बाबा फरीद गंज शकर का इतिहास Baba farid ganj shakar history in hindi

Baba farid ganj shakar history in hindi

दोस्तों आज हम आपको इस आर्टिकल के माध्यम से बाबा फरीद गंज शकर के इतिहास के बारे में बताने जा रहे हैं । चलिए अब हम आगे बढ़ते हैं और बाबा फरीद गंज शकर के इतिहास के बारे में जानते हैं ।

baba farid ganj shakar history in hindi
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image source –https://www.libertybooks.com/Hazrat-Baba

बाबा फरीद गंज शकर एक पंजाबी कवि थे जिन्होंने कई श्लोक लिखें हैं । बाबा फरीद गंज शकर का इतिहास काफी पुराना है । बाबा फरीद गंज शकर का जन्म 1173 से 1188 के बीच पंजाब के मुल्तान के कोठेवाली गांव में हुआ था । इन्होने बचपन से ही अपने ज्ञान को बढ़ाया एवं इन्होंने उस ज्ञान को लोगों तक पहुंचाने की सोच बनाई थी । जब इनकी आयु 18 वर्ष की हुई तब यह मुल्तान चले गए थे । जब यह मुल्तान पहुंचे तब इनकी मुलाकात ख्वाजा कुतुबुद्दीन बख्तियार काकी से हुई थी और वही से इनके जीवन में नए बदलाव आए थे ।

जब इनकी मुलाकात ख्वाजा कुतुबुद्दीन बख्तियार काकी से हुई तब बाबा फरीद गंज शकर ने चिश्ती सिलसिले में दीक्षा ले ली थी । वहां से दीक्षा लेने के बाद बाबा फरीद गंज शकर अपने गुरु ख्वाजा कुतुबुद्दीन बख्तियार काकी के साथ दिल्ली चले गए थे । दिल्ली में ही इन्होंने पूर्ण तरह से शिक्षा ली ।  शिक्षा लेने के बाद बाबा फरीद गंज शकर दिल्ली से हिसार जिले के हांसी नामक गांव में चले गए थे । हांसी नामक गांव में बाबा फरीद गंज शकर ने 20 वर्ष तक निवास किया था ।

अपने गुरु के ज्ञान को लोगों तक पहुंचाने के उद्देश्य से अपनी मेहनत और लगन से लोगों को उपदेश देते रहते थे । जहां पर भी वह रहे थे वहां पर उन्होंने अपने शिष्य बनाये और उनको शिक्षा दी । जब बाबा फरीद गंज शकर के गुरु शेख कुतुबुद्दीन बख्तियार काकी की मृत्यु हुई तब उनके अन्य शिष्यों के द्वारा बाबा फरीद गंज शकर को खलीफा नियुक्त किया गया था । समय बीतने के साथ जब बाबा को लगा कि यहां का जीवन उनके अनुकूल नहीं था तब उन्होंने वहां से पलायन किया ।

कई शहरों से होते हुए , अपने शिष्य बनाते हुए , उनको शिक्षा देते हुए वह दक्षिण पश्चिम की ओर बढ़ने लगे । आगे बढ़ते  हुए वह एक एकांत शहर अजोधन पहुंचे और वहीं पर उन्होंने अपना निवास बनाया । अपना पूरा जीवन मृत्यु तक उन्होंने वहीं पर ही गुजारा था । अजोधन में बाबा फरीद गंज शकर की समाधि आज भी मौजूद है । यह समाधि हिंदुस्तान एवं खुरासान का पवित्र तीर्थ स्थल है । इस समाधि पर जब मोहर्रम की पांचवी तारीख आती है  तब  यहां पर बाबा फरीद  गंज शकर  की याद में मेला भी लगाया जाता है ।

उनके श्लोक इतने अच्छे थे की उनके सभी विचारों एवंं श्लोकों को सिख ग्रंथ गुरु ग्रंथ साहब में शामिल किया गया था । गुरु ग्रंथ साहब में  बाबा फरीद गंज शकर के 112 श्लोक  हैं । बाबा फरीद गंज शकर केे द्वारा जिन शिष्यों ने शिक्षा ली थी उनका जीवन धन्य हो गया था । बाबा फरीद गंज शकर का निधन 1266 इसवी से 1280 इसवी के बीच में पाक पट्टन पंजाब में हो गया था ।

उनकी मृत्यु के बाद  जिन शिष्यों ने  उनसे शिक्षा प्राप्त की थी उन्होंने  बाबा फरीद गंज शकर के विचारों को लोगों तक पहुंचाए थे । उनकेेे विचारों को पढ़कर कई लोगों नेे अपने जीवन को सफल बनाया था । वर्तमान में पंजाब राज्य में  जो फरीदकोट शहर है उस शहर का नाम फरीदकोट बाबा फरीद के नाम पर ही रखा गया था ।

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