गुड़गांव का शीतला माता मंदिर का इतिहास Sheetla mata mandir gurgaon history in hindi
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दोस्तो आज हम आपके लिए लाए हैं गुड़गांव का शीतला माता मंदिर का इतिहास । चलिए अब हम पढ़ेगे गुड़गांव का शीतला माता मंदिर के इतिहास को।
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गुड़गांव का शीतला माता मंदिर प्राचीन समय से ही प्रसिद्ध है । शीतला माता का मंदिर हरियाणा राज्य के गुड़गांव में स्थित है । कुछ लोगों का कहना है कि यह मंदिर 500 साल पुराना है । इस मंदिर से कई लोगों की आस्था जुड़ी है ।
इस मंदिर पर छोटे बच्चों का मुंडन भी किया जाता है । यह कहा जाता है कि जिस बच्चे का यहां पर मुंडन किया जाता है वह कभी भी अपने जीवन में दुखी नहीं होता है । यहां पर देश, विदेश के लोग शीतला माता रानी के दर्शन करने के लिए आते हैं । नवरात्रि के समय यहां पर मेला लगता है और दूर-दूर से लोग माता रानी के दर्शन करने एवं मेला घूमने के लिए आते हैं ।
यहां पर कई श्रद्धालु शीतला माता मंदिर के दर्शन करने के लिए आते हैं और माता रानी से अपनी मुरादें पूरी करने की विनती करते हैं । शीतला माता का मंदिर सबसे पुराना मंदिर है और यह मंदिर बहुत सुंदर दिखता है । इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि इस मंदिर पर जो भी भक्त दर्शन करने के लिए आता है उसकी मुरादे पूरी हो जाती हैं । शीतला माता को सभी पूजते हैं ।
शीतला माता को चेचक की माता, मसानी आदि नामों से भी लोग जानते हैं । यह कहा जाता है कि जब किसी को चेचक की बीमारी हो जाती है तब उस रोगी के हाथों से आटा ,चावल ,नारियल ,गुड़ आदि शीतला माता के नाम से रखवाया जाता है । ऐसा करने से चेचक का रोगी बिल्कुल ठीक हो जाता है । शीतला माता को संक्रामक रोगों से बचाने वाली देवी भी कहा जाता है।
शीतला माता को स्वच्छता की देवी भी कहा जाता है। शीतला माता मंदिर गुड़गांव का इतिहास बड़ा ही रोचक रहा है । यह कहा जाता है कि महाभारत काल में द्रोणाचार्य यहीं पर रहते थे । कौरवों और पांडवों को द्रोणाचार्य जी ने अस्त्र ,शस्त्र की विद्या यहीं पर दी थी। द्रोणाचार्य जी ने अनेक शिष्यों को अस्त्र ,शस्त्र का ज्ञान यहीं पर दिया था ।
जब महाभारत में द्रोणाचार्य वीरगति को प्राप्त हुए तब उनकी पत्नी कृपी ने द्रोणाचार्य जी की चिता पर सती होने का फैसला किया था । गांव के लोगों ने उनको बहुत समझाया था लेकिन वह नहीं समझी थी । उन्होंने यह फैसला कर लिया था कि वह द्रोणाचार्य जी की चिता पर बैठकर अपनी जान दे देंगी ।
उन्होंने चिता पर बैठने से पहले लोगों से कहा था कि जहां पर मै सती हो रही हूं वहां पर जो भी व्यक्ति आकर विनती करेगा उसको वह फल प्राप्त हो जाएगा । तभी से वहां पर लोग अपनी मुरादे लेकर जाते हैं ।
17 वी शताब्दी के राजा भरतपुर ने गुड़गांव में माता कृपी के सती स्थल पर मंदिर बनवाया था और सवा किलो सोने की मूर्ति बनवाकर वहां पर स्थापित करवाई थी । इस मूर्ति को शीतला माता का नाम दिया था तभी से सभी भक्त शीतला माता के दर्शन करने के लिए आते हैं ,पूजा पाठ करते हैं ।
यह कहा जाता है कि मुगल बादशाह ने शीतला माता के मंदिर में से मूर्ति को तालाब में फिकबा दिया था । उस समय शीतला माता ने सिंघा भगत के सपने में आकर उस को दर्शन दिए । फिर सिंघा भगत ने माता की मूर्ति बाहर निकलवाई थी ।
इस मूर्ति को पुनः मंदिर में स्थापित करवाई थी और सिंघा भगत शीतला माता की भक्ति में पूरी तरह से खो गया था । सिंघा भगत की भक्ति को देखकर गांव के लोग सिंघा भगत को पूजने लगे थे ।
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