बांके बिहारी मंदिर का रहस्य व् इतिहास Banke bihari temple vrindavan history in hindi

Banke bihari temple vrindavan history in hindi

दोस्तों नमस्कार, आज हम आपके लिए लाए हैं वृंदावन के सबसे लोकप्रिय मंदिर बांके बिहारी मंदिर के बारे में जानकारी। बांके बिहारी मंदिर वृंदावन के सबसे बेहतरीन मंदिरों में से एक है।

बांके बिहारी मंदिर में रोजाना कई सारे श्रद्धालु दर्शन करने के लिए आते हैं। बांके बिहारी मंदिर की स्थापना सन 1864 में श्री हरिदास जी के द्वारा की गई है। बांके बिहारी मंदिर और निधि वन केवल कुछ दूरी पर ही स्थित है। बांके बिहारी मंदिर के बारे में कुछ कथाएं प्रचलित हैं एवं मंदिर के कुछ रहस्य भी हैं जो हम सभी को जानना काफी जरूरी है

बांके बिहारी जी की कथा – एक समय की बात है कि एक स्त्री-पुरुष वृंदावन के लिए गए हुए थे। वृंदावन में वह कुछ दिन रुके और उन्होंने बांके बिहारी जी के दर्शन किए।

बांके बिहारी जी के दर्शन करते समय वह स्त्री पुरुष काफी देर तक उन्हें निहारते रहे और उन्होंने बांके बिहारी जी को अपने साथ चलने की इच्छा व्यक्त की तब कुछ समय बाद स्त्री पुरुष मंदिर से चले गए और जैसे ही वो रेलगाड़ी में बैठने वाले थे तभी श्री बांके बिहारी रूपी एक लड़का उनसे अपने साथ ले जाने की इच्छा व्यक्त करने लगा

तभी बांके बिहारी मंदिर के पुजारी को यह बात पता लगी की बांके बिहारी जी मंदिर में नहीं है तब वह भी उन पति-पत्नी के पीछे चले गए और वहां पर श्री बांके बिहारी रूपी उस बालक से अपने साथ मंदिर में चलने की प्रार्थना करने लगे।

तब बांके बिहारी जी फिर से मंदिर में वापस आ गए तभी से बांके बिहारी मंदिर के पर्दे हर 2 मिनट में लगाए जाते हैं जिससे कोई भी भक्त बांके बिहारी जी को लंबे समय तक निहारते हुए उन्हें अपनी भक्ति में लीन ना कर ले।

बांके बिहारी नाम कैसे पड़ा जानिए – बांके बिहारी नाम होने के पीछे कथा प्रचलित है श्री हरिदास जी जोकि श्री कृष्ण के अनन्य भक्त थे। वह श्री कृष्ण की पूजा आराधना किया करते थे हरिदास जी को श्री राधा कृष्ण दर्शन भी दिया करते थे। श्री हरिदास जी निधिवन में भजन कीर्तन किया करते थे।

श्री कृष्ण और राधा उनके भजनों से मन मोहित हो जाते थे। एक बार श्री हरिदास जी के किसी शख्स ने उनसे कहा कि आपको तो श्री राधा कृष्ण के दर्शन हो जाते हैं कभी हमें भी श्री राधा कृष्ण के दर्शन करवा दीजिए तभी यह बात श्री हरिदास जी ने श्री राधा कृष्ण जी से कही और श्री कृष्ण राधा जी ने श्री हरिदास जी के साथ रहने की इच्छा प्रकट की।

तब श्री हरिदास जी ने कहा कि मैं एक संत हूं मैैं आपको तो लंगोट पहना सकता हूं, साथ में रख सकता हूं लेकिन माता राधा जी को नहीं क्योंकि उनके लिए कोई आभूषण नहीं है।

तब श्री राधा कृष्ण एक हो गए और तभी से उनका नाम बांके बिहारी पड़ा और फिर बांके बिहारी मंदिर में उनकी स्थापना की गई।

बांके बिहारी मंदिर के बारे में कई रहस्य

  • बांके बिहारी जी के परदे हर 2 मिनट में लगाए जाते हैं ऐसा माना जाता है कि जिससे कोई भी भक्त लंबे समय तक बांके बिहारी जी को निहारकर अपनी भक्ति में लीन ना कर ले।
  • ऐसा कहा जाता है कि यदि बांके बिहारी जी की आंखों में यदि हम कुछ समय तक देखते हैं तो हमारी आंखों से आंसू प्रफुल्लित होने लगते हैं।
  • बांके बिहारी जी का मंदिर एक ऐसा मंदिर है जहां पर आंखें बंद करके प्रार्थना नहीं की जाती है बल्कि श्री बांके बिहारी जी की आंखों में आंखें डाल कर उन्हे निहारा जाता है।
  • एक और रहस्य यह है की बांके बिहारी जी की मूर्ति किसी ने बनाई नहीं है बल्कि यह प्रकट हुई है।
  • बांके बिहारी जी की मूर्ति में श्री राधा कृष्ण दोनों की छवि है।
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