बागेश्वर का इतिहास Bageshwar temple history in hindi
Bageshwar temple history in hindi
Bageshwar temple – दोस्तों आज हम आपको इस आर्टिकल के माध्यम से भारत देश का सबसे सुंदर अद्भुत चमत्कारी मंदिर बागेश्वर मंदिर के इतिहास के बारे में बताने जा रहे हैं । तो चलिए अब हम आगे बढ़ते हैं और इस आर्टिकल को पढ़कर बागेश्वर मंदिर के इतिहास के बारे में विस्तृत जानकारी प्राप्त करते हैं ।

बागेश्वर मंदिर के बारे में – बागेश्वर मंदिर भारत देश के उत्तराखंड राज्य के कुमाऊं मंडल में स्थित है जिसकी सुंदरता देखने के लायक है । इस मंदिर की सुंदरता को देखने के बाद ऐसा महसूस होता है कि इस मंदिर के निर्माण के लिए कई महान कलाकारों के द्वारा नक्काशी की गई होगी । मंदिर के निर्माण के बारे में ऐसा कहा जाता है कि उत्तराखंड के बागेश्वर मंदिर का निर्माण 1450 ईस्वी में चंद राजवंश के राजा लक्ष्मी चंद ने कराया था । मंदिर की सुंदरता इतनी अधिक सुंदर है कि जो भी व्यक्ति इस मंदिर को पहली बार देखता है वह इस मंदिर को देखता ही रह जाता है क्योंकि इस मंदिर की सुंदरता बहुत ही अद्भुत सुंदर दिखाई देती है ।
इस मंदिर के दर्शन के बाद बहुत आनंद प्राप्त होता है । यह बागेश्वर मंदिर समुद्र तल से 1004 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है । मंदिर को लेकर एक कथा भी कही जाती है और उस कथा में मंदिर के बारे में यह बताया जाता है कि प्राचीन समय में एक बाबा जिनका नाम मार्कडेय था । बाबा मार्कडेय भोलेनाथ के भक्त थे और मार्कडेय बाबा के द्वारा भोलेनाथ की कठोर तपस्या की गई थी । जब बाबा मार्कडेय के द्वारा भोलेनाथ की पूजा अर्चना की गई तब महादेव मार्कडेय की तपस्या से खुश हुए थे । जिसके बाद भोलेनाथ ने मार्कडेय की तपस्या से खुश होकर मार्कडेय बाबा को दर्शन देने का विचार बनाया था ।
महादेव बाघ का रूप धारण कर मार्कडेय बाबा को दर्शन देने के लिए आए थे । इसीलिए इस स्थान का नाम बागेश्वर पढ़ा और वहां पर बागेश्वर मंदिर का भव्य निर्माण कराया गया था । मंदिर के निर्माण के बारे में ऐसा कहा जाता है कि मंदिर के निर्माण के कुछ सबूत सातवीं शताब्दी के मिलते हैं । परंतु इस मंदिर का भव्य निर्माण वर्तमान मे 1450 को कराया गया था । मंदिर में महादेव की शिवलिंग स्थापित करने में काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा था । जब मंदिर के अंदर शिवलिंग स्थापित करने का फैसला किया गया तब लोगों के द्वारा मंदिर के अंदर शिवलिंग स्थापित करने के प्रयास किए गए थे ।
परंतु सभी लोगों के प्रयास असफल हो गए थे । जब भोलेनाथ भगवान का एक प्रिय भक्त मनोरथ पांडे जो पलिया गांव का रहने वाला था वह महादेेेव की कठोर तपस्या में लीन रहता था । जब मनोरथ पांडे को इस मंदिर में मूर्ति स्थापित करने के बारे में पता चला तो श्री मनोरथ पांडे इस मंदिर में भोलेनाथ की शिवलिंग स्थापित करने के उद्देश्य से वहां पर गया था और भोलेनाथ की अपार कृपा प्राप्त करके मंदिर के अंदर श्री मनोरथ पांडे के द्वारा महादेव की भव्य शिवलिंग स्थापित की गई थी ।
मंदिर के गुंबदो और दीवारों की नक्काशी आज भी दर्शनीय है । दीवारों पर जो नक्काशी की गई है जो भी व्यक्ति उन नक्काशी को देखता है तब वह व्यक्ति अपने जीवन में आनंद प्राप्त करता है । मंदिर के अंदर कई देवी-देवताओं और भगवान की प्रतिमा स्थित है । मंदिर के अंदर उमा देवी , महेश्वर देवी , पार्वती देवी , महर्षि नंदिनी देवी , एक मुखी त्रिमुखी चतुर्मुखी शिवलिंग स्थित है । मंदिर के अंदर गणेेेेश भगवान की प्रतिमा स्थित है । मंदिर के अंदर विष्णु भगवान की एक सुंदर प्रतिमा स्थित है । जो भी भक्तगण उत्तराखंड के बागेश्वर मंदिर के दर्शनों के लिए जाता है वह भगवान भोलेनाथ की शिवलिंग और सभी देवी देवताओं की प्रतिमा के दर्शन करके अपने जीवन में आनंद प्राप्त करता है ।
शिवरात्रि के शुभ अवसर पर बागेश्वर मंदिर पर भव्य मेले का आयोजन भी किया जाता है जिस मेले में शिवभक्त आकर मंदिर के दर्शन करके आनंद प्राप्त करता है । प्रति सोमवार को शिव भक्तों का बागेश्वर मंदिर पर ताता लगा रहता है । लंबी कतार में लगकर शिव भक्त बागेश्वर मंदिर के अंदर जाकर सभी देवी देवताओं के दर्शन करके खुशी प्राप्त करता है ।मंदिर के साथ साथ आसपास के स्थान की सुंदरता भी दर्शनीय हैं । जो भी भक्तगण पहली बार बागेश्वर मंदिर के दर्शन करने के लिए जाता है वह आसपास की सुंदरता को देखकर मोहित हो जाता है ।
बागेश्वर मंदिर के बारे में ऐसा कहा जाता है कि जो भी भक्त गढ़ बागेश्वर मंदिर के दर्शन करने के लिए जाता है उस भक्त को भगवान भोलेनाथ बाघ के रूप में दर्शन देते हैं ।
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