एक डाकू की आत्मकथा निबंध Daku ki atmakatha essay in hindi
Daku ki atmakatha essay in hindi
दोस्तों कैसे हैं आप सभी, आज हम आपके लिए लाए हैं एक डाकू की आत्मकथा पर हमारे द्वारा लिखित यह काल्पनिक आर्टिकल, इस आर्टिकल में हमने अपनी कल्पना के आधार पर एक डाकू से एक अच्छे इंसान बनने तक की काल्पनिक आत्मकथा लिखी है चलिए पढ़ते हैं आज के इस आर्टिकल को
मैं एक डाकू था मैं रामगढ़ का रहने वाला हूं। मेरी डाकू से लेकर एक अच्छे इंसान बनने तक की कहानी वास्तव में काफी रोचक है। मेरे पिताजी हमेशा मुझे स्कूल जाने को कहते थे लेकिन मैं स्कूल जाने की बजाय अपने कुछ बिगड़े हुए साथियों के साथ घूमता फिरता रहता था और बहुत ही कम स्कूल जाता था एक दिन मेरे पिता का देहांत हो गया तो पूरे घर की जिम्मेदारी मुझ पर आ गई तब मेरी उम्र महज 9 साल की थी। मेरी मां हमेशा बीमार रहती थी उसकी बीमारी के इलाज के लिए मुझे पैसों की जरूरत थी मैंने कई बड़े-बड़े सेठो से थोड़े से पैसे उधार देने की बात कही लेकिन उन्होंने मुझे पैसे देने से मना कर दिया क्योंकि मेरे पास कुछ गिरवी रखने के लिए नहीं था।
मैंने कई और लोगों से पैसों की बात की लेकिन किसी ने भी मेरी बात नहीं मानी और इधर मेरी मां की तबीयत और भी ज्यादा खराब होने लगी तभी से मैंने निर्णय लिया कि मैं अपने बिगड़े हुए साथियों के साथ डाकू बन कर लूटपाट करूंगा। अगले दिन मैं अपने कुछ बिगड़े हुए साथियों को अपने साथ ले जाकर एक शादी के समारोह में पहुंच गया उस शादी के समारोह में सभी मेहमान खाना खा रहे थे तभी मेरे 20 और साथियों ने जाकर वहां पर उन सभी को घेर लिया और बंदूके दिखाकर सभी को लूट लिया।
जिन बड़े-बड़े से सेठो ने मुझे पैसे देने को मना किया था उनके घर भी मैंने लूट पात की। धीरे-धीरे मैंने कुछ शहरों के धनी लोगों को लूटना शुरू कर दिया और साथ में मैं लोगों का अपहरण करके उनसे पैसे भी मांगता था धीरे-धीरे मैं इतना प्रसिद्ध हो गया कि कई शहरों के लोग मेरे सिर्फ नाम से ही डर जाते थे। मैं अपनी प्रसिद्धि को देखकर काफी खुश था मेरे बराबर प्रसिद्ध डाकू उस समय कोई नहीं था। बच्चे, बूढ़े, नौजवान सभी मेरे नाम से ही डर जाते थे।
मैंने लगभग 20 साल तक डकैती की लेकिन एक बार मेरे साथ एक ऐसी घटना हुई जिसने मेरा मन परिवर्तित कर दिया और मैंने पुलिस को आत्मसमर्पण करना उचित समझा दरअसल हुआ कुछ यूं था की एक दिन मैं किसी के घर पर डकैती डालने गया था तब सब कुछ लुटने के बाद में जैसे ही वहां से निकल रहा था तभी एक 8 साल का बच्चा मेरे आगे आकर रोने लगा, कहने लगा कि मेरी मां को कैंसर है इलाज कराने के लिए हमें काफी रुपयों की जरूरत है यदि आप हमारा सब कुछ लूट ले जाओगे तो मेरी मां मर जाएंगी और मैं अनाथ हो जाऊंगा।
यह कह कर वो बच्चा रोता रहा, उसकी आंखों में आंसू देखकर मेरी आंखों में आंसू आ गए मुझे अपने बचपन के वह दिन याद आ गए मैंने सोचा कि मैंने अपनी इस तरह की परिस्थिति को बदलने के लिए ही डाकू बनने का फैसला लिया था, मैं अपनी परिस्थिति को तो बदल ना सका लेकिन यदि मैंने इन लोगों का धन लूट लिया तो बेचारे इस मासूम बच्चे का भी भविष्य बर्बाद हो जाएगा।
मैंने सोचा कि वास्तव में मैं जो कर रहा हूं वह गलत कर रहा हूं मैंने अपने सुख के लिए अभी तक काफी ऐसे कम उम्र के बच्चों को बेसहारा कर दिया होगा, मैंने काफी लोगों को इस तरह का दुख दिया होगा तब उसी समय मैंने निर्णय लिया कि मैं अब डकैती करना बंद कर दूंगा। मैं अपने आपको पुलिस को समर्पित कर लूंगा। आज मैंने अपनी सजा पूरी कर ली है मेरे अच्छे व्यवहार को देखते हुए सभी ने मेरी तारीफ भी की थी। आज मैं अपना थोड़ा सा समय और एक नॉरमल इंसान की तरह व्यतीत कर रहा हूं। आप सभी से मैं कहना चाहूंगा कि थोड़े से लाभ के लिए आप कभी भी किसी भी तरह का गलत कार्य ना करें, सच्चाई और ईमानदारी के रास्ते पर चलें तो आप जरूर ही आगे बढ़ेंगे।
दोस्तों हमारे द्वारा लिखित डाकू की आत्मकथा Daku ki atmakatha essay in hindi पर लिखा यह काल्पनिक आर्टिकल आपको कैसा लगा हमें जरूर बताएं।
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