सोनपुर मेला का इतिहास sonpur mela history in hindi
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दोस्तों आज हम आपके लिए लाए हैं सोनपुर मेला का इतिहास एवं निबंध । चलिए अब हम पढ़ेंगे सोनपुर मेला का इतिहास एवं निबंध को ।
सोनपुर मेला का इतिहास – सोनपुर मेला बिहार में लगने वाला सबसे बड़ा मेला है । इस मेले में हाथी, घोड़े एवं कई पशु बेचे एवं खरीदे जाते हैं । बिहार का यह मेला प्रतिवर्ष कार्तिक पूर्णिमा के दिन लगता है ।यह एशिया का सबसे बड़ा मेला माना जाता है जहां पर बहुत सारे पशुओं की नीलामी की जाती है । यह मेला कई सालों पहले से ही प्रसिद्ध रहा है । इस मेले से मौर्य वंश के संस्थापक चंद्रगुप्त वीर कुंवर सिंह, मुगल सम्राट अकबर और भी कई राजा महाराजा हाथी खरीद चुके हैं । इस मेले को बहुत सुंदर सजाया जाता है ।
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यहां पर दूर-दूर से लोग घूमने के लिए आते हैं । 1803 में रॉबर्ट क्लाइव ने सोनपुर में एक अस्तबल भी बनाया था । इस मेले में पुराने समय में गुलाब बाई का जलवा देखने के लिए लोग दूर-दूर से आते थे । जब गुलाब बाई नौटंकी करती थी तब चारों तरफ तालिया ही तालियां बजती थी । पहले यह मेला हाजीपुर में लगाया जाता था । सोनपुर में सिर्फ हरिहर नाथ की पूजा की जाती थी । मुगल बादशाह, औरंगजेब ने यह मेला सोनपुर में ही लगाने का आदेश दिया था और आदेश देने के बाद यह मेला सोनपुर में लगने लगा था। इस मेले को बहुत ही सुंदर तरह से सजाया जाता है। यह मेला राजधानी पटना से 25 किलोमीटर दूर एवं हाजीपुर से 3 किलोमीटर दूर सोनपुर में लगाया जाता है ।
सोनपुर मेले पर निबंध – सोनपुर का मेला बिहार में सबसे बड़ा पशु मेला लगता है । यहां पर एशिया के बड़े-बड़े व्यापारी व्यापार करने के लिए आते हैं । यहां पर हाथी ,घोड़े एवं तरह-तरह के खिलौने बेचे जाते हैं। सोनपुर के मेले में दूर-दूर से लोग आकर हरिहर की पूजा अर्चना करने के बाद इस मेले में घूमने के लिए जाते हैं । सभी लोग इस मेले से गाय ,भैंस ,घोड़े आदि खरीदते हैं । यह माना जाता है कि जो व्यक्ति इस मेले से पशु खरीदता है उसके घर में धन की वर्षा होती है। इस मेले को देखने के लिए राजा महाराजा भी आया करते थे । मौर्य वंश के संस्थापक चंद्रगुप्त मौर्य भी इस मेले को घूमने आया करते थे । चंद्रगुप्त मौर्य जी ने यहां से हाथी खरीदा था ।
यह मेला कई सालों से लगता आ रहा है । यह मेला कार्तिक पूर्णिमा पर लगाया जाता है । यह मेला पूरे 1 महीने के लिए लगता है । इस मेले में कई सारे लोग पशु खरीद कर ले जाते हैं । इस मेले को हरिहर मेला के नाम से भी लोग जानते हैं । वहां के आसपास के क्षेत्र के लोग इस मेले को छत्तर मेला भी कहते हैं । इस मेले को लगाने से दो-तीन महीने पहले से तैयारी की जाती है ,वहां की व्यवस्थाएं की जाती हैं । बदलती हुई दुनिया के साथ-साथ इस मेले में भी हमें बदलाव देखने को मिल रहा है । आज इस मेले में ऑटो, फोर व्हीलर, मोटरसाइकिल की प्रदर्शनी लगाई जाने लगी है । इस मेले में नौटंकी नाच गाना भी देखने को मिलता है । इस मेले में झूले भी लगाए जाते हैं । यह मेला बिहार का सबसे प्रसिद्ध मेला है । इस मेले को लगाने से पहले सरकार पूरी तैयारी करती है ।
इस मेले में जो लोग घूमने के लिए आते हैं वह पशु खरीद कर अपने घर ले जाते हैं । यहां पर तरह-तरह की प्रदर्शनी भी लगाई जाती हैं । 2017 में यह मेला 2 नवंबर से 3 नवंबर तक लगाया गया था और यहां पर बहुत सारे लोग इस मेले को देखने के लिए आए थे । पहले यहां पर हाथियों को खरीदा एवं बेचा जाता था लेकिन अब हाथी सिर्फ प्रदर्शनी के लिए आते हैं । यहां पर अब इस मेले में हाथी नहीं बेचे जाते हैं । यहां पर अब घोड़े ,गाय ,बेल बेचे जाते हैं । यहां पर हर नस्ल की भैंस बेची जाती है । यह कहा जाता है कि पहले यहां पर बड़े-बड़े व्यापारी आते थे और पशुओं को खरीद कर ले जाते थे ।
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