रामलोचन सरन की जीवन परिचय Acharya ramlochan saran in hindi
Acharya ramlochan saran in hindi
Acharya ramlochan saran – दोस्तों आज हम आपको इस आर्टिकल के माध्यम से भारत देश के हिंदी जगत के महान लेखक रामलोचन सरन के जीवन परिचय के बारे में बताने जा रहे हैं । तो चलिए अब हम आगे बढ़ते हैं और इस आर्टिकल को पढ़कर रामलोचन सरन के जीवन परिचय के बारे में विस्तृत जानकारी प्राप्त करते हैं ।
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राम लोचन शरण के जन्म व् मृत्यु के बारे में – रामलोचन सरन एक ऐसे महान लेखक थे जिन्होंने हिंदी में कई लेख लिखकर लोगों को सच्चाई के रास्ते पर चलाने का काम किया है । ऐसे महान लेखक रामलोचन सरन जी का जन्म 15 फरवरी 1889 को हुआ था । राम लोचन शरण जी का देहांत 1971 में दरभंगा में हुआ था ।
रामलोचन सरन द्वारा किए गए पुस्तक प्रकाशन के बारे में – रामलोचन सरन जी ने हिंदी जगत में कई पुस्तके हिंदी भाषा में लिखकर पुस्तकों के माध्यम से लोगों को ज्ञान देने का काम किया था । रामलोचन सरन जी के द्वारा 1915 में लोगों को सच्चाई का रास्ता दिखाने के उद्देश्य से पुस्तक भंडार प्रकाशन की स्थापना की गई थी । पुस्तक भंडार प्रकाशन की स्थापना रामलोचन सरन जी के द्वारा पटना और लहेरियासराय मे की गई थी । जब रामलोचन सरन जी के द्वारा पुस्तक भंडार प्रकाशन की स्थापना की गई तब कई महान लोगों ने रामलोचन सरन के इस महान कार्य की प्रशंसा की थी । जिन लोगों ने पुस्तक भंडार प्रकाशन के माध्यम से पुस्तकें पढ़कर ज्ञान प्राप्त किया था वह रामलोचन सरन जी के इस महत्वपूर्ण कार्य से खुश थे ।
रामलोचन सरन जी यहीं पर ही नहीं रुके बल्कि वह और भी लेख लिखना चाहते थे जिसके लिए वह निरंतर मेहनत करते थे । इसके बाद रामलोचन शरण के द्वारा बालक पत्रिका भी लिखी गई है जिस पत्रिका को पढ़ने के बाद ज्ञान की प्राप्ति होती है । इसके बाद रामलोचन सरन जी के द्वारा हिमालय नामक पत्रिका लिखी गई है जिस हिमालय नामक पत्रिका में भारतीय हिमालय पर्वत के बारे में बताया गया है । इस पत्रिका मे पर्वतों की महत्वता , हिमालय की महत्वता के बारे में बताया गया है ।
इसके बाद रामलोचन सरन जी के द्वारा होनहार पत्रिका का शिलान्यास किया गया और वह होनहार पत्रिका के माध्यम से सुंदर सुंदर लेख लिखने लगे थे । जब होनहार पत्रिका प्रकाशित हुई तब कई श्रोताओं ने रामलोचन सरन जी के द्वारा लिखी गई होनहार पत्रिका की काफी सराहना की थी । ऐसे महान हिंदी लेखक रामलोचन सरन जी की कमी आज काफी महसूस होती है । रामलोचन सरन जी जब लोगों से मिलते थे और उनकी पीड़ा और दुख को महसूस करते थे तब वह एक अच्छे लेखक की भूमिका अदा करने के उद्देश्य से उनकी मुसीबतों का हल निकालने के उद्देश्य से वह लेख लिखते थे ।
वह जानते थे कि मनुष्य की परेशानी की सबसे बड़ी जड़ अज्ञानता है । वह लोगों को ज्ञान के मार्ग पर ले जाकर उनके व्यक्तित्व को निखारने के लिए लेख लिखते थे । जब हिंदी साहित्य के महान लेखक रामलोचन सरन जी के द्वारा मनोहर पोथी लिखी गई तब वह लोगों को मनोहर पोथी के माध्यम से अपने विचारों को उनके समक्ष प्रस्तुत करने जा रहे थे । हिंदी साहित्य के महान लेखक रामलोचन सरन जी छोटे बच्चों से स्नेह करते थे । वह सभी बच्चों को सच्चाई के रास्ते पर चलने और एक अच्छा जीवन जीने के बारे में बताने के लिए लेख लिखते थे ।
उनकी बालक पत्रिका सबसे महत्वपूर्ण पत्रिका है जिस बालक पत्रिका में उन्होंने बचपन की घटनाओं और सभी बालकों को अपने जीवन को सफल बनाने के लिए क्या करने की आवश्यकता होती है यह बताया है । बालक पत्रिका के माध्यम से रामलोचन सरन जी ने यह भी प्रयास किए हैं कि वह छोटे छोटे बालकों को वर्णमाला सिखा सकें जिससे कि सभी बालक बालिकाएं वर्णमाला सीखने के बाद अपने जीवन को ज्ञान की ओर ले जाएं और वह एक शिक्षित होकर हिंदी जगत के महान कलाकार बने और देश का नाम रोशन करें ।
आज जब हम रामलोचन सरन जी के द्वारा लिखी गई पुस्तकें पढ़ते हैं तब हमें बड़ा आनंद आता है क्योंकि उनकी पुस्तकों में जीवन का सार छुपा हुआ है । वह कहीं ना कहीं लोगों को गतिशील रास्ते पर ले जाने के लिए लेख लिखते थे जिस लेख को आज भी पढ़ने के बाद हमें आनंद प्राप्त होता हैं ।
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