धुले जिले का इतिहास Dhule city history in hindi
Dhule city history in hindi
Dhule city – दोस्तों आज हम आपको इस आर्टिकल के माध्यम से महाराष्ट्र राज्य का जिला धुले के इतिहास के बारे में बताने जा रहे है तो चलिए अब हम आगे बढ़ते हैं और इस आर्टिकल को पढ़कर धुले जिले के इतिहास के बारे में विस्तृत जानकारी प्राप्त करते हैं ।
धुले जिले के बारे में – धुले जिला भारत देश के महाराष्ट्र राज्य का जिला है जो जिला सबसे प्राचीन समय का है ।प्राचीन समय में धुले जिले को पश्चिमी खानदेश के नाम से सभी लोग जानते थे और इस जिले का सबसे प्राचीन नाम रसिका रखा गया था जिस जिले पर कई शासकों के द्वारा शासन किया गया है । धुले जिले का जो क्षेत्रफल है वह क्षेत्रफल 8.063 किलोमीटर प्रति वर्ग है । यदि हम धुले जिले की जनसंख्या की बात करें तो धुले जिले की जनसंख्या 2011 के अनुसार 30 लाख 48 हजार 781 है । धुले जिले में चार उपविभाग हैं और धुले जिले में मुख्यतः मराठी भाषा बोली जाती है ।
यह महाराष्ट्र का सबसे प्राचीन जिले के रूप में पहचाना जाता है । जब भारत देश से ब्रिटिश शासन चला गया था तब इस जिले को धूलिया कहा जाता था जो बाद में धुले जिले के नाम से प्रसिद्ध हुआ था । अब इस जिले के प्राचीन इतिहास के बारे में जानते हैं । जब मुस्लिम शासन काल भारत में प्रारंभ हुआ तब प्रारंभिक मुस्लिम काल समय में इस जिले पर फारूकियो का शासन था । यहां की देखरेख , यहां के लोगों पर शासन फारूकियों के द्वारा किया जाता था परंतु समय बीतने के साथ-साथ जब भारत देश में मुगल साम्राज्य का विस्तार धीरे-धीरे से बढ़ रहा था तब 1601 ईसवी में धुले जिले पर मुगल साम्राज्य का शासन काल प्रारंभ हुआ था ।
इसके बाद धुले जिले के आसपास मुगल साम्राज्य स्थापित हुआ और यहां के आसपास के नागरिक मुगल साम्राज्य के अधीन हो गए थे परंतु धुले जिले के जो मराठी थे उन सभी मराठी को मुगल साम्राज्य के कार्य पसंद नहीं आए थे क्योंकि मुगल साम्राज्य मुस्लिम साम्राज्य के विस्तार में अधिक ध्यान देता था । अन्य धर्म के लोगों के बारे में मुगल साम्राज्य कभी भी नहीं सोचता था । धीरे धीरे धुले जिले में रहने वाले मराठों ने मुगल साम्राज्य का विरोध करना प्रारंभ किया था । जब धुले जिले के मराठीओं के द्वारा मुगल साम्राज्य का विरोध किया गया तब मुगल साम्राज्य पूरी तरह से हिल गया था ।
इसके बाद तकरीबन 18वीं शताब्दी के दौरान मराठों ने मुगल साम्राज्य से धुले जिले को जीत लिया था । इसके बाद जब भारत देश में ब्रिटिश शासन प्रारंभ हुआ तब तकरीबन 1818 में ब्रिटिश अधिकारियों की नजर धुले जिले पर पड़ी और जिले पर अपना आधिपत्य स्थापित करने में ब्रिटिश शासन सफल रही थी । जब यह धुले जिला ब्रिटिश शासन के अधीन हो गया था तब ब्रिटिश शासन के द्वारा इस जिले को बंबई प्रेसीडेंसी में शामिल कर दिया गया था । आज भी महाराष्ट्र का यह धुले जिला काफी लोकप्रिय है । इस जिले से मराठी लोगों की आस्था काफी जुड़ी हुई है । यह जिला प्राचीन समय से ही संघर्ष के लिए पहचाना जाता है ।
महाराष्ट्र राज्य मे रहने वाले लोगों की आस्था महाराष्ट्र के धुले जिले से जुड़ी हुई है । यहां की जनसंख्या काफी अधिक है इसीलिए धुले जिले को चार उपविभाग दिए गए हैं । महाराष्ट्र राज्य का सबसे प्राचीन जिला धुले जिला पूर्व में नीमड जिले की सीमा से लगा हुआ है और दक्षिण में यह धुले जिला भीर और औरंगाबाद से घिरा हुआ है । जब भारत देश आजाद हुआ तब महाराष्ट्र राज्य का प्राचीन जिला धुले जिला का काफी विकास प्रशासन के द्वारा कराया गया है । आज महाराष्ट्र राज्य का प्राचीन धुले जिला निरंतर विकसित होता जा रहा है ।
यहां के लोग प्रशासन की सहायता प्राप्त कर काफी विकसित हो रहे हैं । महाराष्ट्र राज्य का प्राचीन जिला धुले जिला का इतिहास काफी दिलचस्प रहा है । मुगल साम्राज्य से लेकर ब्रिटिश शासन काल तक धुले जिले का इतिहास काफी दिलचस्प रहा है । महाराष्ट्र राज्य का सबसे प्राचीन अद्भुत सुंदर जिला धुले जिला सतपुड़ा पहाड़ियों से सटा हुआ है जिससे इस जिले की लोकप्रियता और भी अधिक बढ़ जाती है ।
जब धुले जिले का विभाजन 1 जुलाई 1988 को किया गया तब इस धुले जिले को दो भागों में विभाजित कर दिया गया था । पहला भाग धुले था और दूसरा भाग नंदुरबार था । धुले जिला तो पहले से ही जिला था । धुले जिला के अंडर में चार तालुका हैं जिनके नाम सकरी , धुले , शीरपुर और शिनखेड़ा है ।
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