आंवला या अक्षय नवमी की कथा व् पूजा विधि Amla(Akshay) navami ki katha, puja vidhi in hindi
Amla(Akshay) navami ki katha, puja vidhi in hindi
दोस्तों आज हम आपको इस लेख के माध्यम से आंवला या अक्षय नवमी की कथा व् पूजा विधि को बताने जा रहेे है . चलिए अब हम आगे बढ़ते हैं और इस लेख को पढ़ते हैं .
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Amla(Akshay) navami puja vidhi
पूजा विधि – आंवला या अक्षय नवमी की पूजा बड़ेे ही धूम धाम से की जाती है . इस दिन सभी महिलाएं सुबह जल्दी उठकर स्नान करके आमले के पौधे एवं पत्तियों को पूजा में रखती है . पूजा की थाली में तुलसी के पत्ते , पौधा भी रखा जाता है . कलश एवं जल को भी पूजा में रखा जाता है . पूजा की थाली में नारियल , कुमकुम , हल्दी , अबीर , सिंदूर , गुलाल , चावल , सूत का धागा , श्रृंगार का सामान , धूपबत्ती , साड़ी ब्लाउज , दान करने के लिए अनाज आदि रखा जाता है .
इस दिन महिलाएं सुबह के समय जल्दी उठकर स्नान करके घर की साफ सफाई करती हैं . इसके बाद पूजा का सामान बनाती है . सभी महिलाएं आंवले के पेड़़ की पूजा करती हैं . आंवले के पेड़ की परिक्रमा लेती हैं . लाल धागे से 108 परिक्रमा लेती हैं . आंवले के पेड़़ की परिक्रमा लेते समय महिलाए सिंदूर , बिंदी , चूड़ी आमला के पेड़ पर चड़ाती है . आंवले के पेड़़ की पूजा करती है . आंवले के पेड़़ पर घी , दूध चढ़ाती हैं . सिंदूूर , हल्दी , चावल एवंं कुमकुम का तिलक लगाती हैं .
घी का दीपक जलाती हैं . पूजा करने के बाद कथा कही जाती है . सभी महिलाएं कथा सुनती हैं . इस तरह सेे आंवले के पेड़़ की पूजा करके अनाज दान किया जाता है . पूजा के बाद पूरा परिवार आंवले के पेड़ के पास बैठकर ही भोजन करता है . इस तरह से कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की नवमी को आमले का यह व्रत किया जाता है . भगवान श्री कृष्ण से सभी महिलाएं प्रार्थना करती हैं कि उनके यहां संतान जन्म ले एवं परिवार में सुख समृद्धि एवं शांति आये .
कथा – एक साहूकार था और उसकी एक पत्नी थी . उनकी शादी को बहुत साल हो चुके थे . उनकी कोई भी संतान नहीं थी . कई वर्ष बीत जाने के बाद बच्चा ना होने से साहूकार की पत्नी को बहुत गुस्सा आने लगा था . वह चिड़चिड़ी सी हो गई थी . एक समय की बात है कि वह जब शहर में सामान लेने के लिए गई थी तब उसे एक महिला मिली और उस महिला ने उसको बताया कि यदि आप संतान चाहती हो तो आपको एक पुत्र की बलि चढ़ानी होगी .
जब साहूकार की पत्नी ने साहूकार से इस विषय में बातचीत की तब साहूकार ने उसको मना किया और इस तरह के कोई भी काम ना करने के लिए कहा था लेकिन साहूकार की पत्नी पुत्र मोह में पागल हो चुकी थी . उसको अच्छाई और बुराई में फर्क नहीं समझ में आ रहा था और उसने गांव के ही एक बच्चे की बलि चढ़ा दी थी . जिससे भगवान रुष्ट हो गए थे और उसको तरह-तरह की बीमारी हो गई थी .
वह परेशान रहने लगी थी जब उसके पति साहूकार ने पूछा कि है यह क्यों हो रहा है तब उसकी पत्नी ने उससे कहा कि मैंने एक बच्चे की बलि चढ़ाई थी जिसके कारण मेरी यह दशा हुई है . उसके पति को बहुत गुस्सा आया और उसने अपनी पत्नी को बहुत जोर से मारा पीटा था लेकिन अपनी पत्नी की यह हालत देख कर उसको दया आ गई थी .
उसने अपनी पत्नी से कहा कि यदि अपने पापों से मुक्ति पाना चाहती है तो गंगा नदी में जाकर के स्नान कर ले जिससे कि तेरे सभी पाप धुल जाएं और तेरे सभी कष्ट दूर हो जाएं . उसकी पत्नी ने उसकी बात मान कर गंगा नदी पर जाकर गंगा में डुबकी लगाइ थी . उसी समय गंगा मैया एक बुढ़िया का रूप धारण करके उसके पास आई और बोली तुझे यदि अपने रोगों से एवं कष्टों से मुक्ति पाना है तो कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की नवमी को वृंदावन जाकर आमले का व्रत रखना तेरे सभी कष्ट दूर हो जाएंगे .
इस तरह से साहूकार की पत्नी ने उस बुढ़िया की बात मान ली और कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की नवमी को व्रत रखा था . इस व्रत के करने के बाद साहूकार की पत्नी की बीमारी ठीक हो गई थी . उसका चेहरा , हाथ सुंदर हो गए थे और उसको एक पुत्र भी हुआ था . तभी से यह व्रत किया जाने लगा था .
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