छायावादी कविता Chayavadi poems in hindi

Chayavadi kavita in hindi

दोस्तों जयशंकर प्रसाद और सुमित्रानंदन पंत छायावाद के चार प्रमुख स्तंभों में से हैं आज हम इन्हीं दोनों की कविता आपके साथ शेयर करने वाले हैं तो चलिए पढ़ते हैं इनकी कविता को

Chayavadi poems in hindi
Chayavadi poems in hindi

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जयशंकर प्रसाद की कविता

आह! वेदना मिली विदाई
मैंने भ्रमवश जीवन संचित
मधुकरियो की भीख लुटाई

छलछल थे संध्या के श्रमकण
आंसू से गिरते थे प्रतिक्षण
मेरी यात्रा पर लेती थी
नीरवता अनंत अंगडाई

श्रमित स्वप्न की मधुमाया में
गहन विपिन की तरु छाया में
पथिक उनींदी श्रुति में किसने
यह विहाग की तान उठाई

लगी सत्रष्ण दीठ थी सबकी
रही बचाए फिरती कब की
मेरी आशा आह बावली
तूने खो दी सकल कमाई

चड़कर मेरे जीवन रथ पर
प्रलय चल रहा अपने पथ पर
मैंने निज दुर्बल पद बल पर
उससे हारी होड़ लगाई

लोटा लो यह अपनी थाती
मेरी करुणा हा हा खाती
विश्व न संभलेगी यह मुझसे
इसने मन की लाज गंवाई

सुमित्रानंदन पन्त की कविता

बूढ़ा चाँद
कला की गोरी बाहों में
क्षण भर सोया है

यह अम्रत कला है
शोभा असि
वह बूढ़ा प्रहरी
प्रेम की ढाल

हाथी दांत की
स्वप्नों की मीनार
सुलभ नहीं
न सही
ओ बाहरी
खोखली समते
नाग दंतो
विष दंतो की खेती
मत उगा

राख की ढेरी से ढंका
अंगार सा
बूढ़ा चाँद
कला के विछोह में
म्लान था
नए अधरों का अमृत पीकर
अमर हो गया

पतझर की ठूंठी टहनी में
कुहासो के नीड़ में
कला की क्रश बाहों में झूलता
पुराना चाँद ही
नूतन आशा
समग्र प्रकाश है

वही कला
राका शशि
वही बूढ़ा चाँद
छाया शशि है

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