अंगकोर वाट मंदिर का इतिहास Angkor wat temple history in hindi
Angkor wat temple history in hindi
Angkor wat temple – दोस्तों आज हम आपको इस आर्टिकल के माध्यम से अंगकोर वाट मंदिर के इतिहास के बारे में बताने जा रहे हैं । तो चलिए अब हम आगे बढ़ते हैं और अंगकोर वाट मंदिर के इतिहास के बारे में जानकारी प्राप्त करते हैं ।

अंगकोर वाट मंदिर के बारे में – अंगकोर वाट मंदिर कंबोडिया का सबसे प्रसिद्ध मंदिर है जिसकी सुंदरता देखने के लायक है । अंगकोर वाट मंदिर की सुंदरता इतनी सुंदर और दर्शनीय है की काफी पर्यटक इस मंदिर की सुंदरता को देखने के लिए जाते हैं । अंगकोर वाट मंदिर की सुंदरता को देखते हुए अंगकोर वाट मंदिर को विश्व विरासत घोषित किया गया है जिस अंगकोर वाट मंदिर को देखने के लिए लाखों की संख्या में लोग आते हैं और अंगकोर वाट मंदिर की सुंदरता को देखकर अपने जीवन में आनंद प्राप्त करते हैं । यह अंगकोर वाट मंदिर 162 हेक्टेयर भूमि में बना हुआ है ।
अंगकोर वाट मंदिर मे भगवान विष्णु जी की पूजा अर्चना की जाती है । अंगकोर वाट मंदिर के निर्माण के बारे में ऐसा कहा जाता है कि इस मंदिर को बनवाने में राजा सूर्यवर्मन द्वितीय का महत्वपूर्ण योगदान है । अंगकोर के राजा सूर्यवर्मन द्वितीय के महत्वपूर्ण योगदान से इस मंदिर का निर्माण 12 वीं शताब्दी के दौरान करवाया गया था । जब अंगकोट के राजा सूर्यवर्मन द्वितीय ने अंगकोर वाट मंदिर के निर्माण का जिम्मा उठाया तब वह पूरी मेहनत और लगन के साथ अंगकोर वाट मंदिर के निर्माण में जुट गए थे ।
इस मंदिर के निर्माण के बारे में ऐसा भी कहा जाता है कि अंगकोर वाट मंदिर का निर्माण समेर साम्राज्य के लिए किया गया था । मैं आपको बता दूं कि समेर साम्राज्य भगवान विष्णु को मानते थे , भगवान विष्णु की पूजा उपासना करते थे इसीलिए यह मंदिर समेर साम्राज्य के लिए स्थापित किया गया था । जिसमें भगवान विष्णु जी की पूजा अर्चना की जाती है । जब समय बीतने के साथ-साथ इस मंदिर का निर्माण कार्य पूरा कर लिया गया था तब समेर साम्राज्य के लोग इस मंदिर में पूजा अर्चना करने लगे थे ।
धीरे-धीरे समय बीतता गया और 12 वीं शताब्दी के अंत में जब बौद्ध धर्म का प्रचार प्रसार हुआ और बौद्ध धर्म को सभी लोग अपनाने लगे तब अंगकोर वाट मंदिर बौद्ध मंदिर में परिवर्तित हो गया था । बौद्ध धर्म के अनुयाई इस मंदिर में रुकने लगे और आसपास के लोगों की आस्था बौद्ध धर्म से जुड़ गई थी जिससे इस मंदिर को बौद्ध मंदिर में परिवर्तित कर दिया गया था । कंबोडिया का इतिहास भी जानने योग्य हैं । मैं आपको बता दूं कि यह अंगकोर वाट मंदिर कंबोडिया के अंकोर मे स्थित है जिसकी सुंदरता दर्शनीय है । प्राचीन समय में कंबोडिया के अंकोर का नाम यशोधरपुर था ।
जब राजा सूर्यवर्मन द्वितीय के द्वारा 12 वी शताब्दी के दौरान अंगकोर वाट मंदिर का निर्माण कराया गया था तब इस मंदिर की सुंदरता को और भी अद्भुत बनाने के लिए भारतीय ग्रंथों , पुराणों , प्रसंगो का चित्रण मंदिर की बाहरी दीवारों पर कराया गया था ।जिसकी सुंदरता आज भी दर्शनीय है । अंगकोर वाट मंदिर के गुंबदो और दीवारों पर देवी देवताओं और असुरों के द्वारा जो समुद्र मंथन कराया गया था उस समुद्र मंथन का दृश्य भी मंदिर की दीवारों पर बनवाए गए हैं । मंदिर की अद्भुत कला और चित्रकारी को देखते हुए लोगों की आस्था इस मंदिर से जुड़ी हुई है ।
सभी लोगों की आस्था इस मंदिर से जुड़ने के कारण कंबोडिया का जो राष्ट्रीय ध्वज है उस राष्ट्रीय ध्वज में अंगकोर वाट मंदिर का चित्रण दर्शाया गया है । कंबोडिया की सरकार के द्वारा कंबोडिया के राष्ट्रीय ध्वज में अंगकोर वाट मंदिर का चित्रण 1983 को शामिल किया गया था । अंगकोर वाट मंदिर का निर्माण जब 1153 को पूरा कर लिया गया था तब इस मंदिर को देखने के लिए दूर-दूर से राजा महाराजा आए हुए थे । जिसकी सुंदरता को देखते सभी लोग मोहित हो गए थे । कंबोडिया का यह अद्भुत और चमत्कारी मंदिर को देखने के लिए जो भी व्यक्ति जाता है वह अपने जीवन में आनंद प्राप्त करता है ।
अंगकोर वाट मंदिर के आसपास की सुंदरता भी देखने के लायक है । अंगकोर वाट मंदिर की सुंदरता इतनी अधिक सुंदर है कि लोगों की आस्था इस मंदिर से जुड़ी हुई है । अंगकोर वाट मंदिर की सुंदरता को और अद्भुत बनाने के लिए कंबोडिया की सरकार अथक प्रयास करती रहती है क्योंकि प्रतिवर्ष लाखों करोड़ों की संख्या में पर्यटक अंगकोर वाट मंदिर के दर्शनों के लिए आते हैं और मंदिर के दर्शन करके अपने जीवन में आनंद प्राप्त करते हैं ।
इस मंदिर की सबसे बड़ी खास बात यह है कि कंबोडिया के रहने वाले लोगों के साथ-साथ पूरी दुनिया के लोगों की आस्था इस मंदिर से जुड़ी हुई है ।इसीलिए अंगकोर वाट मंदिर को विश्व विरासत में शामिल किया गया है ।
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