बछेंद्री पाल की जीवनी Bachendri pal biography in hindi
Bachendri pal biography in hindi
दोस्तों आज हम आपको इस आर्टिकल के माध्यम से बछेंद्री पाल की जीवनी के बारे में बताने जा रहे हैं . चलिए अब हम आगे बढ़ते हैं और बछेंद्री पाल की जीवनी को बड़े ही ध्यान से पढ़ते हैं .
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जन्म स्थान व् परिवार – बछेंद्री पाल का जन्म 24 मई 1954 को उत्तराखंड के उत्तरकाशी के नाकुरी में हुआ था . जो पहले उत्तर प्रदेश में था अब उत्तराखंड में है . बछेंद्री पाल की माता का नाम हंसा देवी एवं पिता का नाम किशन सिंह पाल है . एनके दो भाई एवं दो बहने हैं . बछेंद्री पाल ने अपने घोसले से माउंट एवरेस्ट के विशाल पर्वत पर चढ़ने का गौरव हासिल किया है . एक अच्छी एवरेस्ट बछेंद्री पाल बनी है . भारत की पहली ऐसी महिला बछेंद्री पाल हैं जिन्होंने अपनी मेहनत और लगन से एवरेस्ट की ऊंचाई पर चढ़कर भारत का झंडा लहराया था .
शिक्षा – बछेंद्री पाल ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा अपने ही गांव से प्राप्त की थी . उनका परिवार इतना सक्षम नहीं था कि वह उनकी पढ़ाई करा सकें . उनके माता-पिता ने भी उनसे पढ़ाई ना करने के लिए कह दिया था क्योंकि उस समय लड़कियों को नहीं पढ़ाया जाता था . बछेंद्री पाल ने जब देखा कि उनके परिवार वाले , उनके माता-पिता उनकी पढ़ाई छुड़ाने की बात कर रहे हैं तब उन्हें बड़ा दुख हुआ था लेकिन उन्होंने अपने हौसले नहीं खोए थे .
उनकी मां ने जब देखा कि उनकी बच्ची पढ़ने में होशियार है तब उसकी मां ने बछेंद्री पाल के पिता से बात की और उनको समझाया . तब जाकर के उनके पिता बचेंद्री पाल को पढ़ाने के लिए तैयार हुए थे लेकिन उनके परिवार में पैसों की ज्यादा कमी थी जिसके कारण उनको बड़ी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा था . पाल ने अपनी पढ़ाई पूरी करने के लिए सिलाई का काम प्रारंभ किया था . वह सलवार सूट सिलती थी . सिलाई से जो पैसा आता था उस पैसे का उपयोग अपनी पढ़ाई में किया करती थी .
इस तरह से बछेंद्री पाल ने अपनी शिक्षा प्राप्त की थी . बछेंद्री पाल ने b.a. से ग्रेजुएशन किया . इसके बाद m.a. किया , बीएड की पढ़ाई पूरी की . इसके बाद बछेंद्री पाल एक शिक्षक बन गई थी . शिक्षक बनने के बाद उनको यह महसूस हुआ कि मुझे और भी कुछ करना चाहिए . बछेंद्री पाल इंस्टीट्यूट ऑफ माउंट माउंटेनियरिंग में 1981 को ट्रेनिंग लेने के लिए चली गई थी . वहां से उन्होंने माउंट एवरेस्ट का प्रशिक्षण लेना प्रारंभ किया था .
पर्वतारोहण बनने का सफर – बछेंद्री पाल ने जब अपनी माउंटेनियरिंग की ट्रेनिंग पूरी कर ली थी तब उनको बही पर नोकरी मिल गई थी . इसके बाद जब उनको पता लगा कि एवरेस्ट पर जाने के लिए दल चुने जा रहे हैं और भारत की तरफ से कुछ महिलाओं को मौका दिया जा रहा है तब बछेंद्री पाल ने पर्वत पर जाने का फैसला किया और एक आवेदन किया . उनका यह आवेदन स्वीकार कर लिया गया था . 16 लोगों की टीम एवरेस्ट पर जाने के लिए चुनी गई थी जिसमें 11 पुरुष एवं पांच महिलाएं थी .
भारत की ओर से एवरेस्ट पर जाने के लिए 16 सदस्यों की टीम 7 मार्च 1984 को दिल्ली से नेपाल की ओर रवाना हुई थी . एवरेस्ट के ऊंचे पहाड़ों पर चढ़ने के अभियान को चरणों में बांटा गया था . जब पूरा दल नेपाल पहुंचा तब नेपाल पहुंचने के बाद इस दल ने अपना पहला चरण प्रारंभ किया था . पहला चरण के रूप में सभी को बेस कैंप पर पहुंचना था . बेस कैंप पर पहुंचने के बाद इनका अगला चरण शिविर 1 पर पहुंचना था . शिविर 1 की ऊंचाई 9900 फीट यानी 6065 मीटर थी .
वहां पर पूरा दल पहुंचा और वहीं पर इन सभी ने अपनी एक रात गुजारी थी . सुबह होने पर उन्होंने अपना अगला मिशन प्रारंभ किया था . जिसका नाम था शिविर 2 . इन सभी लोगों ने शिविर 2 की ओर अपने कदम बढ़ाए थे . सिविल 2 पर पहुंचने की ऊंचाई 21300 फीट यानी 6492 मीटर थी. वहां पर सभी पर्वता रोही पहुंचे और वहां पर पहुंचने के बाद ठंड बढ़ने लगी थी . इसके बाद सभी पर्वतारोहियों ने अगला चरण शुरू किया और अगले चरण का नाम था शिविर 3 .
शिविर 3 की ऊंचाई 24500 यानी 7470 मीटर थी . इसके बाद सभी पर्वतारोहियों ने अपना अगला चरण प्रारंभ किया और अगला चरण का नाम शिविर 4 था . सभी पर्वतारोही शिविर 4 पर जा रहे थे उन सभी एवरेस्टो में से कुछ एवरेस्ट बुरी तरह से परेशान हो गए थे , उनकी तबीयत बिगड़ने लगी थी जिसके कारण उनको यह सफर रास्ते से ही छोड़ कर वापस जाना पड़ा था . शिविर 4 की ऊंचाई 26000 फीट यानी 7925 मीटर थी .
शिविर 4 पर पहुंचने के बाद अगला चरण शिविर 4 से डायरेक्ट एवरेस्ट की चोटी थी जहां पर सभी टीम को पहुंचना था . जब शिविर 4 से पर्वतारोही आगे बढ़ रहे थे तभी बछेंद्री पाल को छोड़कर सभी महिलाओं ने हार मान ली थी और वहा से वापस लौट आई थी . अब सिर्फ भारत की तरफ से बछेंद्री पाल ही एक ऐसी महिला थी जो पर्वत पर चढ़ने जा रही थी .
बचे हुए पर्वतारोहियों ने बचेंद्री पाल के साथ मिलकर आगे की चढ़ाई पूरी की और बछेंद्री पाल की पूरी टीम एवरेस्ट पर 23 मई को पहुंच गई थी . एवरेस्ट की कुल ऊंचाई 29028 फुट यानी 8448 मीटर थी . इस चोटी पर बचेंद्री पाल एवं उनके सदस्य टीम 1:55 पर पहुंच गई थी .
पुरस्कार – बछेंद्री पाल को 1984 को भारतीय पर्वतारोहण फाउंडेशन की ओर से सम्मानित किया गया था . बछेंद्री पाल को पदम श्री से भी सम्मानित किया गया था . बछेंद्री पाल को गोल्ड मेडल भी मिल चुका है . 1985 को बछेंद्री पाल को उत्तर प्रदेश सरकार की शिक्षा विभाग ने गोल्ड पदक भी दिया था . 1986 को बछेंद्री पाल को अर्जुन अवार्ड से भी सम्मानित किया जा चुका है . बछेंद्री पाल को यश भारती अवार्ड से भी सम्मानित किया जा चुका है .
1986 को कोलकाता महिला अध्ययन समूह पुरस्कार भी बछेंद्री पाल को मिल चुका है . गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड में भी बछेंद्री पाल को 1990 में शामिल किया गया था . बछेंद्री पाल को नेशनल एडवेंचर अवॉर्ड भी मिल चुका है . 1997 को बछेंद्री पाल को हेमवती नंदन बहुगुणा विश्वविद्यालय गढ़वाल द्वारा पीएचडी की मानद उपाधि से भी सम्मानित किया जा चुका है .
मध्य प्रदेश सरकार के संस्कृत मंत्रालय ने 2013 – 14 में बछेंद्री पाल को लक्ष्मीबाई राष्ट्रीय सम्मान से भी नवाजा गया था . बछेंद्री पाल टाटा स्टील एडवेंचर फाउंडेशन से 1984 को जुड़ी थी . वह कई पर्वतारोहियों को प्रशिक्षण देती हैं और उनको पर्वत पर चढ़ने के गुण सिखाती है .
bachendri pal quotes in hindi
- यदि इंसान ठान ले तो कोई भी चीज इंपॉसिबल नहीं है .
- नॉलेज होना बहुत जरूरी नहीं है बल्कि उस नॉलेज का उपयोग डेली लाइफ में उपयोग करना बहुत जरूरी है .
- हम सबको एक पर्वतारोही जैसा होना चाहिए . मैं बर्फ में दबी , मैंने पहाड़ चढ़े , मैं बहुत बेहद कठिन परिस्थितियों से गुजरी हु . मुझे लगता है कि केवल पहाड़ पर चढ़ना काफी नहीं है हमारे समाज को ऐसे परीक्षण का लाभ मिलना चाहिए .
- मैंने अपनी 12 साल की उम्र में ही स्कूल की एक पिकनिक के दौरान 13123 फुट ऊंची चोटी पर चढ़ाई की थी . उस चोटी पर चढ़ने के बाद मेरा जज्बा और भी बढ़ गया था .
- कुदरत पर हम कितने हद तक कंट्रोल रख सकते हैं हमें कुदरत से सीख लेना चाहिए और अपनी हद हमें कभी नहीं भूलनी चाहिए .
- आपको राह में जो कुछ मिलता जाए उससे सीखते जाओ इससे अच्छी पाठशाला आपको कहीं और नहीं मिलेगी .
- मेरा पहला लक्ष्य ग्रेजुएशन की पढ़ाई को पूरा करना था उसके बाद एक अच्छी नौकरी करते हुए ढेर सारे पैसे कमाना था ताकि मैं कार व् अन्य सुविधाएं प्राप्त कर सकू .
- मेरे लिए सबसे ज्यादा जरूरी मेरा घर और ऑफिस है .
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