आम आदमी की आत्मकथा Aam aadmi ki atmakatha paragraph in hindi

Aam aadmi ki atmakatha paragraph in hindi

Aam aadmi ki atmakatha – दोस्तों आज हम आपको इस आर्टिकल के माध्यम से आम आदमी की आत्मकथा के बारे में बताने जा  रहे हैं । तो चलिए अब हम आगे बढ़ते हैं और इस आर्टिकल को पढ़कर आम आदमी की आत्मकथा के बारे में विस्तृत रूप से पूरी जानकारी प्राप्त करते हैं ।

Aam aadmi ki atmakatha paragraph in hindi
Aam aadmi ki atmakatha paragraph in hindi

आम आदमी की आत्मकथा के बारे में – मैं एक आम आदमी बोल रहा हूं । मैं समाज में रहकर अपना जीवन व्यतीत करता हूं । जब मेरा जन्म पृथ्वी पर हुआ तब मैं अपने पूरे परिवार के साथ रह कर अपना जीवन व्यतीत करता था । जैसे ही मेरी उम्र थोड़ी बड़ी हुई तब मैं अपने मित्रों के साथ स्कूल में पढ़ाई करने के लिए जाया करता था । इसके बाद मेरी उम्र और बड़ी हुई तब मे कॉलेज में पढ़ाई करने के लिए गया और कॉलेज से मैंने अपना ग्रेजुएशन  पूरा किया था । ग्रेजुएशन पूरा करने के बाद जब मेरे घर के बड़े बुजुर्गों के द्वारा मेरी शादी कराई गई तब बड़े धूमधाम से मेरी शादी कराई गई थी । इसके बाद मैं पारिवारिक जिम्मेदारी से बंध गया था ।

मेरी पढ़ाई पूरी हो जाने के बाद मुझे एक नौकरी की आवश्यकता थी । पर नौकरी आज के जमाने में आसानी से नहीं मिलती है । परंतु ने यह ठान चुका था कि मैं भारत का एक जागरूक आम आदमी हूं । मैं पढ़ लिख कर एक अच्छा इंसान बना  हूं । धीरे-धीरे समय बीतता गया पर मुझे सरकारी नौकरी नहीं मिली । मैं बेरोजगारी के जाल में पूरी तरह से फंस चुका था । पर मैंने हार नहीं मानी , मैंने अपने परिवार से कुछ पैसे लेकर अपना खुद का छोटा सा धंधा करना प्रारंभ किया । परंतु मेरे पास खुद की एक दुकान नहीं थी । मैं फुटपाथ पर  ठेला लगाकर अपना भरण-पोषण करने लगा था । इसके बाद मैं प्रतिदिन बाजार में ठेला लगाकर पैसा कमा कर अपने परिवार का भरण पोषण करता था ।

जब मैं बड़ी बड़ी कारों में बैठे हुए व्यक्ति को देखता था तब मुझे बड़ा आश्चर्य होता था कि इन लोगों के पास कितना पैसा है । मैंने जो इतनी पढ़ाई की है फिर भी मुझे फुटपाथ पर मजदूरी करना पड़ रही है । जब एक बार मैं सरकारी योजना का लाभ लेने के उद्देश्य से सरकारी ऑफिस में गया तब वहां पर मुझे सरकारी कर्मचारी के द्वारा परेशान किया जा रहा था । जब सरकारी कर्मचारी के द्वारा मुझे इधर उधर घुमाया गया तब मुझे बहुत गुस्सा आ गया था ।गुस्से में आकर मैंने उस कर्मचारी से यह कह दिया कि हम भारत के आम नागरिक हैं यदि आम नागरिक को परेशान किया जाएगा तो आम नागरिक को विरोध व्यक्त करने के लिए सड़क पर उतरना पड़ेगा ।

परंतु उस कर्मचारी के दिमाग में कुछ और ही चल रहा था । उसने मुझे सरकारी योजना का लाभ देने से मना कर दिया था । मैंने भी यह ठान लिया था कि मैं भारत का एक जागरूक आम नागरिक हूं । सरकार के द्वारा गरीबों की सहायता करने के उद्देश्य से योजनाएं प्रारंभ की जाती हैं । यदि गरीबों को   योजना का लाभ नहीं मिलेगा तो किसे मिलेगा । मैं भारत का एक गरीब आम नागरिक हूं । मुझे सरकार की सभी योजनाओं का लाभ अवश्य मिलना चाहिए । यह बात सोच कर मैं कलेक्टर महोदय से मिलने के लिए ऑफिस में चला गया था । कलेक्टर ऑफिस  मे जाकर मैंने कलेक्टर महोदय को एक आवेदन दिया । जब कलेक्टर महोदय को आवेदन प्राप्त हुआ तब कलेक्टर महोदय ने मुझे न्याय दिलाने के बारे में कहा था ।

इसके बाद कलेक्टर महोदय ने उस सरकारी कर्मचारी को ऑफिस में बुलाया और पूछा कि यह व्यक्ति योजना का लाभ क्यों नहीं ले सकता है ।जब कलेक्टर महोदय के द्वारा कर्मचारी से यह पूूूूछा गया तब सरकारी कर्मचारी कलेक्टर महोदय से झूठ बोलने लगा कि मैंने इससे मना नहीं किया था । इसके पास पूरे डॉक्यूमेंट  उपलब्ध नहीं थे इसलिए मैंने इससे पूरे डॉक्यूमेंट लाने के लिए कहा था । मैंने तुरंत कलेक्टर महोदय से कहा कि यह झूठ बोल रहा है मेरे पास अभी के अभी पूरे डॉक्यूमेंट उपलब्ध हैं । मैंने तुरंत अपने बैग से डॉक्यूमेंट निकालकर कलेक्टर महोदय को दिए जिसके बाद कलेक्टर महोदय ने मुझे उस योजना का लाभ दिलाया और उस सरकारी कर्मचारी को कुछ समय के लिए सस्पेंड कर दिया गया था ।

जब मुझे कलेक्टर महोदय के द्वारा इंसाफ दिलाया गया तब मैं समझ गया था कि मैं भारत का एक आम नागरिक हू । मुझे भारतीय संविधान के हिसाब से अपना जीवन व्यतीत करना चाहिए । मैं भारतीय संविधान पर विश्वास रखता हूं । मेरी जो सीमा है उस सीमाओं में रहकर मैं अपना जीवन व्यतीत करता हूं । भारत का आम नागरिक होने के साथ मेरी कुछ जिम्मेदारियां हैं जिन जिम्मेदारियों को मैं बखूबी निभाता हूं ।

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