भक्ति आन्दोलन पर निबंध bhakti andolan in hindi
bhakti andolan in hindi
दोस्तों आज हम आपके लिए लाए हैं भक्ति आंदोलन पर लिखें इस निबंध को । चलिए अब हम पढ़ेंगे भक्ति आंदोलन पर लिखें इस निबंध को । भक्ति आंदोलन के द्वारा सभी को ईश्वर की ओर बढ़ाना है । भक्ति आंदोलन का आरंभ दक्षिण भारत के रहने वाले आलबोरा एवं नायनारों से हुआ था । यह आंदोलन धीरे धीरे बढ़ता गया और दक्षिण भारत से प्रारंभ होते हुए कालांतर में उत्तर भारत सहित संपूर्ण दक्षिण एशिया में फैल गया था ।
इस अभियान में कई लोगों ने भाग लिया था । इस अभियान को सफलता की ओर ले जाने के लिए कई लोग आगे आए थे । भक्ति आंदोलन एक क्रांति बन चुकी थी । लोगों के अंदर भक्ति भाव जगाने के लिए कई लोग बहुत मेहनत कर रहे थे क्योंकि वह जानते थे कि मनुष्य का जीवन भक्ति भाव के बिना अधूरा है ।
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भक्ति आंदोलन बहुत तेजी से सफलता प्राप्त कर रहा था । भक्ति आंदोलन के प्रमुख नेता शंकराचार्य जी थे । इन्हीं के मार्गदर्शन में यह आंदोलन चलाया जा रहा था । शंकराचार्य जी के साथ कई लोग जुड़े हुए थे । लोगों को धर्म के मार्ग पर चलाने के लिए सभी मिलकर प्रयास कर रहे थे और इस प्रयास से सफलता भी मिल रही थी । हिंदू क्रांतिकारी अभियान के सबसे बड़े नेता शंकराचार्य जी एक महान ,मार्ग दर्शन दिखाने वाले एवं महान विचारक व्यक्ति थे ।
उन्होंने मानव जाति को कल्याण के लिए धर्म के रास्ते पर चलाने के लिए कार्य किए थे । इस भक्ति आंदोलन को आगे बढ़ाने के लिए शंकराचार्य जी के साथ साथ चैतन्य महाप्रभु, तुकाराम, नामदेव और जयदेव भी आगे आए थे । इन्होंने भी कई लोगों को भक्ति आंदोलन में शामिल किया था और उपदेश दिए थे कि हम सभी को भक्ति आंदोलन में भाग लेना चाहिए । हमारे जीवन को भक्ति भावना से जोड़ना चाहिए ।
जब यह भक्ति आंदोलन प्रारंभ किया गया तब कई लोगों को धर्म के रास्ते पर चलाने में सफलता मिली थी । कई लोग धर्म के रास्ते पर चल पड़े थे । आचार्य शंकराचार्य और कई ऐसे क्रांतिकारी महान पुरुषों ने भगवान राम को सर्वश्रेष्ठ राजा एवं भगवान के रूप में माना था । उन्होंने यह बताया था कि भगवान राम एक सच्चे एवं महापुरुष थे जिन्होंने अपने राज्य की सेवा की थी और जीवन को सच्चाई से बांधे रखा था ।
इस अभियान की सबसे बड़ी उपलब्धि मूर्ति पूजा को समाप्त करना था । इस अभियान के द्वारा मूर्ति पूजा को रोकना एवं सभी को भक्ति आंदोलन से जोड़ना था । इस अभियान में हमें सफलता भी प्राप्त हुई थी । रामा नंद जी भी भक्ति आंदोलन से जुड़े हुए थे । उन्होंने लोगों को कई बार उपदेश देते हुए कहा था कि राम हमारे सबसे प्रिय भगवान हैं इसलिए हम सभी को भक्ति आंदोलन से जुड़ना चाहिए ।
हमें राम भगवान के द्वारा बताए गए रास्तों को अपनाना चाहिए । रामानंद जी ने भक्ति आंदोलन के द्वारा रूढ़ीवादी कुविचार के खिलाफ आवाज उठाई थी और पुराने समय में जो गलत प्रथाएं थी उनको खत्म करने का आग्रह किया था । इस आंदोलन को आगे बढ़ाने के लिए बारवी एवं तेरहवीं शताब्दी मे संत कबीर दास ,रविदास और नामदेव जी भी सामने आए थे ।
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