अंधे की आत्मकथा Andhe ki atmakatha in hindi
Andhe ki atmakatha in hindi
दोस्तों आज का हमारा आर्टिकल अंधे की आत्मकथा आप सभी को एक अंधे व्यक्ति की आत्मकथा के बारे में जानकारी देगा.आजकल हम देखते हैं की कुछ लोग अंधे होते हैं वह अपने जीवन में निराश होते हैं कुछ अंधे लोग हमें भीख मांगते हुए भी दिखाई देते हैं तो कुछ लोग परिवार में सामान्य लोगों की तरह जीवन जीते हुए भी दिखते हैं लेकिन अंधे लोगों को जिंदगी में बहुत सी परेशानियों का सामना करना पड़ता है समाज के लोगो के बहुत से ताने सुनने पड़ते हैं.
वास्तव में अंधे की जिंदगी जीना एक व्यक्ति के लिए सबसे बुरी सिचुएशन होती है हम सभी को ऐसे लोगों के प्रति दया भाव रखना चाहिए, उनका सम्मान करना चाहिए कभी भी गलती से भी उनका उपहास नहीं उड़ाना चाहिए हमको समझना चाहिए कि वह भी एक इंसान ही है.

काफी दिनों पहले मैं अपने दोस्त के साथ किसी दूसरे शहर गया हुआ था वहां पर मेरी मुलाकात एक 50 साल के व्यक्ति से हुई जो कि काला चश्मा लगाए हुए था मुझे पहले पता नहीं था कि वह अंधा हैं मैंने उनसे समय पूछा लेकिन उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया. मैंने फिर से पूछा तभी पास में ही खड़े व्यक्ति ने कहा कि भाई वह अंधे हैं. मुझे यह सुनकर अच्छा नहीं लगा. कुछ समय बाद वह व्यक्ति जब वहां से चला गया तब मैंने बेचारे उस अंधे व्यक्ति से पूछा भाई आपकी दशा कैसे हुई तभी उस व्यक्ति ने कुछ इस प्रकार मुझे अपनी आत्मकथा सुनाई कि
मैं पास के ही शहर का रहने वाला हूं यहां पर मैं अपने परिवार के साथ रहता हूं.
यह बात तब की है जब मैं 9 साल का था. मैं सामान्य बच्चों की तरह स्कूल जाता था लेकिन कुछ दिनों से मेरी तबीयत खराब थी, मुझे एक बुखार आ गया था और आंखों में भी जलन सी पड़ती थी तब मुझे एक डॉक्टर के पास ले जाया गया. डॉक्टर ने मेरा उपचार किया वह डॉक्टर हमारे मोहल्ले का ही एक झोलाछाप डॉक्टर था. कुछ दिनों तक तो मुझे ठीक लगा लेकिन मेरी आंखों की रोशनी कम होने लगी मैं बहुत ही परेशान होने लगा तभी एक दिन में अपने घर की एक सीढ़ी से गिर पड़ा और फिर मुझे बिलकुल दिखना बंद हो गया.
मुझे डॉक्टरों को दिखाया गया लेकिन कोई भी उसका परिणाम नहीं निकला तब से ही आज तक मैं इस दुनिया को नहीं देख पाया मैं आगे पढ़ाई भी नहीं कर पाया क्योंकि मुझे दिखता नहीं था मैं अपने पूरे परिवार पर बोझ हूं मेरे तीन भाई हैं चौथा मैं हूं.अंधे होने की वजह से मेरी अभी तक शादी भी नहीं हुई मेरे परिवार वाले मुझे दो वक्त का खाना तो दे देते हैं लेकिन इसके बदले में मुझे बहुत ताने सुनने पड़ते हैं सुबह सुबह जब मैं जागता हूं तो मुझसे कोई मिलना नहीं चाहता सबसे पहले मुझे कोई भी नहीं देखना चाहता.लोग सुबह मेरी शक्ल देखना अपशगुन समझते हैं लेकिन पता नहीं इसमें मेरी क्या गलती है ईश्वर ने मेरे साथ ऐसा क्यों किया.
उसने आगे कहा कि अभी मैं यहां पर इसलिए आया हूं कि मैं अपना खुद का कुछ रोजगार कर सकें क्योंकि मुझे नहीं लगता की मेरे परिवार वाले मुझे लंबे समय तक अपने साथ रखेंगे क्योंकि वह मुझे बोझ समझते हैं परिवार की औरतें मुझे ताने देती हैं बच्चे मेरा मजाक उड़ाते हैं मैं किसी भी करीबी रिश्तेदार के यहां पर शादी विवाह में नहीं जाता मुझे अच्छा नहीं लगता.अगर मैं अपना खुद का रोजगार करूं,कुछ पैसे कमाओ तो मैं अपनी इस परेशानी को खत्म कर सकता हूं नहीं तो हो सकता है आने वाले समय में मुझे भीख भी मांगना पड़े यही मेरी अभी तक की जिंदगी है.
उस अंधे व्यक्ति की बात सुनकर मुझे सच में बहुत दुख हुआ कि ईश्वर कुछ लोगों के साथ ऐसा क्यों करता है हमें वास्तव में ऐसे लोगों पर दया करनी चाहिए,उनकी हर तरह से हेल्प करनी चाहिए मैं उस व्यक्ति को ऑफिस के अंदर ले गया और और उसको रोजगार के लिए ऑफिसर से मिलवाया और फिर में उनको घर छोड़ने गया उसके बाद मैं अपने घर आ गया.
- रोटी की आत्मकथा व विचार Roti ki atmakatha, quotes in hindi
- भिखारी की आत्मकथा निबंध Bhikari ki atmakatha in hindi
दोस्तों अगर आपको हमारे द्वारा लिखा गया ये आर्टिकल Andhe ki atmakatha in hindi पसंद आए तो इसे शेयर जरूर करें और हमारा Facebook पेज लाइक करना ना भूलें और हमें कमेंटस के जरिए बताएं कि आपको हमारा यह आर्टिकल Andhe ki atmakatha in hindi कैसा लगा इसी तरह के नए-नए आर्टिकल को सीधे अपने ईमेल पर पाने के लिए हमें सब्सक्राइब जरूर करें।
हेलो सर प्रणाम मैंने आपका अंधे की आत्मकथा को पढ़ा सर मैंने भी एक अंधे बच्चे को देखा उससे बातचीत भी की उसमें कुछ कर दिखाने का जज्बा था परंतु उसकी आंखें नहीं थी मैंने पूछा कि तुम बाइक रिपेयरिंग का कार्य कर सकते हो उसने कहा मैं अंधा हूं मैं काम कैसे कर सकता हूं अगर मेरे आंखें होती तो में बिल्कुल करता उसने कहा क्या तुम हारी आंखें बंद कर दो तो तुम काम करोगे उसका जवाब सुनकर मैं बहुत अपने अंदर से हिल गया मैंने उसी समय मन में सोच विचार किया कि मैं अपनी आंखें बंद करके अगर बाइक रिपेयर का काम करता हूं तो क्या मैं कर पाऊंगा मैंने उसकी बातों को बहुत सीरियस ले लिया मैंने कुछ दिनों की प्रैक्टिस सेट अपने अंदर के जुनून से वह कार कर दिखाया मैं फिर उस बच्चे से मिलने गया पर वह बच्चा मुझे कभी नहीं मिला मैंने पूरी बाइक अपनी बंद आंखों से कंप्लीट कस दिया मैंने अपना नाम इंडिया बुक आफ रिकॉर्ड्स में भी दर्ज करवाएं अपनी आंखों पर पट्टी बांधकर बाइक का इंजन करना स्टार्ट करना मेरा विचार है अगर बच्चे मैं कुछ कर दिखाने का जज्बा हो जूनून हो तो वह बच्चा बाइक रिपेयर का काम सीख कर अपना वह अपने परिवार का भरण पोषण जरूर कर सकता है और मेने अब विचार किया कि मैं ऐसे बच्चों को बाइक रिपेयर का काम सीखा हूं अगर आपको ऐसे टैलेंट बच्चे जो कुछ कर दिखाने का जरूरत हे तो उन्हें कृपया मेरे बारे में बताएं धन्यवाद
यह मेरे कांटेक्ट नंबर है ९०३९४६३७७४