देवा शरीफ बाराबंकी का इतिहास dewa sharif barabanki history in hindi
dewa sharif barabanki history in hindi
दोस्तों आज हम आपको इस आर्टिकल के माध्यम से देवा शरीफ बाराबंकी के इतिहास के बारे में बताने जा रहे हैं । चलिए अब हम आगे बढ़ते हैं और देवा शरीफ बाराबंकी के इतिहास को जानते हैं । देवा शरीफ बाराबंकी एक हिंदू एवं मुस्लिम धार्मिक तीर्थ स्थल है । जहां पर हिंदू एवं मुस्लिम दोनों धर्म के लोग दर्शनों के लिए जाते हैं । यह दरगाह उत्तर प्रदेश राज्य के बाराबंकी जिले के देवा नामक कस्बे में स्थित है । यहां पर हिंदू मुस्लिम एकता के पक्षधर एवं प्रतीक हाजी वारिस अली शाह की दरगाह मौजूद है ।
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इस दरगाह को बनवाने में हिंदू मुस्लिम के लोगों ने अपना सहयोग दिया था । इस दरगाह को बनवाने के लिए कन्हैया लाल ने नीव रखी थी । कई हिंदू धर्म के लोग इस दरगाह को बनवाने के उद्देश्य से आगे आए थे और उनके द्वारा काफी धन इस दरगाह को बनवाने के लिए दिया गया था ।हाजी वारिस अली शाह के पिता एक सूफी संत थे । हाजी वारिस अली शाह के हाथों में एक करिश्माई जादू था । उनके द्वारा लोगों की बीमारियां दुख दर्द दूर हो जाते थे ।
वह एक ऐसे मुस्लिम धर्म के व्यक्ति थे जिन्होंने हिंदू मुस्लिम एकता को बढ़ावा दिया था । देवा शरीफ हिंदू मुस्लिम एकता के पक्षधर थे । उनके द्वारा कई मानवता के काम किए गए थे । उन्हीं की याद में बाराबंकी जिले के देवा नामक कस्बे में देवा शरीफ दरगाह बनवाई गई थी ।हाजी वारिस अली शाह को लोग देवा शरीफ के नाम से जानते थे । यह नाम हाजी वारिस अली शाह को जनता के द्वारा प्राप्त हुआ था । सभी लोग उनको देवा शरीफ कहकर पुकारते थे ।
देवा शरीफ कभी भी हिंदू मुस्लिम का भेदभाव नहीं करते थे । वह दोनों धर्म के लोगों को मान सम्मान दिया करते थे । उनका उद्देश्य था कि हिंदू मुस्लिम एकता करना क्योंकि वह जानते थे कि हिंदू मुस्लिम की एकता होना कितना जरूरी है । उनके अच्छे कर्म और उनकी सोच के कारण हिंदू धर्म के कन्हैया लाल ने उनके नाम पर दरगाह बनवाने की नींव रखी थी । कन्हैया लाल के साथ साथ कई हिंदू भाइयों ने भी इस दरगाह को बनवाने में अपना योगदान दिया था ।
आज यह दरगाह हिंदू मुस्लिम दोनों धर्म के लोगों के लिए एक आस्था का केंद्र है । यहां पर लाखों लोग देश-विदेश से आते हैं और देवा शरीफ को चादर चढ़ाकर अच्छे दिनों की कामना करते हैं । अब यह दरगाह उत्तर प्रदेश की सरकार की देखरेख में है । उत्तर प्रदेश की सरकार के द्वारा यहां पर सुंदरता के कार्य करवाए जाते हैं । देवा शरीफ की दरगाह के बाहर कई चादर एवं प्रसाद की दुकानें भी लगी रहती हैं । इस दरगाह की चौखट पर अपना माथा टेकने के लिए हिंदू एवं मुस्लिम धर्म के लोग जाते हैं और अपनी मनोकामना पूरी होने की दुआ करते हैं ।
प्रति वर्ष के अक्टूबर एवं नवंबर के महीने में देवा शरीफ की याद में यहां पर मेला लगाया जाता है । इस मेले को देखने के लिए एवं देवा शरीफ के दर्शनों के लिए काफी लोग देश-विदेश से यहां पर आते हैं । देवा शरीफ की सबसे बड़ी पहचान हिंदू मुस्लिम एकता से हुई थी क्योंकि देवा शरीफ को कौमी एकता का प्रतीक माना जाता है ।
इस दरगाह के बारे में ऐसा कहा जाता है कि होली के समय हिंदू धर्म के लोग यहां पर होली खेलते हैं और एक दूसरे को गुलाल लगाकर गले मिलते हैं । होली त्यौहार के समय हिंदू ,मुस्लिम एवं सिख ईसाई सभी धर्म के लोग यहां पर एकत्रित होते हैं और एक दूसरे को गुलाल लगाकर गले मिलते हैं ।
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