महर्षि वाल्मीकि जयंती पर निबंध Valmiki jayanti essay in hindi

Valmiki jayanti essay in hindi

दोस्तों नमस्कार आज हम आपके लिए लाए हैं बाल्मीकि जयंती पर हमारे द्वारा लिखित निबंध, आप इसे पढ़ें और इस विषय पर निबंध लिखने के लिए ज्ञान अर्जित करें तो चलिए पढ़ते हैं हमारे आज के इस आर्टिकल को

Valmiki jayanti essay in hindi
Valmiki jayanti essay in hindi

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वाल्मीकि जयंती हर साल अश्विन माह की पूर्णिमा के दिन मनाई जाती है। यह जयंती काफी हर्षोल्लास के साथ मनाई जाती है यह जयंती इसलिए मनाई जाती है क्योंकि इस दिन महा ऋषि वाल्मीकि जी का जन्म हुआ था जिन्होंने रामायण नाम के ग्रंथ की रचना की थी। बाल्मीकि जयंती के दिन कई जगह पर जुलूस निकाले जाते हैं इस दिन काफी धूमधाम के साथ वाल्मीकि जयंती मनाई जाती है, तरह-तरह की यात्रा एवं झांकियां दिखा का वाल्मीकि जयंती बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाई जाती है। आजकल के इस आधुनिक युग में कई लोग इस बाल्मीकि जयंती के दिन एक दूसरे को संदेश भेजते हैं, व्हाट्सएप करते हैं और अपनी खुशी जाहिर करते हैं।

वाल्मीकि जयंती के दिन कई लोग भगवान श्री रामचंद्र जी के भजन गाते हैं, काफी खुश होते हैं एवं कई धार्मिक गीतों पर नाचगान करते है। भगवान वाल्मीकि जी श्री रामचंद्र जी के भक्त थे उन्होंने ही रामायण लिखी है जिस तरह से महर्षि वाल्मीकि एक डाकू से महर्षि बने यानी उन्होंने अपनी बुराई को त्यागकर अच्छाई अपनाई उसी तरह लोगों को भी यह सीख दी जाती हैं कि हम अपनी बुराइयों को दूर करके अपने जीवन में अच्छाई का साथ दें। इस बाल्मीकि जयंती के अवसर पर कई लोग भाषण देते हैं, भाषण सुनने के लिए दूर दूर से लोग आते है वास्तव में बाल्मीकि जयंती हर्षोल्लास के साथ मनाई जाती है।

बाल्मीकि जी जिनका पहले नाम डाकू रत्नाकर हुआ करता था वो लोगों को मरने के बाद उनका धन लूट लिया करते थे। एक दिन उन्होंने नारद मुनि को बंदी बना दिया तभी नारद मुनि ने रत्नाकर से कहा कि मैं अपना धन तुम्हें तब दूंगा जब तुम अपने परिवार से यह पूछ कर आओगे कि क्या मैं जो काम कर रहा हूं उन पाप कर्मों में तुम मेरा भागीदार बनोगे?

महाऋषि के कहने पर जब डाकू रत्नाकर अपने परिवार से पूछने गया तो उन्होंने पाप में भागीदार बनने से इनकार कर दिया तभी से डाकू रत्नाकर का हृदय परिवर्तन हो गया और वह एक ऋषि बन गए और भगवान की आराधना करने लगे।
ऐसा माना जाता है की जब रत्नाकर तपस्या कर रहे थे तब उनके शरीर को दीमको ने ढक लिया था तभी से उन्हें सभी बाल्मीकि कहने लगे थे वास्तव में बाल्मीकि जी के जीवन की कहानी काफी प्रेरणादायक है।

जब श्रीराम ने सीता मैया को वन में भेज दिया था तब बाल्मीकि जी ने ही सीता मैया को अपने आश्रम में जगह दी थी और वहां पर भगवान श्री रामचंद्र जी के पुत्र लव और कुश जन्मे थे। लव और कुश ने महर्षि वाल्मीकि जी के आश्रम में ही विद्या प्राप्त की थी।

लव और कुश महर्षि वाल्मीकि जी के ज्ञान के कारण काफी शक्तिशाली हो गए थे उन्होंने अयोध्या के कई राजकुमारों को पराजित भी कर दिया था। महर्षि वाल्मीकि जी ने रामायण नाम के ग्रंथ की रचना की जिसमें श्री रामचंद्र जी के पूरे जीवन की घटनाएं बताई गई हैं। यह ग्रंथ संस्कृत भाषा में लिखा गया है।
हम सभी को बाल्मीकि जयंती काफी हर्षोल्लास के साथ मनानी चाहिए और अपनी बुराई को दूर करके अच्छाई का साथ देना चाहिए।

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