चित्तौड़गढ़ बोलने लगा तो निबंध Chittorgarh bolne laga to essay in hindi
Chittorgadh Bolne Laga To Nibandh
Chittorgarh – दोस्तों आज हम आपको इस आर्टिकल के माध्यम से चित्तौड़गढ़ बोलने लगा तो पर लिखे निबंध के बारे में बताने जा रहे हैं । तो चलिए अब हम आगे बढ़ते हैं और इस जबरदस्त आर्टिकल को पढ़कर चित्तौड़गढ़ बोलने लगा तो पर लिखे निबंध के बारे में जानकारी प्राप्त करते हैं ।
Image source – https://en.m.wikipedia.org/wiki/Siege_
चित्तौड़गढ़ के बारे में – भारत देश के चित्तौड़गढ़ का इतिहास काफी दिलचस्प रहा है । चित्तौड़गढ़ के किला का इतिहास भी जानने के योग्य है । चित्तौड़गढ़ का किला प्राचीन समय की दास्तां व्यक्त करता है । चित्तौड़गढ़ को देखने के बाद ऐसा लगता है मानो चित्तौड़गढ़ प्राचीन इतिहास को बयां कर रहा हो ।
चित्तौड़गढ़ किला को विश्व हेरिटेज साइट मे शामिल किया गया है । प्राचीन समय में चित्तौड़गढ़ मेवाड़ की राजधानी के नाम से जानी जाती थी । सबसे पहले चित्तौड़गढ़ पर गुहिलोट का शासन काल था । जिसके द्वारा चित्तौड़गढ़ पर पहली बार शासन किया गया था ।
इसके बाद चित्तौड़गढ़ पर सिसोदिया का शासन काल प्रारंभ हुआ था । चित्तौड़गढ़ में जो किला बना हुआ है उस किले का निर्माण तकरीबन सातवीं शताब्दी के दौरान किया गया था । इस किले के निर्माण में मौर्य शासकों का महत्वपूर्ण योगदान रहा है । यह किला मौर्य शासन काल में बनवाया गया था । जिसके बाद इस किले की प्रशंसा चारों तरफ की जाने लगी थी ।
समय बीतने के साथ-साथ चित्तौड़गढ़ पर कई राजाओं के द्वारा शासन किया गया था । चित्तौड़गढ़ पर राजपूत के सूर्यवंशी शासकों के द्वारा शासन किया गया था और तकरीबन सातवीं शताब्दी के दौरान राजपूतों के द्वारा यहां पर शासन किया गया था ।
जो राजपूतों के द्वारा शासन 1568 तक किया गया था । इसके बाद 1567 ईसवी में अकबर की नजर इस किले पर पड़ी और अकबर ने अपने सैनिकों के साथ मिलकर इस किले पर हमला कर दिया था । अकबर ने जब यह देखा कि यह किला सबसे सुंदर पहाड़ी पर बना है , जो 180 मीटर पहाड़ी की ऊंचाई पर बना हुआ है
जिससे इसकी सुंदरता बहुत अच्छी लगती है तब अकबर ने इस किले पर अपना शासन करने का प्रयास किया था । यदि हम इस किले की लड़ाई के बारे में बता करें तो इस किले को हासिल करने के लिए 15 और 16 वीं शताब्दी के दौरान कई राजा , महाराजाओं के द्वारा इस किले को लूटा गया था ।
कई राजा महाराजाओं ने इस किलो को हासिल करने के लिए लड़ाई की थी । 1303 ईस्वी में अलाउद्दीन खिलजी ने इस किले को हासिल करने के लिए अपनी सेना के साथ मिलकर राणा रतन सिंह से युद्ध किया था और इस युद्ध में अलाउद्दीन खिलजी की जीत हुई थी । जिसके बाद अलाउद्दीन खिलजी ने इस किले पर शासन किया था ।
1535 ईस्वी में गुजरात के रहने वाले सुल्तान बहादुर शाह ने इस किले को हासिल करने के लिए विक्रम जीत सिंह से युद्ध करने की घोषणा की थी और दोनों के बीच में घमासान युद्ध हुआ था । जिस युद्ध में सुल्तान बहादुर को जीत हासिल हुई थी ।
इसके बाद 1567 ईस्वी में अकबर ने इस किले पर अपनी हुकूमत लागू करने के लिए महाराणा सिंह से युद्ध करने की घोषणा की थी । जिस युद्ध में अकबर की जीत हुई थी और अकबर ने इस चित्तौड़गढ़ किले पर अपना शासन लागू किया था । चित्तौड़गढ़ की रक्षा सुरक्षा के लिए राजा महाराजाओं के साथ-साथ बहा के बच्चों और महिलाओं ने भी अपनी जान की कुर्बानी दी थी । राजपूत सैनिकों के द्वारा चित्तौड़गढ़ के राज्य की रक्षा सुरक्षा के लिए युद्ध किया गया था । जिस युद्ध में कई राजपूत सैनिक मारे गए थे ।
जब राजपूत सैनिक लड़ाई में मारे गए थे तब चित्तौड़गढ़ राज्य की महिलाओं ने जौहर लेने का फैसला किया था और महिलाओं में सबसे पहले जौहर राणा रतन सिंह की पत्नी ने लिया था । जिसके बाद चित्तौड़गढ़ की महिलाओं ने जौहर लिया था । इसीलिए कहते हैं चित्तौड़गढ़ अपने प्राचीन इतिहास के बारे में बोलने लगा है ।
वहां के इतिहास को जानने के बाद चित्तौड़गढ़ की महानता और वहां के लोगों की कुर्बानियां याद दिलाती है । राजपूतों के संघर्ष की कहानी चित्तौड़गढ़ बयां करता है । चित्तौड़गढ़ के निर्माण से लेकर चित्तौड़गढ़ के भयंकर युद्ध की दास्तां , चित्तौड़गढ़ किले के निर्माण की दास्तां इतिहास को पढ़ने के बाद मालूम पड़ती है ।
जब हम आज चित्तौड़गढ़ किले को देखने के लिए जाते हैं तब हमें चित्तौड़गढ़ की सुंदरता मालूम पड़ती है । चित्तौड़गढ़ किले की सुंदरता इतनी अद्भुत और चमत्कारी है कि इस किले को वर्ल्ड हेरिटेज साइट में शामिल किया गया है ।
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