महाद्वीपीय व्यवस्था पर एक निबंध Continental system essay in hindi
Continental system essay in hindi
Continental system – दोस्तों आज हम आपको इस आर्टिकल के माध्यम से महाद्वीपीय व्यवस्था पर लिखे निबंध के बारे में बताने जा रहे हैं । तो चलिए अब हम आगे बढ़ते हैं और इस आर्टिकल को पढ़कर महाद्वीपीय व्यवस्था पर लिखे निबंध के बारे में विस्तृत जानकारी प्राप्त करते हैं ।

महाद्वीपीय व्यवस्था के बारे में – महाद्वीपीय व्यवस्था नेपोलियन के द्वारा प्रारंभ की गई व्यवस्था थी जिस व्यवस्था के अंतर्गत नेपोलियन ने ब्रिटेन से संघर्ष किया था । जब नेपोलियन ब्रिटेन के विरुद्ध संघर्ष छेड़ने की तैयारी कर रहा था तब नेपोलियन के द्वारा ब्रिटेन सरकार से कई बार युद्ध किया गया था । जब नेपोलियन ब्रिटेन की व्यवस्था को भंग करने में लगा था तब ब्रिटेन की सेना और ब्रिटेन की राजनेताओं के द्वारा नेपोलियन की नीति को चकनाचूर कर दिया गया था । नेपोलियन ने महाद्वीपीय व्यवस्था लागू करके ब्रिटेन सरकार की विदेश नीति को भंग करने की कोशिश की थी ।
जब ब्रिटेन सरकार ने यह देखा कि नेपोलियन ब्रिटेन सरकार के खिलाफ निरंतर कार्य कर रहा है , ब्रिटेन सरकार को खत्म करने का प्रयास नेपोलियन कर रहा है तब ब्रिटेन सरकार के राजनेताओं के द्वारा 16 मई 1806 को ब्रिटेन सरकार के सभी अधिकारियों की सलाह पर फ्रेंच कोस्ट की नाकेबंदी कर दी गई थी । जब ब्रिटेन सरकार के द्वारा फ्रेंच कोस्ट की नाकाबंदी की गई तब नेपोलियन ने इस नाकेबंदी का विरोध व्यक्त किया और अपने सहयोगियों के साथ मिलकर ब्रिटेन के इस नाकेबंदी का जवाब देते हुए 21 नवंबर 1806 को बर्लिन डिक्री का ऐलान नेपोलियन के द्वारा किया गया था ।
जब नेपोलियन के द्वारा बर्लिन डिग्री का ऐलान किया गया तब बर्लिन डिक्री के माध्यम से ब्रिटेन का जो व्यापार बड़े पैमाने पर चल रहा था उस व्यापार पर प्रतिबंध लगा दिया था । परंतु यह बर्लिन डिक्री का प्रतिबंध अधिक समय तक ब्रिटेन पर लागू नहीं किया जा सका था और ब्रिटेन के अथक प्रयासों के बाद बर्लिन डिक्री का अंत हुआ था । बर्लिन डिक्री का अंत 11 अप्रैल 1814 को हो गया था जिसके बाद नेपोलियन और भी क्रोधित हो उठा था । जब 1814 को बर्लिन डिक्री का अंत हुआ तब नेपोलियन काफी घबरा गया था और वह पद त्याग करने पर विचार करने लगा था । अंत में नेपोलियन के द्वारा अपना पद त्याग दिया गया था ।
जब नेपोलियन के द्वारा बर्लिन डिक्री का ऐलान किया गया तब नेपोलियन यह सोच रहा था कि जब ब्रिटेन सरकार पर व्यापार करने पर रोक लगेगी तब ब्रिटेन सरकार को काफी आर्थिक क्षति होगी और ब्रिटेन सरकार घुटने टेकने पर मजबूर हो जाएगी परंतु ऐसा नहीं हो सका । ब्रिटेन सरकार के अधिकारियों के द्वारा व्यापार के क्षेत्र में प्रतिबंध लगने के बाद समझदारी के साथ उन्होंने अन्य देशों से संपर्क बनाए और नेपोलियन के द्वारा बर्लिन डिक्री का विरोध व्यक्त किया थाा । सरकार ने नेपोलियन की बगावत को नाकाम कर दिया था ।
इसके बाद ब्रिटेन सरकार ने स्पेन और रूस के रास्ते व्यापार के लिए रास्ते खोलें और दोनों देशों के साथ अपनी दोस्ती कायम की थी जिसके बाद ब्रिटेन व्यापार के क्षेत्र में आगे बढ़ता गया था । जब नेपोलियन को यह पता चला कि ब्रिटेन स्पेन और रूस देशों के साथ व्यापार कर रहा है तब नेपोलियन ने अपनी सेन्य व्यवस्था के साथ मिलकर स्पेन और रूस पर हमला कर दिया था क्योंकि नेपोलियन यह जानता था यदि स्पेन और रूस के द्वारा ब्रिटेन की सहायता की गई तो ब्रिटेन को हराना मुश्किल है । नेपोलियन की नीति शुरुआत से यही रही थी कि वह अपना साम्राज्य स्थापित कर सकें ।
अपने साम्राज्य को चारों तरफ फैला सकें । परंतु जब ब्रिटेन ने नेपोलियन के साम्राज्य को नष्ट करने की कोशिश की , नेपोलियन को साम्राज्य स्थापित करने से रोका गया तब नेपोलियन के द्वारा ब्रिटेन के विरुद्ध कार्यवाही की गई थी । नेपोलियन ने ब्रिटेन को अपना सबसे बड़ा शत्रु मान लिया था । उस समय ब्रिटेन देश की नौसैनिक शक्ति काफी अधिक थी ।फ्रांस के मुकाबले में यदि देखा जाए तो ब्रिटेन की जो नौसैनिक शक्ति थी वह काफी मजबूत थी । नेपोलियन ने काफी प्रयास किए परंतु उसके अधिक से अधिक प्रयास असफल रहे थे ।
नेपोलियन ने ब्रिटेन को हराने के लिए ब्रिटेन या इंग्लैंड को आर्थिक दृष्टि से कमजोर करने के लिए नीति बनाकर महाद्वीपीय व्यवस्था लागू की थी । परंतु उसके सभी प्रयास असफल रहे थे । नेपोलियन ने ब्रिटेन को हराने के लिए कई आदेश पारित किए थे जिन आदेशों में नेपोलियन का सबसे बड़ा आदेश बर्लिन आदेश था । इस आदेश के माध्यम से नेपोलियन इंग्लैंड की आर्थिक स्थिति पर चोट करना चाहता था । इसके साथ साथ नेपोलियन के द्वारा मिलान आदेश दिया गया था । इस तरह से नेपोलियन के द्वारा ब्रिटेन को क्षति पहुंचाने के लिए महाद्वीपीय व्यवस्था लागू की गई थी जो असफल रही थी ।
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