अंधविश्वास पर निबंध व कविता Andhvishwas essay and poem in Hindi

Andhvishwas essay in Hindi

दोस्तों कैसे हैं आप सभी, दोस्तों अक्सर स्कूल, कॉलेज के विद्यार्थियों से कई विषयों पर निबंध पूछा जाता है इसीलिए हम हमेशा स्कूल, कॉलेज के विद्यार्थियों की मदद के लिए निबंध प्रस्तुत करते रहते हैं आज का हमारा निबंध अंधविश्वास पर निबंध आपकी बहुत मदद करेगा इसी के साथ में यह आर्टिकल आपको समाज के अंधविश्वास के बारे में जानकारी देगा तो चलिए पढ़ते हैं अंधविश्वास पर लिखित हमारे आज के इस आर्टिकल को

Andhvishwas essay and poem in Hindi
Andhvishwas essay and poem in Hindi

हमारा भारत देश एक विशाल देश है इस देश में बहुत सारे जाति, धर्म के लोग रहते हैं जिनकी कई मान्यताये होती हैं लेकिन कुछ अंधविश्वास भी होते हैं यह अंधविश्वास समाज के लिए, देश के लिए नुकसानदायक होते हैं दरअसल अंधविश्वास से तात्पर्य किसी भी चीज को देखे या जाने बिना उस पर विश्वास करना है।

इस वैज्ञानिक युग में जहां वैज्ञानिकों ने हमें बहुत से ऐसे आविष्कार दिए हैं जिनसे हम हमारे जीवन को बदल रहे हैं और जीवन में नए-नए बदलाव लाकर लगातार तरक्की कर रहे हैं लेकिन इस वैज्ञानिक युग में ऐसे भी लोग होते हैं जो अंधविश्वासों के झंझट में फंस जाते हैं उनके अंधविश्वासों मैं आने का सबसे बड़े कारण अशिक्षा, गरीबी और लोगों को उचित जानकारी ना होना है ज्यादातर निम्न वर्ग के लोग इन अंधविश्वासों के चपेट में आते हैं। आज के आधुनिक युग में जहां हमारे देश की सरकार शिक्षा पर ज्यादा जोर दे रही है वहां पर अंधविश्वास होना हमारे लिए वास्तव में अच्छा नहीं है।

अंधविश्वास हर एक क्षेत्र में हो सकते हैं यह धार्मिक, सामाजिक आदि क्षेत्रों में अधिकतर देखे जाते हैं बहुत से लोग धर्म के नाम पर कई तरह के अंधविश्वास फैलाते हैं, कुछ लोग समाज में ऐसे अंधविश्वास फैलाते हैं जो हम सभी के लिए नुकसानदायक होते हैं। आजकल के जमाने में भी जब भी कोई व्यक्ति घर से निकलता है और यदि कोई छींक दे चाहे उसे वह छींक सर्दी की वजह से ही क्यों ना हो लोग उसे अंधविश्वास या अपशगुन समझते हैं और या तो अपने कार्य पर नहीं जाते या फिर कुछ समय बाद जाते हैं।

ऐसा ही कई बार बिल्ली के रास्ता काटने पर भी होता है लोग बिल्ली के रास्ते काटने को भी अपशगुन समझते हैं और उस रास्ते से जब तक नहीं जाते तब तक की कोई और व्यक्ति उस रास्ते को लांग ना जाए यह सब अंधविश्वास है। आजकल के वैज्ञानिक युग में भी यह अंधविश्वास है और तो और पढ़े लिखे लोग ही इस अंधविश्वास से दूर नहीं है वह भी इस अंधविश्वास में विश्वास रखते हैं और अंधविश्वास को बढ़ावा देते हैं।

बहुत सी जगह देखा जाता है कि जब भी किसी बच्चे की तवियत खराब होती है तो मां-बाप उसे डॉक्टर को दिखाने के बजाए कई तांत्रिको के चक्कर लगाते है यह एक तरह का अंधविश्वास ही है। जब भी किसी की गाय दूध देना बंद कर देती है तो वह किसी चिकित्सक से सलाह लेने के बजाय किसी जानकार या तांत्रिक से मिलकर जादू टोना करवाने में विश्वास रखते हैं यह सब अंधविश्वास है।

हमें चाहिए कि हम इस अंधविश्वास से दूर रहैं और इस आधुनिक युग में, इस वैज्ञानिक युग में अपने जीवन में इस अंधविश्वास को आसपास भी ना आने दें। अंधविश्वास भारत में लगभग हर जगह देखने को मिलता है और तो और कुछ इलाकों में तो इतना अंधविश्वास फैला होता है कि अंधविश्वास की वजह से एक इंसान दूसरे इंसान की बलि तक चढ़ा देता है बाद में उसे समझ आता है कि उसने किसी की हत्या की है यह अंधविश्वास हमारे समाज को नुकसान पहुंचाता है हमें अंधविश्वास से दूर रहना चाहिए और जीवन को बदलना चाहिए।

 

अंधविश्वास पर कविता andhvishwas poem in hindi

फैला है चारो और अंधविश्वास

लोगो को है इसपर विश्वास

क्यो ये बिल्ली से दूर हो जाते

अपने मार्ग से दूर हट जाते

 

अंधविश्वास को ये बढ़ावा देते

खुदको आदिमानव जैसा समझ लेते

बली चढ़ाने से ना चूक ये पाते

जीवन को अंधियारे में झोंक लेते

 

बिल्ली के रोने को अवसगुन समझ लेते

विधवा बांझ को देखना पाप समझ लेते

फैला है चारो और अंधविश्वास

लोगो को है इसपर विश्वास

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