धन्ना व भींवा मेहरानगढ़ छतरी का इतिहास Dhanna aur bheeva mehrangarh chhatri history

Dhanna aur bheeva mehrangarh chhatri history

Dhanna aur bheeva mehrangarh chhatri –  दोस्तों आज हम आपको इस आर्टिकल के माध्यम से भारत देश के राजस्थान राज्य के जोधपुर शहर में स्थित  धन्ना व भींवा मेहरानगढ़ छतरी के इतिहास के बारे मे बताने जा रहे हैं । तो चलिए अब हम आगे बढ़ते हैं और इस आर्टिकल को पढ़कर धन्ना व भींवा मेहरानगढ़ छतरी के इतिहास के बारे में जानकारी प्राप्त करते हैं ।

Dhanna aur bheeva mehrangarh chhatri history
Dhanna aur bheeva mehrangarh chhatri history

धन्ना व भींवा मेहरानगढ़ छतरी के बारे में – दोस्तों जैसा कि हम जानते हैं कि राजस्थान शहर में स्थित जोधपुर एक अच्छा और सुंदर शहर है जिस शहर में कई पर्यटन स्थल हैं । जोधपुर शहर के सभी किले , पहाड़ी इलाके दर्शनीय हैं ।जोधपुर में स्थित धन्ना व भींवा मेहरानगढ़ का किला बहुत ही सुंदर अद्भुत है । जिस किले को देखने के लिए भारत देश से ही नहीं बल्कि विदेशों से भी लोग आते हैं और मेहरानगढ़ किले की सुंदरता को देखकर अपने जीवन में आनंद प्राप्त करते हैं । जोधपुर के मेहरानगढ़ किले  पर धन्ना व भींवा मेहरानगढ़ छतरी  स्थित है जिस धन्ना व भींवा छतरी की जितनी भी प्रशंसा की जाए उतनी कम है ।

यह धन्ना व भींवा मेहरानगढ़ छतरी दुर्ग के लोहा पोल दरवाजे के बिल्कुल समिप मे स्थित है । जिस धन्ना व भींवा मेहरानगढ़़ छतरी को देखकर लोगों को आनंद ही आनंद प्राप्त होता है । यदि हम इस धन्ना व भींवा मेहरानगढ़ छतरी की सुंदरता  अपनी आंखों से देखना चाहते हैं तो हमें राजस्थान के जोधपुर जाकर मेहरानगढ़ किले पर घूमनेेे के लिए अवश्य जाना चाहिए । जब हम लोहा पोल दरवाजे  के समीप पहुंचेंगे तब हम धन्ना व भींवा मेहरानगढ़ छतरी की सुंदरता को अपनी आंखों से देख सकेंगे । जब हम अपनी आंखों से  धन्ना व भींवा मेहरानगढ़ छतरी की सुंदरता देखेंगे तब हमेंं पता चलेगा कि वाकई में धन्ना व भींवा मेहरानगढ़ छतरी की सुंदरता बहुत ही सुंदर , अद्भुत और चमत्कारी है ।

जो भी व्यक्ति इस धन्ना व भींवा मेहरानगढ़ छतरी की सुंदरता को देखने के लिए आता है वह कई बार , कई सारे लोगों को लेकर  धन्ना व भींवा मेहरानगढ़ छतरी की सुंदरता को देखने के लिए आता है । अब हम बात करतेे हैं मेहरानगढ़ छतरी के निर्माण के बारे में । राजस्थान के जोधपुर शहर में स्थित मेहरानगढ़़ किले के पास दुर्ग के लोहा पोल दरवाजे के समीप जो धन्ना व भींवा मेहरानगढ़ छतरी बनी हुई है उस छतरी का निर्माण अजीत सिंह के द्वारा कराया गया था । 

जोधपुर के राजाओं की एक प्रथा  हुआ करती थी कि जो भी योद्धा अपने शौर्य और पराक्रम के बल पर अपने राज्य की रक्षा सुरक्षा करने में अपना महत्वपूर्ण योगदान देता था उस महान योद्धा के  पराक्रम को जिंदा रखने के लिए उसकी याद में  इस तरह की छतरी बनाई जाती थी । जब धन्ना व भींवा ने अपने राजा की मृत्यु का बदला लेने के लिए  अपने राज्य की सुरक्षा के लिए लड़़ते-लड़ते अपने प्राणों की आहुति दे दी थी तब  महाराज अजीत सिंह ने मेहरानगढ़ किले मे दुर्ग के लोहा पोल दरवाजे के समीप धन्ना व भींवा की याद में यह 10 खंभों की छतरी बनाई  थी और इस छतरी का नाम  दोनों महान योद्धाओं के नाम पर रखा गया था ।

इसके साथ साथ धन्ना व भींवा मेहरानगढ़ छतरी के पास कीरत सिंह की छतरी भी स्थित है क्योंकि कीरत सिंह भी एक महान योद्धा  था जिसके शौर्य  और पराक्रम की चर्चा आज भी जोधपुर में की जाती है । मेहरानगढ़ छतरी जो 10 खंभों की छतरी है वह अद्भुत और सुंदर दिखाई देती है । इस धन्ना व भींवा मेहरानगढ़ छतरी के जो 10 खंबे हैं वह खंबे बहुत ही मजबूत है । यह दुर्ग बहुत ही सुंदर हैं । इस दुर्ग के संग्रहालय में अकबर की तलवार भी रखी गई है । जब कोई पर्यटक  धन्ना व भींवा मेहरानगढ़ छतरी और किले को देखने के लिए आता है तब वह धन्ना व भींवा मेहरानगढ़ छतरी और आसपास की सुंदरता को देखकर आनंद ही आनंद प्राप्त करता है ।

दुर्ग के संग्रहालय की सुंदरता की जितनी भी प्रशंसा की जाए उतनी कम है । दोस्तों मैं आपको बता देना चाहता हूं कि मेहरानगढ़ का किला जोधपुर शहर से तकरीबन 5 किलोमीटर दूरी पर स्थित सबसे बेहतरीन सुंदर किला है । दोस्तों जोधपुर और मेहरानगढ़ किले की स्थापना महाराज राव जोधा के द्वारा  1459 ईस्वी में कराई गई थी । धन्ना व भींवा मेहरानगढ़ छतरी  एवं मेहरानगढ़ दुर्ग संग्रहालय मे कई तोप रखी हैं । जिसकी सुंदरता बहुत ही सुंदर है । मेहरानगढ़ किले मे रखी फेमस तोपों के नाम इस प्रकार से हैं । 

मेहरानगढ़ किले में शंभू  बाण नाम की एक तोप  स्थित है जिसकी सुंदरता देखने के लायक है । इस तोप को अभय सिंह के द्वारा सर बुलंद खान से जीती गई थी । इसके बाद किला तोप भी बहुत सुंदर अद्भुत तोप है जिस तोप को अजीत सिंह के द्वारा बनवाई गई थी । इसके बाद गजनी खान तोप भी अद्भुत तोप है जिस तोप को गज सिंह 1607 में युद्ध से जीत कर लाए थे । इसके बाद कड़क बिजली तोप  अद्भुत और सुंदर है । यह तोप 560 किलो की है जिस तोप को अभय सिंह के द्वारा मनाई गई थी ।

इस तरह से मेहरानगढ़ छतरी और उसकेे आसपास केेेेेेेे स्थानों की सुंदरता बहुत ही अद्भुत और सुंदर है  जिस सुंदरता के चर्चे चारों तरफ किए जाते हैं ।

 दोस्तों हमारे द्वारा लिखा गया यह बेहतरीन लेख धन्ना व भींवा मेहरानगढ़ छतरी का इतिहास Dhanna aur bheeva mehrangarh chhatri history यदि आपको पसंद आए तो सबसे पहले आप सब्सक्राइब करें इसके बाद अपने दोस्तों एवं रिश्तेदारों में शेयर करना ना भूले । दोस्तों यदि आपको इस आर्टिकल में कुछ कमी नजर आती है तो आप हमें उस कमी के बारे में अवश्य बताएं जिससे कि हम उस कमी को दूर कर सकें धन्यवाद ।

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