वैशाख की चौथ माता व्रत कथा vaishakh chauth vrat katha in hindi

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दोस्तों आज हम आपके लिए लाए हैं वैशाख की चौथ माता व्रत कथा । चलिए अब हम पढ़ेंगे वैशाखी चौथ माता व्रत कथा को । वैशाख की चौथ माता व्रत कथा को सभी हिंदू धर्म की महिलाएं करती हैं । यह व्रत पूरी आस्था से किया जाता है और चौथ माता से प्रार्थना की जाती है कि वह हमारे घर पर अपनी कृपा बनाए रखें । व्रत करने के बाद सभी महिलाएं वैशाख की चौथ माता की कथा सुनती हैं । अब हम आपको वैशाखी चौथ माता की कथा सुनाने जा रहे हैं ।

वैशाख की चौथ माता की कथा – एक गांव में एक औरत रहती है उसका एक लड़का था । वह औरत चौथ माता का व्रत करती थी । औरत के आसपास रहने वाले लोग उसे पसंद नहीं करते थे । उस औरत को भला बुरा कहते रहते थे । वहां के आसपास के लोगों ने उसके लड़के को उसकी मां के बारे में भला बुरा कहा था । उस लड़के से लोगों ने कहा था कि तेरी मां अच्छा अच्छा भोजन करने के लिए यह व्रत करती है ।

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वह तुझे अच्छा खाना नहीं देती । तब वह लड़का अपनी मां के पास गया और कहा कि तुम अच्छा अच्छा खाना खाने के लिए व्रत करती हो और मुझे कुछ भी खाने के लिए नहीं देती हो । इसलिए मैं आपका यह घर छोड़ कर जा रहा हूं । तब उसकी मां ने उसको नहीं रोका और कहा कि यह तुम्हारी इच्छा है। तुम दूसरों की बातों में आ रहे हो यदि तुम दूसरों की बातों में आकर जाना चाहते हो तो चले जाओ लेकिन मेरा कहा मानो तो यह चौथ माता का आसन है इसको लेकर जाओ ।

यदि रास्ते में कहीं तुम्हारे ऊपर संकट आए तो इसे बिछा कर चौथ माता से प्रार्थना करना कि मुझे इस संकट से निकाल दो और तुम्हारा संकट दूर हो जाएगा और वह लड़का अपनी मां के घर से चला गया । वह लड़का एक गांव में पहुंचा वह गांव कुम्हारों का था । उसे बहुत जोर से प्यास लगी थी बाहर कोई व्यक्ति दिखाई नहीं दे रहा था । वह एक घर के सामने खड़ा था । वह उस घर के दरवाजे की कुंडी खटखटाने लगा लेकिन उसे किसी की आवाज नहीं आ रही थी ।

वह लड़का उस घर के अंदर चला गया था। जब वह उस घर के अंदर गया उसने देखा कि एक बुढ़िया चूल्हे पर पकवान बना रही है और रो रही है। उस लड़के ने उस बुढ़िया से पूछा कि तुम पकवान बना रही हो और रो रही हो ऐसा क्यों ? तब उस बुढ़िया ने उस लड़के से कहा कि यह कुम्हारों का गांव है यहां पर प्रतिवर्ष एक बच्चे की बलि दी जाती है ।

मेरे बच्चे को कल सुबह बली देने के लिए राजा के सैनिक लेने के लिए आएंगे इसलिए मैं अपने बच्चों को अच्छे-अच्छे पकवान खाने के लिए बना रही है । तब उस बच्चे ने कहा कि आप दुखी मत हो आप यह पकवान मुझे खिला दो और सुबह जब राजा के सैनिक आएं तब आपके लड़की की जगह मुझे उनके साथ भेज देना । उस बुढ़िया ने कहा कि मैं ऐसा नहीं कर सकती हूं।

लड़के ने जब कई बार बुढ़िया से विनती की तब जाकर वह तैयार हो गई थी । लड़के ने उस बुढ़िया से कहा कि मैं सो रहा हूं जब राजा के सैनिक आए तो मुझे जगा देना मैं उनके साथ चला जाऊंगा । जब सुबह हुई तब राजा के सैनिक आए राजा के सैनिकों की आवाज सुनकर वह लड़का उठ गया और बढ़िया से आशीर्वाद लेकर उनके साथ चला गया था । राजा को एक जगह बैठने के लिए कहा गया तब राजा ने चौथ माता का आसन निकाला और उस पर बैठ गया था । उस लड़के ने लोटे में गंगाजल लेकर अपने बगल में रख लिया था । राजा जब वहां पर आया तो उस लड़के के चारों तरफ एवं ऊपर कच्चे मटके रख दिए और उसमें आग लगा दी ।

जब आग लगाई थी तब वह लड़का चौथ माता से प्रार्थना करने लगा कि यदि मेरी माँ ने आपकी पूजा सच्चे मन से की हो तो आप मेरी जान बचा लो । चौथ माता ने उसकी पूजा स्वीकार कर ली थी । 3 दिन बात जब वहां पर कुछ बच्चे खेल रहे थे तब एक बच्चे का पत्थर कच्चे घड़े पर पड़ा तो जोर की आवाज आई थी वह बच्चे मटके के पास पहुंचे और उनको देखा तो देखकर हैरान रह गए वह सोचने लगे कि यह मटके 3 दिन में कैसे पक्के हो गए हैं।

यह बात पूरे गांव में फैल गई थी । ऐसा पहली बार हुआ था कि मटके 3 दिन में पक्के हो गए थे । जब राजा के कानों में यह बात पहुंची है तो राजा वहां पर पहुंचा और मटको को हटाने का आदेश दिया । जब राजा के सैनिकों ने मटके हटाए तब वह लड़का जिंदा वापस बाहर निकल आया था । राजा ने उस लड़के को महल में बुलवाया और उससे पूछा कि यह कैसे हुआ। तब उस लड़के ने कहा कि मैंने चौथ माता से प्रार्थना की थी कि मेरी जान बचा लो और चौथ माता की कृपा से मेरी जान बच गई थी ।

राजा ने उस लड़के का विवाह अपनी लड़की से करवा दिया था और वह लड़का राजा के महल में रहने लगा था । एक दिन जब लड़के की पत्नी ने लड़के से पूछा कि आपका परिवार कहां हैं तब लड़के ने कहा कि मेरी मां गांव में रहती है और उसने सारी कहानी बता दी। तब लड़का की पत्नी ने उससे कहा कि हमें आपकी मां के पास जाना चाहिए और उससे माफी मांगना चाहिए ।

तब लड़के ने यह निश्चय किया कि वह अपनी मां के पास अवश्य जाएगा । जब लड़का अपनी पत्नी को लेकर अपनी मां के गांव जा रहा था तब राजा ने बहुत सारा धन देकर उसको विदा किया और वह अपनी मां के पास चला गया । जब लड़का अपने गांव पहुंचा तब गांव के लोग उसकी मां के पास पहुंचे और कहा कि तुम्हारा बेटा आ रहा है उसकी मां ने किसी पर विश्वास नहीं किया और वह सोचने लगी की मेरी आंखें लड़के का इंतजार करते-करते अंधी हो गई हैं वह नहीं आया होगा ।

यह सभी मेरा मजाक उड़ा रहे हैं । जब वह लड़का अपनी पत्नी को साथ लेकर अपनी मां के पास पहुंचा तब वह लड़का अपनी मां के चरणों में गिर गया और मां से माफी मांगने लगा था । लड़के की पत्नी ने जैसे ही उसकी मां के पैर छुए उसकी आंखों की रोशनी वापस आ गई थी । वह लड़का और उसकी पत्नी अपनी मां के साथ खुशी खुशी से रहने लगे थे ।

गांव के आसपास के लोग भी यह चमत्कार देख कर चौथ माता का व्रत करने लगे थे । जो भी महिला चौथ माता का व्रत करती है एवं पूजा करती है उसके सभी संकट दूर हो जाते हैं । सभी महिलाएं इस कथा को सुनने के बाद यह प्रार्थना करती हैं कि हे चौथ माता जिस तरह के संकट उस औरत और उसके बच्चे पर आए थे ऐसे संकट किसी के घर में ना आए । सभी के घरो में सुख शांति एवं समृद्धि बनाए रखें ।

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