कपास की आत्मकथा Autobiography of cotton in hindi

Autobiography of cotton in hindi

दोस्तों आज हम आपके लिए लाए हैं कपास की आत्मकथा पर हमारे द्वारा लिखित यह आर्टिकल. कपास एक नगदी फसल होती है यह भारत देश में किसानों के द्वारा अपने खेतों में उगाई जाती है इसे हम सभी सफेद सोना के नाम से भी जानते हैं. कपास की खेती भारत ही नहीं बल्कि अनेक देशों जैसे कि ब्राजील, चीन, संयुक्त राष्ट्र, अमेरिका आदि में भी की जाती है. कपास जिसको अंग्रेजी में कोटन भी कहते हैं काफी पुराने समय से ही यहां पर कपास की खेती की जाती है चलिए पढ़ते हैं कपास या कोटन की आत्मकथा पर हमारे द्वारा लिखित इस आर्टिकल को

Autobiography of cotton in hindi
Autobiography of cotton in hindi

मैं कपास हूं लोग मुझे भारत के अलावा कई देश जैसे कि चीन, ब्राजील, अमेरिका आदि में भी उगाते हैं. मैं 20 से 30 डिग्री के तापमान में बहुत ही अच्छी तरह से उगाई जाती हूं, थोड़ा बहुत अधिक तापमान तो चलता है लेकिन यदि ओलावृष्टि होती है तो मेरी फसल को काफी नुकसान हो जाता है. मैं किसानों की काफी प्रिय फसल हूं, किसान मेरी बहुत ही अच्छी तरह से देखभाल करते हैं मैं उनके खेतों में लहराती रहती हूं. मैं अक्सर लाल, काली मिट्टी में अच्छी तरह से उगाई जा सकती हूं.

किसानों को मुझे पैदा करने के लिए काफी मेहनत भी करना पड़ती है, मुझमें पाया जाने वाला रेशा अलग अलग लंबाई का होता है कुछ रेशे छोटे होते हैं तो कुछ बीच के एवं कुछ रेशे लंबी होते है. मेरी बुवाई अलग-अलग राज्यों अलग-अलग समय पर मध्यप्रदेश में जहां मेरी बुबाई जून के महीने में की जाती है वहीं पंजाब में बुवाई का समय मार्च से अगस्त तक रहता है. मेरी फसलों को कई सारे कीटों से नुकसान भी होता है वह मुझे नुकसान पहुंचाना चाहते हैं लोग उन कीटो से मेरी रक्षा करने के लिए काफी उपाय करते हैं.

कई कीट मेरी पत्तियों की निचली सतह से रस चूसते है जिससे मुझे नुकसान होता है. मेरी फसल के द्वारा कपड़े बनाए जाते हैं यह कपड़े कई मशीनों के द्वारा बनाए जाते हैं दरअसल कई मशीनों के द्वारा मेरे द्वारा धागे बनाए जाते हैं और उन धागों से कपड़े बनाए जाते हैं उन कपड़ों को अलग-अलग आकार देकर तरह-तरह के पहनने योग्य कपडे  बनाये जाते है और इन कपड़ों का व्यापार किया जाता है, यह व्यापार ना कि भारत देश में बल्कि अनेक देशों तक फैला हुआ है.

२००९ में भारत देश मेरे उत्पादन में दूसरे स्थान पर था आज भारत ही नहीं विदेशों के लोग भी मेरे कपड़े पहनना पसंद करते हैं, लोग मुझे कॉटन के कपड़े कहकर बुलाते हैं मुझे बहुत ही भाता है। कई लोगों के लिए मुझे पहचानना भी मुश्किल हो जाता है कई कपड़ों में मिलावती कपड़े भी होते हैं। लोग मेरे कपड़े गर्मियों के दिनों में पहनना पसंद करते हैं बच्चे, बूढ़े, नौजवान सभी को मेरे द्वारा बने हुए कपड़े पहनने को मिलते हैं। मेरे कपड़े बाजार में मिलते हैं लोग मेरे कपड़े पहनकर काफी खुश होते हैं वास्तव में मैं बहुत ही खुश होती हूं कि मैं लोगों के काम आती हु, उनका शरीर ढकने के काम आती हु।

दोस्तों हमें बताएं कि कॉटन की आत्मकथा पर हमारे द्वारा लिखा यह लेेेख Autobiography of cotton in hindi आपको कैसा लगा इसे अपने दोस्तों में शेयर करना ना भूले।

Add a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *