चलचित्र पर निबंध chalchitra essay in hindi
चलचित्र पर निबंध cinema essay in hindi
दोस्तों केसे है आप सभी,दोस्तों आज का हमारा आर्टिकल चलचित्र या सिनेमा पर निबंध आप सभी के लिए बहुत ही हेल्पफुल है हमारे आज के निबंध में आप जानेंगे चलचित्र सिनेमाघरो के बारे में पूरी जानकारी तो चलिए पढ़ते हैं हमारे आज के निबंध को
हमारे देश में मनोरंजन के कई साधन है जैसे की रेडियो, सिनेमा,म्यूजिक,किताबें आदि इन सभी मनोरंजन के साधनों में सबसे अच्छा और सबसे महत्वपूर्ण साधन जो हर किसी को बेहद पसंद है और हर किसी पर उसका बहुत ही ज्यादा प्रभाव पड़ता है वह है चलचित्र यानी सिनेमा.सिनेमा मनोरंजन का एक महत्वपूर्ण साधन है हमारे भारत देश में चलचित्र का प्रारंभ सन 1913 में हुआ था सबसे पहले दादा साहब फाल्के ने कुछ फ़िल्में बनाई थी पहले के जमाने में फिल्में मूक बनाई जाती थी यानी आवाज नहीं होती थी लेकिन धीरे धीरे विज्ञान की खोज होती रही सिनेमा में भी बहुत सारे बदलाव आने लगे.
सन 1931 में पहली बार एक बोलती हुई फिल्म बनाई गई लोगों ने उसे बेहद पसंद किया.धीरे-धीरे सिनेमा हर किसी के दिलों पर राज करने लगा आजकल हम देखें तो सिनेमा में फिल्म की शूटिंग के लिए बहुत सारे यंत्र जैसे कि कैमरा ,म्यूजिक उपकरण, कंप्यूटर आदि की जरूरत पड़ती है यह सब हमें विज्ञान की ही देन है विज्ञान की वजह से चल चित्रों में बहुत सारे बदलाव हुए.सिनेमा में और भी बेहतरीन तरीके से फिल्मे दिखाई गई.काफी समय से सिनेमा यानी चलचित्र लोगों का मनोरंजन का साधन बना हुआ है पहले सिर्फ श्वेत फिल्में दिखाई जाती थी आज वहीं रंगीन पर्दे पर फिल्में दिखाई जाती हैं सिनेमा में लगभग हर विषय पर फिल्में दिखाएं जाती हैं चाहे वह धार्मिक विषय हो या सामाजिक विषय.
शुरुआत में ज्यादातर फिल्में धार्मिक विषयों पर ही बनाई गई थी लेकिन धीरे-धीरे फिल्मे समाज के हर एक विषय के बारे में बनाई गई जिसका लोगों पर प्रभाव पड़ा.आज हम देखें सिनेमा लोगों के दिलों पर राज कर रहा है नौजवानों को सिनेमा का चस्का लगा हुआ है बहुत से बच्चे ऐसे भी होते हैं जो स्कूल जाने के बहाने से सिनेमा देखते हैं सिनेमा में जब से बोलती फ़िल्में बनाई जा रही हैं तभी से म्यूजिक की दुनिया में भी उछाल आया है लोगों को म्यूजिक सुनना बहुत पसंद है इसलिए फिल्मों में भी कही कही गाने डाले जाते हैं.
पहले जहां दिलीप कुमार, राजेश खन्ना,मुकेश खन्ना,पृथ्वीराज कपूर, राज कपूर,राज बब्बर जैसे सुपरस्टार थे जिन्होंने फिल्मी दुनिया में बेहतरीन अभिनय करके हर किसी का मनोरंजन किया है वही आज के जमाने में बहुत सारे नए नए सुपरस्टार सिनेमा में अपने कदम जमाए हुए हैं जैसे कि सलमान खान, शाहरुख खान,आमिर खान, टाइगर श्रॉफ आदि. सिनेमा का आज बोलबाला है हमारे देश में वैसे तो कई सारी भाषाओं में फिल्में बनाई जाती हैं लेकिन सबसे ज्यादा जोर हिंदी भाषाओं की फिल्मों पर दिया जाता है क्योंकि हिंदी हमारी मातृभाषा है यह राष्ट्रभाषा भी है.
पहले जब सिनेमा की शुरुआत हुई थी तब बहुत ही कम कुछ गिने चुने शहरों में ही सिनेमा या चलचित्र थे लेकिन बदलते जमाने के साथ बहुत ही तेजी से बदलाव आया और आज हर छोटे बड़े शहरों में सिनेमा मौजूद हैं जिससे लोग अपना मनोरंजन करते हैं.भारत में सबसे ज्यादा सुपरस्टार मुंबई में ही रहते हैं इसलिए मुंबई माया नगरी के नाम से भी जानी जाती है पहले बॉलीवुड में इतना कॉम्पटीशन नहीं था कैरियर बनाना सरल था लेकिन आजकल सिनेमा लोगों के दिलों पर ऐसा छाया है की आज हर साल सैकड़ों फिल्में बॉलीवुड में बनाई जाती हैं जिस वजह से यहां पर किसी भी अभिनेता का सुपर स्टार बनना बेहद मुश्किल होता है इस क्षेत्र में बहुत ज्यादा कॉम्पटीशन है.
फिल्मों में एक निर्देशक होता है अभिनेता और अभिनेत्री के साथ में कई सहायक कलाकार होते हैं जो फिल्मों को बनाने में मदद करते हैं फिल्मों को बनाने के लिए यह लोग एक स्थान को चुनते हैं वहां शूटिंग की जाती है.पहले जहां सालों तक फिल्में बनती थी आजकल विज्ञान की तकनीक की वजह से फिल्में कुछ महीनों में ही बन जाती हैं जिस वजह से हर किसी को लाभ हुआ है.
सिनेमा में चलाई जाने वाली फिल्मों ने लोगों के जीवन को काफी हद तक प्रभावित किया है आज हम देखें तो सिनेमा में समाज की कुछ अच्छाइयों को भी दिखाया जाता है साथ में कुछ बुराइयों को भी दिखाया जाता है.सिनेमा में कुछ काल्पनिक बातें भी दिखाई जाती हैं जिस वजह से युवाओं पर,लोगों पर बहुत प्रभाव पड़ता है वास्तव में सिनेमा का जीवन पर बहुत प्रभाव पड़ता है क्योंकि हम सिनेमा में चित्रों को देखते हुए भी सुनते हैं.ये बहुत जरूरी है की सिनेमा में कुछ अच्छी बातें देश को आगे बढ़ाने वाली बातें दिखाई जाए तो वास्तव में हमारे देश को बहुत लाभ होगा.
सिनेमा के जरिए हमको देश-विदेश की संस्कृति, पहनावे के बारे में जानकारी मिलती है जिससे बहुत से लोग अपने आप में बदलाव लाते हैं वास्तव में चलचित्र यानी सिनेमा से हम सभी का बहुत ही मनोरंजन हुआ है यह हमारे लिए बहुत ही फायदेमंद भी है दूसरी तरफ इससे कुछ नुकसान भी हमें हो सकते हैं.हमारे देश में बहुत सी ऐसी शिक्षाप्रद और समाज की बुराइयों को दूर करने वाली फिल्में भी बनती हैं जिससे पुराने जमाने की कुप्रथाएं दूर हो सकती हैं वास्तव में सिनेमा मनोरंजन के साथ में लोगों की बुराइयों से दूर करने का एक बहुत बड़ा माध्यम हो सकता है बस इसका सही तरह से उपयोग हो और अच्छी अच्छी फिल्में बने.
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