शीतला माता का इतिहास व् कहानी shitla mata history, story in hindi
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दोस्तों आज हम आपके लिए लाए हैं शीतला माता का इतिहास व् कहानी को । चलिए अब हम पढ़ेंगे शीतला माता के बारे में
शीतला माता की पूजा होली के बाद आने वाली सप्तमी को की जाती है, उस दिन से एक दिन पहले ही सभी अपने घरों में खाना बनाते हैं और सुबह शीतला माता के मंदिर जाकर पूजा करके उन्हें भोजन चढ़ाते हैं इसके बाद घरों में चूल्हा नहीं जलाया जाता है सभी उसी भोजन को खाते हैं।
चलिए अब हम शीतला माता की कथा सुनते हैं .
शीतला माता की कहानी sheetla mata story in hindi
एक बार शीतला माता ने विचार बनाया की चलो अब धरती पर घूमने के लिए चलें और धरती पर जाकर देखें की कौन मेरी पूजा करता है । यह सोचकर शीतला माता धरती पर आ गई और शीतला माता डूंगरी गांव में पहुंची वहां पर पहुंचने के बाद शीतला माता ने देखा कि यहां पर तो मेरा मंदिर ही नहीं है और कोई भी मेरी पूजा नहीं करता है । वह पूरे गांव में घूम घूम कर देखने लगी थी । वह एक घर के सामने से निकल रही थी तब ऊपर से किसी ने उबले हुए चावल का पानी ऊपर से फेंक दिया था । तब वह पानी शीतला माता के ऊपर जा गिरा था और शीतला माता के पूरे शरीर में छाले पड़ गए थे । उनके शरीर में जलन होने लगी थी ।
वह पूरे गांव में चिल्लाने लगी कि मैं जल गई हूं, मुझे बचाओ लेकिन किसी ने भी शीतला माता की पुकार नहीं सुनी और वह चिल्लाती हुई एक कुम्हारन के घर के सामने पहुंची वहां पर एक कुम्हारन अपने घर के दरवाजे पर बैठी हुई थी । उसने जब देखा कि मां पूरी तरह से जल गई है तब उस कुम्हारन ने शीतला माता को बुलाया और कहां तुम्हारा पूरा शरीर जल गया है । इधर आइए मैं तुम्हारे ऊपर ठंडा पानी डाल देती हूं । शीतला माता वहा पर बैठ गई और कुम्हारन ने शीतला माता के ऊपर ठंडा पानी डाल दिया । इसके बाद उसने माता से कहा कि मेरे पास आटे की रावड़ी और दही रखा हुआ है ।
मैं वह राबड़ी और दही ले आती हूं आप उसका भोजन कर लेना इससे आपके शरीर में ठंडक आ जाएगी । माता ने रावड़ी और दही खा लिया था जिससे माता के शरीर को आराम मिला था । इसके बाद उस कुम्हारन ने शीतला माता से कहा कि तुम यहां पर आ जाओ मैं तुम्हारे बाल बुन देती हूं । जैसे ही वह कुम्हारन शीतला माता के बाल बुन रही थी तब उसकी नजर बालों के बीच छुपि आंख पर पड़ी और वह यह देख कर डर गई थी । तब माता सीतला ने उस कुम्हारन से कहा कि तुम मुझसे मत डरो । मैं कोई भूत या आत्मा नहीं हूं , मैं शीतला माता हूं । मैं धरती पर यह देखने आई हूं कि कौन मेरी पूजा करता है और मेरी पूजा कैसे की जाती हैं तब शीतला माता अपने पूरे रूप में आ गई थी ।
वह कुम्हारन सोचते हुए परेशान होने लगी तब माता ने उस कुम्हारन से कहा कि तुम किस सोच में डूबी हुई हो । तब उस कुम्हारन ने माता से कहा कि मेरे घर में इतनी जगह नहीं है कि मैं तुम्हारा आसन लगाकर तुम्हें वहां पर बैठा सकूं । मेरे पूरे घर में गंदगी ही गंदगी पड़ी हुई है । तब शीतला माता ने उस कुम्हारन से कहा कि तुम किसी प्रकार की चिंता मत करो और उसी समय शीतला माता एक गधे पर बैठकर एक हाथ में झाड़ू और एक हाथ में डलिया लेकर पूरे घर को साफ कर दिया था और शीतला माता ने कुम्हारन से कहा कि मैं तुम्हारी पूजा से खुश हूं । इसलिए तुम जो वरदान मांगोगी मैं तुम्हें वह वरदान अवश्य दे दूंगी ।
तब उस कुम्हारन ने शीतला माता से कहा कि जिस तरह से आपने मेरे घर की दरिद्रता दूर की है उसी तरह से आप इस गांव में रहकर इस गांव की दरिद्रता दूर करें और शीतला माता ने उसको यह वरदान दे दिया और डूंगरी गांव में शीतला माता का मंदिर बनाया गया था । यह कहा जाता है कि जो व्यक्ति डूंगरी गांव के शीतला माता मंदिर पर माथा टेकने के लिए जाता है उसकी सारी मुराद पूरी हो जाती हैं ।
शीतला माता पूजा सामग्री sheetla mata puja samagri in hindi
शीतला माता की पूजा होली के बाद आने वाली सप्तमी को होती है । सप्तमी के दिन पूजा करने से सभी के घरों की दरिद्रता दूर होती है । शीतला माता की पूजा करने के लिए हमें 1 दिन पहले ही खाने , पीने एवं पूजा करने की सामग्री बनानी होती है । पूजा की सामग्री में पुए , पुड़ी , सब्जी , बाजरे की रोटी , मीठा भात , चूरमा , खाजा , नमक के पारे , मगद , शक्कर के पारे , बेसन की चक्की , कुल्हड़ में मोठ एवं बाजरा भिगोए जाते हैं । शीतला माता सप्तमी के एक दिन पहले ही कुम्हार के घर से मिट्टी का दीपक और कुल्हड़ मंगाया जाता है । हमें एक थाली में पुष्प , रोली , वस्त्र , दूबा , गोल सुपारी , पान , कपूर , एक लोटे में शीतल जल , अगरबत्ती , धूपबत्ती आदि सजाना चाहिए ।
शीतला माता पूजा विधि sheetla mata puja vidhi in hindi
हमें होली के बाद आने वाली सप्तमी के एक दिन पहले ही खाने की सभी सामग्री बना लेनी चाहिए । उस दिन हम सुबह जल्दी उठकर ठंडे पानी से स्नान करके शीतला माता के मंदिर जाते हैं । वहां पर हम शीतला माता की मूर्ति पर जल चढ़ाकर फूल चढ़ाते हैं ,दूँबा चढ़ाते हैं और चुनरी चढ़ाते हैं । इसके बाद धूप बत्ती लगाकर माता की पूजा करते हैं । एक दीपक बिना जला हुआ माता के यहां चढ़ाते है । पूजा करने के बाद शीतला माता से घर की सुख शांति की प्रार्थना करते हैं । इसके बाद हम जहां पर होली जलाई जाती है वहां पर हम पूजा करते हैं । पूजा करने के बाद घर में चूल्हा नहीं जलाया जाता है । उस दिन पूरा परिवार बासा भोजन करते हैं । ऐसा करने से शीतला माता प्रसन्न होती हैं और घर में सुख शांति एवं समृद्धि देती हैं ।
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