भूमि क्षरण के कारण पर निबंध Bhumi ksharan ke karan in hindi essay
Bhumi ksharan ke karan in hindi essay
दोस्तों आज हम आपको इस आर्टिकल के माध्यम से भूमि क्षरण के कारण पर लिखे निबंध के बारे में बताने जा रहे हैं । तो चलिए अब हम आगे बढ़ते हैं और भूमि क्षरण के कारण पर लिखें निबंध को पढ़कर भूमि क्षरण के कारण के बारे में विस्तृत जानकारी प्राप्त करते हैं ।

भूमि क्षरण के कारण के बारे में – भूमि क्षरण के कई कारण होते हैं जैसे कि वन विनाश , जनसंख्या विस्फोट , शहरीकरण , कृषि तथा खनन गतिविधियां , औद्योगीकरण आदि । यह सभी भूमि क्षरण के प्रमुख कारण हैं ।जनसंख्या विस्फोट के कारण भूमि क्षरण बहुत अधिक होता है । जनसंख्या बढ़ जाने के कारण खाली भूमि पर मकानों का निर्माण किया जाता है जिस कारण भूमि का क्षरण होता है । सबसे अधिक भूमि का क्षरण कृषि के कारण होता है । आज हम देख रहे हैं कि किसान फसल की अधिक पैदावार करने के लिए रासायनिक उर्वरकों का उपयोग कर रहा है जिसके कारण भूमि की उर्वरक क्षमता बहुत कमजोर होती जा रही है ।
रासायनिक उर्वरकों का उपयोग जब किसान खेतों में करता है तब खेत की मिट्टी की उर्वरक क्षमता कमजोर होती जाती है । कहने का तात्पर्य यह है कि रासायनिक उर्वरकों का सबसे अधिक उपयोग करने से मृदा संरचना धीरे-धीरे नष्ट होती जाती है । जिसके कारण मृदा के जो कण होते हैं वह कण एक दूसरे से अलग हो जाते हैं जिसके कारण मिट्टी के अपरदन की दर तेजी से बढ़ती है । दोस्तों मैं आपको बता देना चाहता हूं कि मृदा पृथ्वी की सबसे ऊपरी वाली परत होती है । मृदा अपरदन के कारण मिट्टी की उर्वरक क्षमता सबसे अधिक नष्ट होती है ।
वायु तथा जल से मृदा अपरदन अधिक होती है । मृदा अपरदन के कुछ कारण होते हैं जैसे की आज हम देख रहे हैं कि व्यक्ति अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए वृक्षों को काट रहा है जिसके कारण मृदा अपरदन बढ़ रहा है । इसके बाद मृदा अपरदन का सबसे बड़ा कारण वनों में आग लगना है ।इसके बाद खाली जमीन पर अधिक मात्रा में पानी एकत्रित होने के कारण मृदा अपरदन होता है । दोस्तों जल के द्वारा जो भू क्षरण होता है वह भू क्षरण मुख्यतः दो चरणों में होता है । पहला चरण भूमि की सतह से जब मृदा के कण पृथक होने लगते हैं तब भूमि का क्षरण होता है ।
इसके बाद भू क्षरण का दूसरा कारण मृदा कणों का वहकर कहीं दूर चले जाना है यह भू क्षरण का दूसरा कारण है । कुछ प्राकृतिक क्षरण भी भूमि क्षरण का कारण है । दोस्तों प्राकृतिक क्षरण वह क्षरण है जो प्राकृतिक तरीके से बिना किसी हस्तक्षेप से क्षरण होता है उस क्षरण को हम प्राकृतिक क्षरण कहते हैं । इस तरह के प्राकृतिक क्षरण में मृदा का निर्माण एवं मृदा नष्ट दोनों तरह की प्रक्रिया लगभग साथ साथ में होती हैं । इसके बाद भूमि क्षरण त्वरित क्षरण के कारण भी होता है ।
त्वरित क्षरण वह कहलाती है जब जानवरों तथा किसी मनुष्य के द्वारा भूमि की जो सतह होती है उस सतह का आवश्यकता से अधिक उपयोग किया जाता है जिसके कारण भूमि क्षरण बहुत तेज गति से होता है । जब मनुष्य के द्वारा अधिक मात्रा में पेड़ काटे जाते हैं तब भूमि क्षरण होता है और पर्यावरण दूषित भी होता है । कृषि क्षेत्र में किसान थ्रेसर से फसल कट जाने के बाद खेत में जो नीचे का हिस्सा बच जाता है उस हिस्से को नष्ट करने के लिए किसान खेतों में आग लगा देता है जिसके कारण मिट्टी की उर्वरक क्षमता नष्ट होती जाती है ।
यदि मिट्टी की उर्वरक क्षमता धीरे-धीरे नष्ट होती जाएगी तो आने वाले समय में खेतों की मिट्टी की उर्वरक क्षमता बिल्कुल भी नहीं बचेगी जिसके कारण खेतों में फसल उगाना मुश्किल हो जाएगा । भूमि के अंदर जो मृदा के कण होते हैं उन कणों को पृथक होने से रोकना चाहिए वरना आने वाले समय में भूमि की मिट्टी बहुत कमजोर हो जाएगी और उसके कई तरह के दुष्प्रभाव देखने को मिलेंगे । आज हम देखते हैं कि कई जगह भूमि धश जाती है , भूकंप आ जाता है यह सब भूमि क्षरण के कारण होता है ।
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