बेरंग दुनिया में रंग भरते मजदूरी पर निबंध Berang duniya me rang bharte majduri essay in hindi
Berang duniya me rang bharte majduri essay in hindi
Berang duniya me rang bharte majduri – दोस्तों आज हम आपको इस आर्टिकल के माध्यम से बेरंग दुनिया में रंग भरते मजदूरी पर निबंध के बारे मे बताने जा रहे हैं । तो चलिए हम आगे बढ़ते हैं और इस आर्टिकल को पढ़कर बेरंग दुनिया में रंग भरते मजदूरी के बारे मे विस्तृत जानकारी प्राप्त करते हैं ।
बेरंग दुनिया में रंग भरते मजदूरी – मजदूर मजदूरी करके अपनी बेरंग जिंदगी में रंग भरता है । इस दुनिया में मजदूर को मजदूरी करके अपना और अपने परिवार का पालन पोषण करना पड़ता है । मजदूरी करने वाला व्यक्ति सुबह से लेकर शाम तक पसीना बहाता है । दिन भर मेहनत करने के बाद उसको जो पैसा मिलता है उस पैसे से वह अपने परिवार की जरूरतों को पूरा करता है । मजदूरी हर कोई व्यक्ति नहीं कर सकता है जिस के पास पर्याप्त धन नहीं होता वह मजबूरी ने मेहनत मजदूरी करता है । जब कोई मजदूर 8 घंटे या 12 घंटे काम करता है तब काम करने के बाद जो पैसा उसे दिया जाता है उसे मजदूरी कहते हैं ।
आज की दुनिया में मजदूरी आसानी से नहीं मिलती है । मजदूर अपना जीवन यापन बड़ी मुश्किल से कर रहा है । बेरोजगारी होने के कारण मजदूरों की दुनिया बेरंग होती जा रही है । मजदूर सुबह से लेकर शाम तक गड्ढे खोदकर पैसा कमा कर अपना जीवन यापन कर रहे हैं । मजदूर सुबह से ही घर से निकल जाता है और उसे यह आशा होती है कि आज उसे मजदूरी मिल जाएगी और वह यह आशा करता है की काम करके जो पैसा उसे मिलेगा उस पैसे से वह खाने का सामान घर पर लेकर जाएगा । एक मजदूर के पास पैसा कमाने का सिर्फ एक ही मार्ग होता है और वह मार्ग मजदूरी है ।
जब व्यक्ति मजदूरी करता है तब उस व्यक्ति की मजदूरी की गणना प्रति घंटे या 1 दिन के हिसाब से की जाती है । कुछ मजदूर काम के हिसाब से पैसे लेते हैं । जो लोग मजदूरों से काम कराते हैं वह कम पैसे से मजदूर से बहुत अधिक काम कराते हैं और मजदूर को उसका पूरा मेहनताना नहीं मिलता है जिससे उसका जीवन बेरंग होता है । मजदूरों के जीवन में रंग भरने के लिए सरकार के द्वारा कई तरह की योजनाएं मजदूरों के लिए प्रारंभ की गई हैं जिन योजनाओं का लाभ लेकर मजदूर अपने जीवन में रंग भरता है । कुछ मजदूर ऐसे होते हैं जिनको प्रतिदिन काम करना होता है ।
सुबह से लेकर शाम तक काम करते हैं और काम करने के बाद जो पैसा मिलता है उस पैसे से अपना और अपने परिवार का पेट भरते हैं । जब उनको किसी दिन मजदूरी नहीं मिलती है तब उनको भूखा भी रहना पड़ता है । ऐसे मजदूर का जीवन बेरंग होता है । पेट की भूख यह नहीं देखती है कि कोई गरीब है या कोई अमीर सभी को अपना पेट भरने के लिए अनाज की आवश्यकता होती है । भारत में मजदूरों की संख्या काफी अधिक है । जो मजदूर गड्ढे खोदकर , मकान बनाने का काम करके मजदूरी करते हैं और पैसा कमाते हैं उनका परिवार काफी कठिनाइयों से जूझ कर अपना जीवन व्यतीत करता है ।
मजदूर मजदूरी करने के लिए अपना घर परिवार छोड़कर दूसरे शहर जाता हैं और जो पैसा कमाकर वह लाता है उस पैसे से वह अपने घर की जरूरतों को पूरा करता है । अपनी बेरंग दुनिया में रंग भरने के लिए व्यक्ति घर परिवार से दूर रहता है ।
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