की रस्सी को खोल दिया और दोनों बैल वहां से भाग गए.

रास्ते में उन्हें एक सांड मिला जो उन दोनों पर आक्रमण कर रहा था तभी एक बैल ने पीछे से सींग मारा और उस सांड को भगा दिया.
वह दोनों आगे की ओर चलने लगे उन्हें हरी हरी मटर का खेत दिखा तभी वह दोनों भूखे थे इसलिए हरी हरी मटर खाने लगे तभी खेत की रखवाली करने वालो ने उन्हें चारों ओर से घेर लिया और उन्हें पकड़कर कांजी होस मैं बंद कर दिया गया. जहां पर उनके साथ और भी कई जानवर थे. हीरा और मोती ने सभी जानवरों को वहां से बाहर निकाला लेकिन वे दोनों वहां से नहीं भागे. सुबह होते ही कांजी होस बालों ने उन्हें नीलाम कर दिया तब एक व्यापारी ने हीरा और मोती को खरीद लिया.

व्यापारी उन दोनों को अपने साथ ले जाने लगा वह अपने गांव जा रहा था की हीरा मोती को वह रास्ता कुछ जाना माना लगने लगा. वह समझ गए थे कि यह हमारे गांव का ही रास्ता है उन दोनों ने जोर से दौड़ लगा दी और अपने घर के दरवाजे पर खड़े हो गए. जैसे ही वह व्यापारी बैलों को दिखा तो उन बेलो ने उस व्यापारी को सींग मारने का प्रयत्न किया तब व्यापारी भाग गया. इधर झूरी काफी खुश हुआ उसने बड़े ही स्नेह से अपने दोनों बैलो को देखा. झूरी ने उन दोनों को अच्छा अच्छा घास भूसा खिलाया और उन्हें सहलाने लगा तभी झूरी की पत्नी वहां पर आई और उसने दोनों बैलो को चूम लिया.

दोस्तों हमें बताएं कि मुंशी प्रेमचंद्र जी की यह कथा Do bailon ki katha in hindi आपको कैसी लगी, इसे अपने दोस्तों में शेयर करना ना भूले.

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