संत नामदेव की जीवनी Sant namdev maharaj history in hindi

Sant namdev maharaj history in hindi

आज हम नामदेव महाराज जी के जीवन परिचय के बारे में जानेंगे. नामदेव महाराज ऐसे संत थे । जिन्होंने समाज के लोगों को भक्ति रंग में भिगो दिया और लोगों को भक्ति का मतलब सिखाया.

Sant namdev maharaj history in hindi
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संत नामदेव जी का जन्म 26 अक्टूबर 1227 इसवी में महाराष्ट्र के सतारा जिले के पास हुआ था । संत नामदेव जी महाराज जन्म से ही अच्छे स्वभाव के थे । उनका जीवन भक्ति भावना से भरा रहा । संत नामदेव जी महाराज को कीर्तन सुनने का बढ़ा शौक था । वह बचपन से ही भक्ति भावना में डूबे रहे और ज्ञान हासिल करके ज्ञान का प्रचार प्रसार किया ।

संत नामदेव जी के पिता का नाम दामा सेट और माता का गोणई था । संत नामदेव जी के माता पिता नामदेव जी को बहुत प्यार करते थे और अपने माता पिता से नामदेव जी को अच्छे संस्कार मिले और संत नामदेव जी जन्म से ही भक्ति में लीन रहे । उनके माता-पिता हमेशा कहते कि बच्चे कुछ काम तो करो , लेकिन नामदेव जी महाराज अपने पिता से कहते हैं कि मेरा मन काम करने में नहीं लगता , मेरा मन भक्ति करने में ही लगता है । उनके पिता भी विट्ठल जी के भक्त थे ।

नामदेव जी महाराज का विवाह रजाई (राजा बाई) से हुआ और नामदेव जी महाराज के चार पुत्र हैं जैसे नारायण, विठ्ठल ,महादेव ,और गोविंद ।

नामदेव महाराज को बचपन से ही कीर्तन सुनने और सुनाने का बड़ा शौक था । नामदेव महाराज ने विशोबा खेचर गुरु से ज्ञान प्राप्त किया और गुरु खेचर जी के द्वारा पंढरपुर से कुछ दूर महादेव के मंदिर मैं उन्होंने नामदेव जी को शिक्षा दी और ज्ञान प्राप्त कर धर्म का प्रचार किया ।

उनकी माता नामदेव जी से काम करने के लिए कहती थी ,लेकिन नामदेव जी का मन काम में नहीं लगता था और उनकी मां उनसे कहती थी , भक्ति करना कोई गलत बात नहीं है लेकिन हमें जो भूख लगती है , उस भूख को मिटाने के लिए भोजन की आवश्यकता होती है और भोजन पाने के लिए हमको कर्म करने की आवश्यकता है और जब तक कर्म हम नहीं करेंगे तो भोजन कहां से प्राप्त होगा । अब तो तुम्हारी शादी भी हो गई है , लेकिन नामदेव जी कहते हैं की , शादी तो आपने करवाई है मैं क्या करूं मेरा मन तो काम में नहीं लगता । उनकी पत्नी ने उनको काम दिलवाया लेकिन नामदेव जी उस काम को नहीं कर पाए और रामदेव जी को उस काम मैं सफलता नहीं मिल सकी ।

नामदेव जी जब भजन गाते थे तब उनका भजन सभी प्रेम से सुनते थे । जब बो भजन गाते थे तब उनके आसपास कई सारे भक्त इकट्ठे हो जाते थे । जिसको भी भजन गाकर सुनाते थे उसका मन गदगद हो जाता था । नामदेव जी जब भ्रमण पर जाते थे , तो कई सारे भक्त उनके साथ पीछे-पीछे चलते थे कई दिनों तक वह भ्रमण पर रहते थे । महाराष्ट्र में नामदेव जी का बड़ा प्रचार हुआ और सभी लोग उनको जानने लगे । महाराष्ट्र में सभी लोग उनको संत नामदेव जी के नाम से जानते थे ।

नामदेव जी पंजाब में भी कई सालों तक रहे और भजन कीर्तन गाकर लोगों को जागरूक किया और धर्म का पाठ पढ़ा कर ज्ञान दिया । पंजाब में उनको नामदेव बाबा के नाम से भी जानते थे । पंजाब में उनकी मूर्ति भी बनाई गई जो की स्मारक के रूप में जानी जाती है । नामदेव जी ने पंजाब के साथ – साथ राजस्थान में भी भ्रमण किया और ज्ञान का प्रचार किया । राजस्थान में भी नामदेव जी का मंदिर और मूर्ति बनाई गई हैं । नामदेव जी के जीवन का उद्देश्य लोगों को धर्म के मार्ग पर चलाना और अच्छे कर्मों की ओर बढ़ाना था ।

मुझे बताये की ये लेख Sant namdev maharaj history in hindi आपको कैसा लगा.

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