संकटा माता की व्रत कथा sankata mata vrat katha in hindi

sankata mata vrat katha in hindi

दोस्तों आज हम आपके लिए लाए हैं संकटा माता की व्रत कथा । चलिए अब हम पढ़ेंगे संकटा माता की व्रत कथा को ।

किसी गांव में एक बूढ़ी मां का एक पुत्र था जिसका नाम रामनाथ था । उस बुढ़िया का परिवार बहुत गरीब था । उसके बेटे का विवाह हो जाने के बाद रामनाथ की पत्नी रामनाथ को तरह-तरह के ताने देती रहती थी । अपनी पत्नी के तानों से परेशान होकर उसने यह निर्णय लिया कि मे धन कमाने के लिए विदेश में जाऊंगा और वहां से धन कमा कर लाऊंगा जिससे हमारी गरीबी दूर हो जाएगी । यह निर्णय कर वह अपनी मां का आशीर्वाद लेकर विदेश चला गया था । यहां पर रामनाथ की पत्नी रामनाथ की मां पर अत्याचार करती थी और उसको भला-बुरा कहती थी । वह बुढ़िया कुए के पास जाकर रोती रहती थी । कई दिनों तक वह कुएं के पास जाकर रोती रही. एक दिन उस कुएं में से एक माता निकली और उस बूढ़ी मां से कहने लगी कि तुम यहां पर क्यों रोती हो तुम्हें क्या कष्ट है मुझे बताओ मैं तुम्हारे कष्ट को दूर करने की कोशिश करूंगी ।

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कई बार कहने पर भी उस बुढ़िया ने मां को कुछ भी नहीं बताया था । दिए की मां ने उससे कई बार पूछा तब बुढ़िया ने कहा कि तुम मुझसे बार-बार यह क्यों पूछ रही हो यदि मैं अपना दुख तुमको बता दूं तो क्या आप मेरे दुखों को दूर कर दोगी । दिए की मां ने उस बुढ़िया से कहा कि तुम मुझे अपने कष्ट के बारे में बताओ मैं तुम्हारे कष्टों को अवश्य दूर कर दूंगी और बुढ़िया ने उससे कहा कि मेरा एक बेटा था । वह धन कमाने के लिए विदेश चला गया है और यहां पर मेरी बहू मुझे ताना मारती है ,मुझे बुरा भला कहती है । जिससे मैं यहां पर रोती हूं । तब उस दिए की मां ने उस बुढ़िया से कहा कि यहां पास के जंगल में संकटा माता का मंदिर है तुम उनकी पूजा करो और उनको अपने दुख बताओ , उनसे प्रार्थना करो कि वह तुम्हारे संकटों को दूर करें । जो भी संकटा माता की पूजा एवं व्रत करता है वह उनके सभी संकटों को दूर कर देती हैं ।

संकटा माता बहुत ही दयालु हैं वह निर्धन व्यक्तियों को धनवान बनाती हैं ,निसंतान लोगों को संतान देती हैं । वह तुम्हारे संकटों को अवश्य दूर करेंगी और बुढ़िया ने यह निर्णय लिया कि वह अवश्य संकटा माता की पूजा, व्रत करेगी । संकटा माता बुड़िया के व्रत से प्रसन्न होकर बढ़िया से कहा कि तुम्हें किस प्रकार का कस्ट है । मैं तुम्हारे संकटों को अवश्य दूर कर दूंगी । बुढ़िया ने संकटा माता को अपनी पूरी कहानी बताई और कहा कि मेरा बेटा प्रदेश में काम करने के लिए चला गया है और मेरी बहू मुझे परेशान करती है, ताना देती है । इसके कारण मैं दुखी हूं ,इसलिए मैं रोया करती हूं । संकटा माता ने उस बुढ़िया से कहा कि तुम घर जाओ और मेरी पूजा करो तुम्हारा लड़का सकुशल घर वापस आ जाएगा । मेरी पूजा करना और सुहागन स्त्रियों को अपने घर पर भोजन कराने के लिए बुलाना जब तुम ऐसा करोगी तब तुम्हारा पुत्र अवश्य तुम्हारे घर पर लौट आएगा ।

संकटा माता के अनुसार उस बुढ़िया ने व्रत किया और सुहागन कन्याओं को भोजन कराने की तैयारी में लग गई थी । जब बुढ़िया उन सुहागिनों को भोजन कराने के लिए लड्डू बना रही थी तब सात लड्डू की जगह 8 लड्डू बन गए थे तब बुढ़िया को यह बात सता रही थी ऐसा कैसे हो गया । मुझसे गिनती गिनने में गलती क्यों हो गई हैं । उसी समय संकटा माता उस बुढ़िया के पास आई और बढ़िया से कहा तुम चिंतित क्यों हो । आज तुम्हारे घर पर इतना बड़ा उत्सव है और तुम चिंतित दिखाई दे रही हो । तब बुढ़िया बोली मैंने सुहागन महिलाओं के लिए लड्डू बनाए थे मैंने वह लड्डू गिन कर बनाए थे फिर भी सात की जगह 8 लड्डू बन गए हैं यही बात मेरी चिंता का कारण है । तब संकटा माता ने कहा क्या तुमने किसी बुढ़िया को भी आमंत्रित किया है ? वह बुढ़िया कहने लगी कि मैंने तो किसी बुड़िया को आमंत्रित नहीं किया है परंतु आप कौन हो । संकटा माता ने कहा मैं वही बुढ़िया हूं मुझे भी भोजन कराओ और उस बुढ़िया ने संकटा माता को भोजन के लिए आमंत्रित कर लिया ।

वहां पर बहुत सारी सुहागन महिलाएं पहुंची और उनको लड्डू एवं मिठाई का भोजन कराया जिससे उस बुढ़िया पर संकटा माता प्रसन्न हो गई और माता ने उसके पुत्र को यह ध्यान दिलाया कि उसकी माता और पत्नी उसको याद कर रही हैं । तब वह लड़का अपनी माता और पत्नी से मिलने के लिए गांव आने के लिए तैयार हो गया था । जब बुड़िया सुहागनो को भोजन करा रही थी किसी व्यक्ति ने उस बुढ़िया से कहा की आपका लड़का आ रहा है लेकिन बुढ़िया अपने काम में लगी रही उसने कहा कि मैं भोजन करा रही हूं लड़के को वही बैठने दो मैं उसको बाद में मिलूंगी । जब उसकी बहू ने अपने पति के आने का समाचार सुना तब वह अपने पति का स्वागत करने के लिए चली गई । लड़के ने पत्नी को देखकर यह सोचा कि मेरी पत्नी मुझसे कितना प्रेम करती है जो खबर मिलते ही मुझसे मिलने के लिए आ पहुंची । परंतु मेरी मां मुझसे प्रेम नहीं करती है इसलिए वह खबर मिलने के बाद ही मुझसे मिलने के लिए नहीं आई ।

जब पूजा समाप्त हुई और बुड़िया अपने घर पहुंची और संकट माता की कृपा से उस लड़के का मन अपनी पत्नी की ओर से हट गया था और मां ने लड़के को कहा मैंने तुम्हारी घर वापसी के लिए संकटा माता का व्रत रखा था और मैं सुहागन महिलाओं को भोजन करा रही थी । वह लड़का अपनी मां से गले मिलने लगा और मां से कहने लगा कि यदि यह औरत यहां पर रहेगी तो मैं यहां पर नहीं रहूंगा तब मां ने लड़के से कहा मैंने तुझे कठिन व्रत करके प्राप्त किया है इसलिए तुझे मैं नहीं छोड़ सकती यदि तुझे अपनी पत्नी का त्याग करना है तो कर सकता है । मां ने अपनी बहू को घर से निकाल दिया और वह घर से निकलने के बाद एक पीपल के पेड़ के नीचे जाकर रोने लगी थी । जब रामनाथ की पत्नी पीपल के पेड़ के नीचे रो रही थी तब उसी समय वहां से एक राजा निकल रहा था । वह उसको रोते हुए देख कर उसके पास गया और बोला कि तुम रो क्यों रही हो तब उसने उस राजा को अपनी सारी कहानी बता दी थी तब राजा ने कहा तुम दुखी मत होना ।

मैं आज से आपको बहन मानता हूं और आप मेरे साथ चलो और वह उसके साथ चली गई थी । राजा ने अपनी रानी को पूरी कहानी बताई और रानी ने भी उसको अपनी बहन बना लिया था । इस तरह से वह राज पाठ के साथ रहने लगी थी । जब संकटा माता का दिन आया तब रामनाथ की पत्नी ने भी व्रत रखा और सुहागन ओरतो के लिए भोजन कराने के लिए लड्डू बनाए थे । वहां पर महल में कई सारी महिला भोजन करने आई थी उसने रानी को भी आमंत्रित किया था । रानी ने जब देखा कि वह सूखे लड्डू खा रही है तब उसने कहा कि तुम मावा मिठाई एवं खीर खाने वाली स्त्री आज सूखे लड्डू क्यों खा रही हो और उसने संकटा माता का अपमान कर दिया था । रानी के व्रत करने से ,पूजा पाठ ,करने से सुहागन कन्याओं को भोजन कराने से, उसके पति को अपनी पत्नी की याद आई और वह अपने पत्नी को ढूंढते ढूंढते राज महल पहुंच गया और रानी से क्षमा मांग कर उसे वापस ले जाने लगा था तब रानी ने कहा कि तुम अपने पति के साथ जा रही हो तो चली जाओ ।

रामनाथ की पत्नी ने उनसे कहा कि तुमने संकटा माता का अपमान किया है मैंने जब उनका अपमान किया था तब आपने मुझे सहारा दिया था । यदि आप पर किसी प्रकार का कोई संकट आए तो मैं आपको सहारा दूंगी । आप सभी मेरी कुटिया में आ जाना ऐसा कहकर वह वहां से चली गई । रामनाथ जब अपनी पत्नी को राजमहल से ले आया था तब उसके जाते ही महल में गरीबी छा गई उन पर भारी संकट आ गया था । तब रानी राजा से कहने लगी कि तुम कैसी बहन को घर पर आए थे वह हमें कष्टों में छोड़ कर चली गई है । रानी ने राजा से कहा कि तुम्हारी बहन जब जा रही थी तब उसने कहा था कि यदि आप पर कोई भी संकट आए तुम मेरे यहां पर आ जाना और दोनों रामनाथ के घर पर चले गए थे । रामनाथ की पत्नी ने उनसे कहा कि यह सब संकट माता का अपमान करने के कारण हुआ है यदि आप मेरी बात मानो तो संकटा माता का व्रत करो और सुहागन महिलाओं को भोजन कराओ जिससे तुम्हारे सारे दुख दूर हो जाएंगे ।

उनके कहे अनुसार राजा रानी ने ऐसा करना प्रारंभ कर दिया और कुछ दिनों तक वह संकटा माता से माफी मांगते रहे । 1 दिन की बात है कि रात में रानी के सपने में संकटा माता एक बुढ़िया का रूप धारण करके आई और उससे कहा कि तुम अपने राज्य में वापस चले जाओ और वहां पर संकटा माता की पूजा एवं व्रत करना तुम्हारे सभी कष्ट दूर हो जाएंगे । उस बुढ़िया की बात को मानकर वह दोनों अपने राज्य की ओर चले गए थे । राज्य में जाकर के वह संकट माता का व्रत करने लगे और सुहागन कन्या को भोजन कराने लगे और संकट माता ने उनको माफ कर दिया था। वह दोबारा से संकटा माता की कृपा से धनवान हो गए थे । उनकी सारी धन-संपत्ति वापस मिल चुकी थी तभी से राजा रानी संकटा माता का व्रत करने लगे थे ।

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