डाकोर मंदिर का इतिहास dakor temple history in hindi

dakor temple history in hindi

दोस्तों आज हम आपके लिए लाए हैं डाकोर मंदिर के इतिहास को । चलिए अब हम पढ़ेंगे डाकोर मंदिर के इतिहास को ।

dakor temple history in hindi
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डाकोर मंदिर गुजरात राज्य के डाकोर में स्थित है । डाकोर मंदिर गुजरात राज्य का सबसे प्रसिद्ध और सुंदर मंदिर माना जाता है । इस मंदिर के दर्शन के लिए भारत देश के कोने-कोने से लोग आते हैं । यहां पर सभी भक्तों का जमावड़ा लगता है । यहां पर काफी भीड़ भक्तों की देखने को मिलती है । यह मंदिर इतना सुंदर दिखाई देता है कि हमारा मन इसको देखने का करता है । इस मंदिर की सुंदरता अद्भुत चमत्कारी दिखाई देती है । इस मंदिर की मूर्ति बहुत सुंदर दिखाई देती है । इस मंदिर के अंदर जो मूर्ति रखी हुई है इस मूर्ति के बारे में यह कहा जाता है कि यह मूर्ति द्वारिका से चोरी करके लाई गई थी । इस मूर्ति को लेकर एक कहानी भी बताई गई है ।

डाकोर में एक व्यक्ति रहता था जिसका नाम बाजे सिंह  था । वह भगवान रणछोड़  जी से बहुत प्रेम करता था । वह भगवान रणछोड़ जी की भक्ति में लीन रहता था । वह भगवान रणछोड़  जीके के दर्शनों के लिए 1 साल में दो बार द्वारिका जाया करता था । वह कई समय तक द्वारिका में भगवान रणछोड़  जी के दर्शन करने जाता रहा । जब वह बूढ़ा हो गया था , उसके हाथ पैर कमजोर हो गए थे तब उसे एक चिंता सता रही थी कि अब मै  भगवान रणछोड़ जी के दर्शन कैसे करने के लिए जाऊंगा तब भगवान कृष्ण ने बाजे सिंह को सपने में कहा कि अब तुम किसी प्रकार की चिंता मत करो तुम द्वारिका जाओ और वहां से मेरी मूर्ति उठा लाओ और यहां पर स्थापित कर दो जिससे तुम्हें मेरे दर्शन होते रहेंगे ।

बाजे सिंह ने भगवान रणछोड़ जी की बात मान कर द्वारिका चला गया और वहां से मूर्ति को चुरा लाया था और वह मूर्ति  तालाब के किनारे छुपा दी थी । जब सुबह हुई तब मंदिर में सभी भक्त दर्शन करने के लिए गए लेकिन जब उन्होंने मंदिर में देखा तो वहां से भगवान रणछोड़  जी की मूर्ति गायब थी । पूरे द्वारिका में तहलका मच गया था और सभी मूर्ति की खोज में लग गए थे । लोगों में दहशत फैल गई थी और सभी लोग सोचने लगे थे कि आखिरकार यह मूर्ति चली कहां गई है । कोई व्यक्ति कहता है की चोर चुरा कर ले गए हैं तो कोई व्यक्ति  कहता हैं कि यह मूर्ति गायब हो गई है लेकिन यह सच्चाई पूरी तरह से सामने नहीं  आ पा रही थी ।

मूर्ति ढूंढते ढूंढते सभी  नुकीली गुप्पी और हथियारों से तालाब को कुचेल ने लगे जिसके कारण गुप्पी की नॉक मूर्ति पर लग गई थी और मूर्ति पर निशान आ गया था । जो निशान आज भी मूर्ति पर मौजूद है । इसके बाद बाजे सिंह ने उस मूर्ति को डाकोर के मंदिर में स्थापित करवा दी थी । बाजे सिंह रणछोड़ भगवान का सबसे बड़ा प्रिय भक्त था । वह रणछोड़ भगवान की भक्ति में पूरी तरह से लीन हो जाता था । जब वह भगवान रणछोड़ की भक्ति में खो जाता था तब वह किसी की भी बात को नहीं सुनता था । डाकोर की मूर्ति काली थी । उस मंदिर के दर्शन के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं ।

डाकोर के मंदिर के पास एक बड़ा तालाब भी मौजूद है । उस तालाब के तट पर एक डंकनाथ महादेव का मंदिर भी बना हुआ है । डंकनाथ  मंदिर  बहुत ही सुंदर दिखाई देता है । डाकोर के अंदर मंदिर में बाजे सिंह के साथ साथ भगवान रणछोड़ जी की भी मूर्ति है । यह मूर्ति बड़ी अद्भुत और सुंदर दिखाई देती है । यह धार्मिक तीर्थ स्थल पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है । देश के साथ-साथ विदेश के कई लोग घूमने के लिए , भगवान रणछोड़ जी के दर्शन के लिए आते हैं । यह मान्यता है कि जो भी भक्त गुजरात के डाकोर मंदिर में भगवान रणछोड़ जी के दर्शनों के लिए आता है उसकी सारी मुरादें पूरी हो जाती है । उसके परिवार के दुख दूर हो जाते हैं ।

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