कोरोना पीड़ित की आत्मकथा Corona pidit ki atmakatha in hindi essay

Corona pidit ki atmakatha in hindi essay

दोस्तों कैसे हैं आप सभी, आज हम आपके लिए लाए हैं कोरोनावायरस से पीड़ित मरीज की हमारे द्वारा लिखी काल्पनिक आत्मकथा।

हमारे द्वारा लिखा यह काल्पनिक आर्टिकल केवल आपके नॉलेज के लिए लिखा गया है तो चलिए पढ़ते हैं आज के हमारे इस आर्टिकल को

Corona pidit ki atmakatha in hindi essay
Corona pidit ki atmakatha in hindi essay

मैं कोरोनावायरस से पीड़ित मरीज हूं। जब मुझे तेज खांसी और बुखार आ रहा था तभी मैं अपने परिवार के लोगों के साथ हॉस्पिटल में गया हुआ था। हॉस्पिटल में मेरी जांच हुई और जब कोरोना पॉजिटिव रिपोर्ट आई तब मैं काफी डर गया था मुझे बिल्कुल भी उम्मीद नहीं थी कि मैं बच पाऊंगा।

मुझे लगातार खांसी हो रही थी और तेज बुखार आ रहा था, श्वास भी मैं ठीक तरह से नहीं ले पा रहा था इसी तरह से समय गुजर रहा था। मैं हॉस्पिटल के एक कमरे में अकेला बंद था मुझे उस हॉस्पिटल के कमरे में आइसोलेट हुए धीरे-धीरे कई दिन लग गए तब बार-बार कोरोना की मेरी जांच हुई।

मैं कभी पॉजिटिव आता तो कभी नेगेटिव आता। जब निगेटिव रिपोर्ट मेरी आती तो कुछ समय तक मुझे काफी खुशी मिलती लेकिन यह खुशी मेरी ज्यादा देर नहीं रहती क्योंकि कुछ समय बाद ही मेरी रिपोर्ट पॉजिटिव आ जाती। आज मुझे लगभग 20 दिन हो चुके हैं आज भी मैं हॉस्पिटल में एक कमरे में आइसोलेट हूं।

मुझे खुशी इस बात की है कि मैं अब नॉर्मल हूं लेकिन अभी भी मेरी रिपोर्ट पॉजिटिव ही आई है। हॉस्पिटल के डॉक्टर्स का कहना है कि जल्द से जल्द आपकी रिपोर्ट निगेटिव आएगी और आप अपने घर पर जा पाओगे।

दरहसल शुरुआत में मैं जब कोरोनावायरस से पॉजिटिव आया था तब काफी डर गया था लेकिन मैंने महसूस किया कि डर अपने आपको और भी कमजोर बना देता है इसलिए मैंने हिम्मत नहीं हारी और मैं डटकर इस बीमारी का सामना करता रहा।

हॉस्पिटल में ही मैंने कुछ समय तक एक्सरसाइज की तो कोरोनावायरस धीरे-धीरे दूर होता गया और मुझे भी अंदर से ऐसा महसूस होने लगा कि मैं जल्द से जल्द पूरी तरह से स्वस्थ होकर अपने घर जा पाऊंगा। आज भी मेरे परिवार वाले मुझसे मिलने के लिए आते हैं लेकिन मैं सिर्फ उनको दूर से देख पाता हूं क्योंकि बीमारी एक दूसरे को तेजी से फैलने वाली बीमारी है

इसलिए मैं हमेशा यही चाहता हूं कि जब बीमारी दूर होगी तभी मैं अपने परिवार वालों के समीप जाऊंगा क्योंकि मैं अपने परिवार वालों को किसी भी खतरे में डालना नहीं चाहता।

दोस्तों मेरे द्वारा लिखी कोरोना पॉजिटिव मरीज की आत्मकथा Corona pidit ki atmakatha in hindi essay आपको कैसी लगी हमें जरूर बताएं। हमारे द्वारा लिखी यह आत्मकथा आप अपने दोस्तों में शेयर करें और हमें सब्सक्राइब भी करें धन्यवाद।

Add a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *