चींटी की आत्मकथा chiti ki atmakatha in hindi

chiti ki atmakatha in hindi

दोस्तों आज हम आपके लिए लाए हैं एक चींटी की आत्मकथा पर हमारे द्वारा लिखित यह काल्पनिक निबंध।आप इसे जरूर पढ़ें तो चलिए पढ़ते हैं चींटी की आत्मकथा को।

chiti ki atmakatha in hindi
chiti ki atmakatha in hindi

मैं एक चींटी हूं, मेरा आकार बहुत ही छोटा है मेरा परिवार आपके परिवार से कई गुना होता है। मैं हमेशा जागती रहती हूं और जो भी मुझे खाद्य पदार्थ दिखता है मैं उसे अपने साथ ले चलती हूं। मुझे मीठी चीजें खाना बहुत ही पसंद है मैं फल फूल, अनाज के दाने, मक्खन खाती हूं। भगवान ने मुझे सुनने की क्षमता इतनी तेज दी है कि यदि आस पास इस तरह की मीठी चीजें हैं तो मैं खोजबीन करके उन खाद्य सामग्रियों के पास पहुंच जाती हूं जब इस तरह की खाद्य सामग्री को मैं अपने साथ ले जाती हूं तो कई  लोग तो काफी चिड़चिड़ा जाते हैं क्योंकि कभी-कभी मैं उन्हें काफी सताती हूं।

कुछ लोग मुझसे डर भी जाते हैं मैं एक श्रंखला में रहना पसंद करती हूं। हम अपने भोजन को एकत्रित करने के लिए एक श्रंखला में जाते हैं और बड़े-बड़े खाद्य पदार्थों के भी टुकड़े टुकड़े कर डालते हैं और उन टुकड़ों को ऊपर उठाकर ले जाते हैं और अपने परिवार का भरण पोषण करते हैं। मेरी कई प्रजातियां हैं कई प्रजातियां काफी जहरीली होती हैं लोग मेरी उन प्रजातियों से काफी अधिक डरते हैं क्योंकि वह अगर काट ले तो काफी दर्द होता है।

ऐसा भी माना जाता है कि चींटी हाथी को भी मार सकती है बहुत सारे जानवर, पशु पक्षियों एवं मनुष्यों की गिनती कर पाना संभव है लेकिन मेरी गिनती आज तक कोई भी नहीं कर पाएगा, न हीं अभी तक की जा सकी है क्योंकि मैं आकार में काफी छोटी होती हूं मैं मनुष्य से भी अधिक संख्या में पाई जाती हूं। बहुत सारे लोग ऐसे होते हैं जो मुझे जान से मार डालते हैं मुझे नुकसान पहुंचाते हैं लेकिन मनुष्य की इन प्रजातियों में कुछ ऐसे दयावान लोग भी होते हैं जो मुझे अनाज, आता, शक्कर आदि से बनी चीजें खिलाते हैं वह किसी पेड़ के किनारे पर उन चीजों को रख देते हैं मैं दूर से सूंघती सूंघती वहां पर पहुंच जाती हूं मैं काफी फुर्तीली होती हूं।

मेरा घर गुफाओ जैसा गहरा होता है जो मैं बड़ी मेहनत से बनाती हूं। हम हमेशा जागती रहती हैं और भोजन सामग्री को इकट्ठा करती जाती हैं मेरे बारे में लोगों का यह भी मानना है कि चीटी एक बार जो करने की थाम ले भले ही बार बार गिरे तो भी मैं उस काम को नहीं छोड़ती वास्तव में यह सत्य है मैं अपने कार्य के प्रति ईमानदार रहती हूं मनुष्य को मुझसे सीख लेना चाहिए।

मैं हमेशा परेशान करती रहती हूं, कभी-कभी मनुष्य मेरे कामों से काफी गुस्सा भी हो जाता है क्योंकि मनुष्य मुझसे कुछ चीजें बचाने के लिए छुपा कर रख देता है लेकिन मैं ईश्वर की प्रदान की हुई इस सुगंध वाली शक्ति की वजह से उस छुपे हुए स्थान पर भी पहुंच जाती हूं और उस मिष्ठान सामग्री को अपने साथ ले जाने का प्रयत्न करती हूं।

कभी-कभी लोग मुझे अपने घर से भगाने के लिए काफी प्रयत्न करते हैं काफी यत्न करने के बाद भी कभी-कभी मैं नहीं भागती। कई कीट होते हैं जो मुझे खाकर अपनी जीविका चलाते हैं, कई तरह की चिड़िया, छिपकली मुझे खाकर अपनी जीविका चलाते हैं। जब भी कोई हम पर हमला करता है तो हम हमारे छोटे से जडवे से उसको पकड़ कर काट देते हैं और बचने का प्रयत्न करते हैं।

दोस्तों हमें बताएं कि चींटी की आत्मकथा पर हमारे द्वारा लिखा यह काल्पनिक आर्टिकल chiti ki atmakatha in hindi आपको कैसा लगा पसंद आए तो इसे अपने दोस्तों में शेयर जरूर करें।

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