अलाउद्दीन खिलजी का इतिहास Alauddin khilji history in hindi
Alauddin khilji history in hindi
दोस्तों आज हम आपको इस लेख के माध्यम से अलाउद्दीन खिलजी के जीवन के बारे में बताने जा रहे हैं ।चलिए अब हम आगे बढ़ते हैं और इस लेख को ध्यान से पढ़ पर अलाउद्दीन खिलजी के इतिहास के बारे में जानते हैं । अल्लाउद्दीन खिलजी दिल्ली सल्तनत के खिलजी वंश का दूसरा शासक था ।
अल्लाउद्दीन खिलजी का शासन अफगानिस्तान से लेकर उत्तर एवं मध्य भारत तक था । अलाउद्दीन खिलजी ने अपनी शक्ति से भारत के सबसे अधिक हिस्सों पर शासन किया था । अगले 300 वर्षों तक कोई भी शासक अपना शासन स्थापित नहीं कर पाया था । अलाउद्दीन खिलजी का जन्म 1267 को हुआ था ।
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अलाउद्दीन खिलजी ने 1296 को अपना शासन प्रारंभ किया था । 1296 से लेकर 1316 तक अलाउद्दीन खिलजी का शासन काल रहा था । पहले यहां का शासक जलालुद्दीन खिलजी था । अलाउद्दीन खिलजी के बाद यहां का शासक शहाबुद्दीन उमर बना था । अलाउद्दीन खिलजी ने 3 शादियां की थी । पहली शादी मल्लिका ए जहां से की थी जो जलालुद्दीन की पुत्री थी । दूसरा विवाह अलाउद्दीन ने मेहरू से किया था जो अल्प खान की बहन थी । तीसरा विवाह कमला देवी से किया था ।
यह कमला देवी कर्ण की पूर्व पत्नी थी । अलाउद्दीन का धर्म सुन्नी इस्लाम था । अपना शासन काल प्रारंभ होने के बाद अलाउद्दीन खिलजी ने अपनी शक्ति , ताकत को बढ़ाया एवं कई आक्रमण अपना साम्राज्य बढ़ाने के लिए अलाउद्दीन खिलजी ने किए थे । इनमें मंगोल आक्रमण भी शामिल है । अलाउद्दीन खिलजी को बचपन में गुरशास्प् के नाम से पुकारा जाता था । अलाउद्दीन खिलजी ने धीरे धीरे अपने चाचा जलालुद्दीन के साथ काम करना प्रारंभ किया ।
इसके बाद सबसे पहले अलाउद्दीन को अमीरे तुजुक का पद दिया गया था । इस पद पर रहकर अलाउद्दीन ने युद्ध करने के तरीके , शासनकाल को संभालने के तरीके सीखे थे । जब मलिक छज्जू ने जलालुद्दीन पर विद्रोह करना प्रारंभ किया तब अलाउद्दीन खिलजी ने इस विद्रोह को अपनी शक्ति से समाप्त किया था । जब अलाउद्दीन खिलजी ने मलिक छज्जू का विद्रोह समाप्त कर दिया तब जलालुद्दीन खिलजी अलाउद्दीन खिलजी से बहुत खुश हुआ था ।
इसी खुशी के कारण जलालुद्दीन ने अलाउद्दीन को कड़ा मणिपुर की सूबेदारी सौंप दी थी । इसके बाद अलाउद्दीन खिलजी ने अपनी शक्ति एवं सैन्य बल से चंदेरी , भिलसा एवं देवगिरी को लूट लिया था जिससे अलाउद्दीन खिलजी की स्थिति और भी मजबूत हो गई थी । उसके पास बहुत सा धन इकट्ठा हो गया था । जब उसने अपनी शक्ति को बढ़ता हुआ देखा तब उसने अपने आप को सुल्तान बनाने का फैसला कर लिया था ।
अलाउद्दीन खिलजी ने सुल्तान बनने के लिए अपने सगे चाचा एवं ससुर जलालुद्दीन खिलजी की धोखे से हत्या कर दी थी । अपने सगे चाचा से अलाउद्दीन खिलजी मिलने गया था । अपने चाचा के पास जाकर उसने अपने चाचा को गले से लगा लिया था और अलाउद्दीन खिलजी के दोनों सैनिकों ने जलालुद्दीन की पीठ पर छुरे से हमला कर दिया था । अलाउद्दीन ने जलालुद्दीन की 22 अक्टूबर 1996 को हत्या कर दी थी ।
अपने चाचा एवं ससुर की हत्या करने के बाद अलाउद्दीन खिलजी ने 22 अक्टूबर 1996 को बलबन की लालमहल में अपना राज्याभिषेक करवाया था । इसके बाद पूरा शासन उसी के अधीन था । अलाउद्दीन ने अपने दरबार में अमीर खुसरो एवं हसन निजामी जैसे विद्वानों को रखा था । यह दोनों उच्च कोटि के विद्वान थे । इन दोनों विद्वानों को दरबार का संरक्षण प्राप्त था । अलाउद्दीन अपनी शक्ति के बल से अपनी सत्ता स्थापित करता गया ।
उसने अपने शासनकाल में कई निर्माण कार्य करवाए थे । अलाउद्दीन खिलजी ने अपने शासनकाल में वृत्ताकार अलाई दरवाजा एवं कुस्क ए शिकार का निर्माण कराया था । कई लोगों ने अलाउद्दीन खिलजी के शासनकाल में विद्रोह किया था । अलाउद्दीन खिलजी का विद्रोह सबसे पहले दमन नुसरत खान ने किया था । 1299 को जब कई शासकों ने गुजरात को लूटा था तब उस धन के बंटवारे में नवी मुसलमानों ने अलाउद्दीन खिलजी का विद्रोह किया था ।
यह विद्रोह दमन नुसरत खान के नेतृत्व में किया गया था । अलाउद्दीन खिलजी पर दूसरा विद्रोह अलाउद्दीन खिलजी के भतीजे अकत खान द्वारा किया गया था । अलाउद्दीन खिलजी के भतीजे अकत खान ने मंगोल मुसलमानों से हाथ मिला लिया था ।अलाउद्दीन खिलजी के भतीजे ने अलाउद्दीन खिलजी पर हमला करने का प्लान तैयार किया और मौका मिलते ही अलाउद्दीन खिलजी पर उसके भतीजे ने प्राणघातक हमला कर दिया था लेकिन इस हमले में अलाउद्दीन खिलजी को किसी भी तरह की कोई भी हानि नहीं हुई थी ।
उसने अपनी शक्ति एवं समझ से इस हमले का सामना किया और अपने भतीजे को हरा दिया था। हराने के बाद अपने भतीजे को मार दिया था । ऐसा कहा जाता है की अलाउद्दीन खिलजी ने अपने भतीजे की गर्दन काट दी थी । इसके बाद अलाउद्दीन खिलजी पर विद्रोह करने वाला तीसरा व्यक्ति अलाउद्दीन खिलजी की बहन के लड़के थे । अलाउद्दीन खिलजी की बहन के लड़के मलिक उमर एवं मंगू ने विद्रोह किया और अलाउद्दीन खिलजी पर हमला कर दिया था लेकिन इस हमले में भी जीत अलाउद्दीन खिलजी की हुई थी ।
उसने अपनी बहन के दोनों बच्चों को पकड़ कर उनकी हत्या कर दी थी । अलाउद्दीन खिलजी पर चौथा विद्रोह करने वाला हाजी मौला था जो कि दिल्ली का रहने वाला था । हाजी मौला का दमन सरकार अमीदिन ने किया था । इन चार विद्रोह के बाद अलाउद्दीन खिलजी पर कई विद्रोह और किए गए थे । अलाउद्दीन खिलजी पर तुर्की के अमीरों ने विद्रोह किया था । अलाउद्दीन खिलजी ने इस विद्रोह का कारण ढूंढा और विद्रोह समाप्त करने के लिए चार अध्यादेश जारी किए थे ।
पहले अध्यादेश में यह लिखा था कि पेंशन के रूप में अमीरों को दी गई भूमि जप्त की जाएगी और उस पर अधिकार कर लगा दिया जाएगा । द्वितीय अध्यादेश में यह लिखा था की गुप्तचर विभाग को संगठित किया जाएगा और गुप्तचर अधिकारी एवं गुप्तचर नियुक्त किए जाएंगे । तृतीय अध्यादेश में यह लिखा था की भांग खाने वाले एवं जुआ खेलने वाले व्यक्ति पर प्रतिबंध लगा दिया जाएगा ।
इस तरह से अलाउद्दीन खिलजी ने अफगानिस्तान से लेकर मध्य उत्तर भारत तक अपना शासन स्थापित किया था । जब अलाउद्दीन खिलजी किसी बीमारी को लेकर बीमार पड़ गया था तब उसकी यह बीमारी ठीक नहीं हो पाई थी । इस बीमारी के कारण अलाउद्दीन खिलजी की 2 जनवरी 1316 को मौत हो गई थी ।
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