चरित्र ही सबसे बड़ा धन है निबंध essay on charitra hi sabse bada dhan hai in hindi
Essay on charitra hi sabse bada dhan hai in hindi
दोस्तों आज मैं आपको यह बताने जा रहा हूं कि चरित्र ही मनुष्य का सबसे बड़ा धन होता है । जब तक मनुष्य का चरित्र ठीक नहीं होगा तब तक वह अपने जीवन में सफलता प्राप्त नहीं कर पाएगा क्योंकि जब मनुष्य का चरित्र ठीक नहीं होता है तो वह गलत रास्तों पर चल पड़ता है । चरित्र से मनुष्य की पहचान की जाती है अगर किसी व्यक्ति का चरित्र अच्छा है तो वह कभी भी किसी अन्य व्यक्ति के साथ बुरा नहीं करेगा वह सभी दूसरों की भलाई के काम करता है ।
जब हम छोटे होते हैं तब हमें शिक्षा प्राप्त करने के लिए स्कूलों में भेजा जाता है जहां पर हम ज्ञान की बातें सीख कर आगे बढ़ते हैं । हमें कोशिश करना चाहिए की हम अपने बच्चों को अच्छे संस्कार दें और उनको यह बताएं की जब हमारा चरित्र अच्छा होगा तो हम सही रास्ते पर चलेंगे और हमारा भविष्य उज्जवल होगा । अगर कोई व्यक्ति हमें गलत रास्ते पर चलाने की कोशिश करता है तो हमें हमारे दिमाग से यह निर्णय लेना चाहिए कि वह काम हमारे लिए सही है या गलत । कई विद्वान लोगों ने कहा है कि जिस मनुष्य का चरित्र ठीक होता है उसका व्यवहार दूसरों के प्रति ठीक होता है वह दूसरों से ईर्ष्या नहीं करता है ।
हम लोगों को कभी भी घमंड नहीं करना चाहिए क्योंकि घमंड करने से हमारा जीवन नष्ट हो जाता है , हम आगे नहीं बढ़ पाते हैं । कभी भी हमें झूठ नहीं बोलना चाहिए क्योंकि जो व्यक्ति झूठ बोलता है उस व्यक्ति पर कोई भी विश्वास नहीं करता है । हमें सदैव सच्चाई का साथ देना चाहिए जो व्यक्ति सच्चाई के रास्ते पर चलता है उसे शुरुआत में कठिनाइयां तो आती है लेकिन जब सफल व्यक्ति बन जाता है तब उसे बड़ी खुशी होती है ।
जिस व्यक्ति का चरित्र खराब होता है वह दूसरों के साथ अच्छा व्यवहार नहीं रखता है वह सिर्फ अपनी भलाई के लिए दूसरों को नुकसान पहुंचाता है । वह व्यक्ति सदैव झूठ बोलता है उस व्यक्ति को किसी की परवाह नहीं होती है । मनुष्य का सबसे बड़ा धन चरित्र ही माना गया है । मनुष्य अपने चरित्र के द्वारा कुछ भी प्राप्त कर सकता है । महात्मा गांधी हमारे देश के एक अच्छे व्यक्ति थे जिन्होंने अपने चरित्र से पूरी दुनिया में नाम कमाया है । महात्मा गांधी जी कभी भी झूठ नहीं बोलते वह सदैव सत्य के साथ चलते थे और दूसरों के प्रति दया भाव रखते थे उन्होंने कहा है की सत्यमेव जयते सत्य की हमेशा जीत होती है ।
हमारे देश के कई महान कवियों और संतों ने भी कहा है कि हमें कभी भी अपने चरित्र को खराब नहीं करना चाहिए क्योंकि जिस व्यक्ति का चरित्र खराब हो जाता है उस व्यक्ति से कोई भी प्रेम नहीं करता है । उसके आस पड़ोस के व्यक्ति भी उस पर भरोसा नहीं करते हैं। उसका परिवार भी उस व्यक्ति से प्रेम नहीं करता है, उसके मित्र भी उसके पास जाने से डरते हैं । इसलिए हमें कोशिश करना चाहिए कि हम सदैव सत्य के रास्ते पर चलें और अपने चरित्र को खराब ना होने दें । हमें सदैव दया भाव जैसी भावना रखना चाहिए । हमें कभी भी किसी दूसरे व्यक्ति के बारे में बुरा नहीं सोचना चाहिए । हमें कभी भी क्रोध नहीं करना चाहिए क्योंकि जो व्यक्ति क्रोध में होता है वह ना तो अपना भला कर पाता है और ना ही दूसरों का भला करता है । मनुष्य को बर्बाद करने वाला सबसे बड़ा कारण है क्रोध जो व्यक्ति क्रोध त्याग देता है और दया भाव की भावना रखता है वह व्यक्ति सदैव सफल होता है ।
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