महादेव के अर्धनारीश्वर अवतार की कथा ardhnarishwar story in hindi
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दोस्तों आज हम आपको इस आर्टिकल के माध्यम से महादेव के अर्धनारीश्वर अवतार की कथा सुनाने जा रहे हैं । चलिए अब हम आगे बढ़ते हैं और इस कथा को पढ़ते हैं । भगवान शिव बड़े दयालु हैं । जो भक्त भगवान शिव की पूजा सच्चे मन से करता है उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं । भगवान शिव अपने भक्तों को कभी भी निराश नहीं करते हैं । जो भी भगवान शिव को प्रसन्न करता है उसको मनचाहा वरदान प्राप्त होता है ।
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कई बड़े-बड़े विद्वानों के द्वारा भगवान शिव की आराधना की गई थी और उनको भगवान शिव की महिमा ज्ञात हुई थी । भगवान शिव को भोलेनाथ भी कहा जाता है क्योंकि वह बहुत भोले हैं । जब कोई उनकी आराधना सच्चे मन से करता है तब भगवान भोलेनाथ उनकी मनोकामना पूरी करते हैं । अब मैं आपको इस आर्टिकल के माध्यम से भगवान शिव के अर्धनारीश्वर रूप के बारे में बताने जा रहा हूं । एक भृंगी नाम के ऋषि थे जो भगवान शिव की पूजा-अर्चना पूरी श्रद्धा के साथ किया करते थे ।
भगवान शिव के परम भक्त के रूप में भृंगी ऋषि जाना जाना था । वह कभी भी भगवान शिव की आराधना करना नहीं भूलता था । भृंगी ऋषि भगवान शिव जी की कट्टर भक्ति करता था ।परंतु भृंगी ऋषि माता पार्वती की पूजा नहीं करता था । वह माता पार्वती को भगवान शिव जी से अलग मानते थे ।इस बात से माता पार्वती जी उनसे नाराज रहती थी । एक बार भृंगी ऋषि कैलाश पर्वत पर भगवान शिव जी की परिक्रमा लगानेे के गए हुए थे ।
जैसे ही वह भगवान शिव जी की परिक्रमा लगा रहे थेे माता पार्वती जी भृंगी ऋषि से कहनेे लगी कि तुमको भगवान शिव जी के साथ में मेरी भी परिक्रमा लगानी होगी क्योंकि मैं भगवान शिव जी की अर्धांगिनी हूं । ऐसा सुनकर भृंग ऋषि ने माता पार्वती से परिक्रमा लेने के लिए मना कर दिया था । भृंगी ऋषि माता पार्वती को छोड़कर शिव जी की परिक्रमा लेनेे लगा था । माता पार्वती तुरंत शिव जी के बगल में आकर बैठ गई ।
यह देख कर भृंग ऋषि को क्रोध आया और उसने सांप का रूप धारण कर लिया और शिव जी की परिक्रमा लेने लगा । यह देख कर भगवान शिव जी ने माता पार्वती का साथ दिया । भगवान शिव ने अर्धनारीश्वर का रूप धारण कर लिया था । यह देखकर भृंग ऋषि और क्रोधित हो गया था । भृंग ऋषि ने अर्धनारीश्वर रूप को काटने के लिए चूहे का रूप धारण किया और काटने लगा । यह देख कर भगवान शिव और माता पार्वती को गुस्सा आ गया था ।
माता पार्वती जी ने भृंग ऋषि को श्राफ दी दिया था और भगवान शिव ने भृंग ऋषि को श्राफ देते हुए कहा कि तेरे शरीर में से तेरे मां के अंग अलग हो जाएंगे । भृंग ऋषि के शरीर सेेेे खून और मांस अलग हो गया था । ऐसा कहा जाता है की मनुष्य के शरीर में हड्डियां और मांसपेशियां पिता की देन होती है और खून और मांस माता की देन होती है । जब भृंगी ऋषि को श्राफ मिला तब वह जमीन पर गिर गया और उसके शरीर से खून एवंं मास अलग हो गया था ।
वह खड़ा तक नहींं हो पा रहा था । उसकी इतनी बुरी दशा देखकर मांं पार्वती को दया आ गई थी और उसको दिया गया श्राफ बापस लेने लगी थी । परंतु भृंग ऋषि ने माता पार्वती से श्राफ वापस लेने के लिए मना कर दिया था । इसके बाद भृंग ऋषि को भगवान शिव जी ने तीसरा पैर दे दिया था जिससे वह खड़ा हो सके । इस तरह से भगवान शिव जी ने अर्धनारीश्वर रूप धारण किया था ।
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