बाप बड़ा ना भैया सबसे बड़ा रुपैया पर कहानी Baap bada na bhaiya sabse bada rupaiya story in hindi
Baap bada na bhaiya sabse bada rupaiya story in hindi
दोस्तों नमस्कार, आज हम आपके लिए लाए हैं बाप बड़ा ना भैया सबसे बड़ा रुपैया पर हमारे द्वारा लिखित यह कहानी। आप इसे पढ़ें, यह कहानी आपको आज के इस आधुनिक दौर में उन लोगों की स्थिति बताएगी तो चलिए पढ़ते हैं आज की इस कहानी को
काफी समय पहले एक शहर में देवी सिंह नाम का एक 50 साल का व्यक्ति रहता था उसके दो पुत्र थे एक का नाम था रमेश और दूसरे का नाम था महेश। वह अपने दोनों पुत्रों को बहुत ही अच्छे से रखता था उसने अभी हाल में ही अपने दोनों पुत्रों की शादी की थी, शादी के बाद उसके दोनों पुत्र उससे अलग रहने लगे। अलग होते समय देवी सिंह एवं उसकी पत्नी ने उन दोनों को काफी रोका समझाया लेकिन वह दोनों नहीं माने और अपने मां-बाप से अलग रहने लगे।
देवी सिंह और उसकी पत्नी अलग खाना बनाते और खेती किसानी करके अपने जीवन को बिताते।एक दिन की बात है कि देवी सिंह के एक दूर के परिवार वाले की मौत हो गई, मौत के बाद देवी सिंह को बताया गया कि यह तुम्हारे परिवार वाले तुम्हारे लिए धन-संपत्ति छोड़कर गए हैं 300 बीघा इनकी जमीन भी तुम्हारे नाम पर कर गए हैं। देवी सिंह अकस्मात ही यह सब प्राप्त कर चुका था जब यह बात देवी सिंह के पुत्र रमेश और महेश को पता लगी तो वह दोनों मन में विचार करने लगे कि किसी तरह से हमें अब अपने पिताजी से पहले की तरह अच्छी तरह बर्ताव करना होगा वरना हो सकता है वह अपनी धन-संपत्ति किसी और को दे दे या हम दोनों में से किसी एक भाई को दे दें।
अब रमेश और महेश अपने पिता देवी सिंह से अच्छी तरह व्यवहार करते, उनको अपने साथ रखने की जिद भी वह करने लगे थे लेकिन देवी सिंह एवं उसकी पत्नी अब अपने बच्चों के साथ रहने को तैयार नहीं थी। रमेश एवं महेश अब अपने पिता की देखभाल करने के लिए समय-समय पर जाते और उनका हालचाल पूछते। यहां तक कि उन दोनों की बीवियां कभी भी उनसे सीधे मुंह बात भी नहीं करती थी लेकिन अब वह भी अपने ससुर को देखने के लिए गए और उनसे बड़े ही अच्छी तरह से बर्ताव किया, वह दिन दिन भर अपने सास ससुर जी की सेवा करती वह आपस में अपने पति से बातचीत करती कि यदि गलती से पिताजी ने यह धन संपत्ति किसी और को दे दी तो हमारा क्या होगा।
आखिर में देवी सिंह ने अपनी संपत्ति अपने दोनों बच्चों को न देते हुए अपनी एक लड़की को देने का सोचा। इधर रमेश एवं महेश केवल माथा पीटते रह गए उन्हें खुद आभास होने लगा कि यह हम सब जो भी कर रहे थे वह सब केवल धन संपत्ति के लालच में ही कर रहे थे उन्होंने अपने माता-पिता से माफी मांगी और जीवन भर अपने माता-पिता की सेवा करने का संकल्प लिया।
वास्तव में इस बात से यह साबित होता है कि बाप बड़ा ना भैया सबसे बड़ा रुपैया तो दोस्तों हमारी कहानी Baap bada na bhaiya sabse bada rupaiya story in hindi आपको कैसी लगी हमें जरूर बताये।
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