देवी सीता पर निबंध ESSAY ON SITA IN HINDI
ESSAY ON SITA IN HINDI
दोस्तों आज हम आपके लिए सीता देवी पर लिखा निबंध लाए हैं । चलिए अब हम सभी देवी सीता पर निबंध पढेंगे । इस निबंध को पढ़ने के बाद आप सभी सब्सक्राइब करना ना भूलें ।
हमारे भारत देश में नारियों को सम्मान दिया जाता है । हमारे देश में यह कहा जाता है कि जहां पर नारी का सम्मान होता है वहां पर धन-संपत्ति बास करती है । हमारे देश में नारी का सम्मान करने के लिए कहा गया है । हमारे देश में सीता माता को पूजा जाता है । सीता माता ने अपने धर्म को निभाया था ।
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सीता माता ने अनेकों दुख झेलने के बाद भी पतिव्रता धर्म को निभाया था । सीता माता जी मिथिला के राजा जनक की सबसे बड़ी बेटी थी । उनके पिता ने उनके विवाह के लिए स्वयंवर का कार्यक्रम रखा था और पूरे राज्य में यह घोषणा करवा दी थी कि जो राजा स्वयंवर में रखे धनुष को तोड़ेगा उसका विवाह सीता के साथ करवा दिया जाएगा । उस स्वयंवर में कई सारे राजा आए थे ।
उस स्वयंवर में रावण भी पहुंचा था । राम भगवान भी अपने गुरु के साथ उस स्वयंवर में पहुंचे थे । जब कई राजाओं ने उस धनुष को तोड़ने की कोशिश की तब धनुष को कोई भी नहीं तोड़ पाया था । उसके बाद राम भगवान ने वह चुनौती को स्वीकार किया और उस धनुष को तोड़ दिया और सीता का विवाह राम भगवान के साथ कर दिया गया था ।
विवाह के बाद राम भगवान को जब बनवास के लिए भेजा गया था तब सीता माता भी उनके साथ वन में चली गई थी । वन में जब रावण सीता माता को बंदी बनाकर ले गया था तब सीता माता रावण की लंका में बंदी बन कर रह रही थी । राम भगवान ने रावण से युद्ध किया और रावण को मार दिया था । रावण को मारने बाद जब राम भगवान सीता माता को लेकर अयोध्या वापस आए तब उस नगर के लोग कहने लगे कि सीता तो रावण साथ रह कर आई हैं और भी तरह तरह की बातें राज्य में होने लगी थी ।
नगर के लोग कहने लगे थे कि सीता को इस राज्य में नहीं रहना चाहिए । तब राम भगवान ने सीता का त्याग किया और उनको वन में जाने के लिए कह दिया था । सीता अपने पति की आज्ञा मानकर वन में जाकर रहने लगी थी । वन में सीता माता ने दो बच्चों को भी जन्म दिया था जिनका नाम लव , कुश रखा था । राम भगवान यह जानते थे कि उनकी सीता बिल्कुल पवित्र है लेकिन राज्य की प्रजा की बातों को मानने के लिए उन्होंने सीता का त्याग कर दिया था ।
सीता ने बहुत दुख झेलकर अपने बच्चों का पालन पोषण किया था । उन्होंने अपने पति के फैसले को कभी भी गलत नहीं माना था । वह अपने पति से बहुत ही प्रेम करती थी । हमारे देश में सीता को पतिव्रता के लिए जाना जाता है । हमारे देश में नारी को प्रथम दर्जा दिया गया है । भगवान से पहले माताओं का नाम लिया जाता है जैसे कि लक्ष्मी नारायण । इसमें सबसे पहले लक्ष्मी माता का नाम लिया जाता है बाद में विष्णु भगवान का नाम लिया जाता है ।
उसी प्रकार से सीताराम में भी सीता माता को पहले याद किया जाता है बाद में राम भगवान को याद किया जाता है । हमारे हिंदू धर्म के लोगों में यह मान्यता है कि नारी का सम्मान करना चाहिए । जहां नारी का सम्मान होता है वहां पर कभी भी दुख नहीं आते हैं ।
जहां पर नारी का सम्मान नहीं किया जाता है वहां पर धन-संपत्ति का वास नहीं होता है वहां पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ता है । हमारे भारत देश की सभी नारियो को भी माता सीता जी की तरह ही पतिव्रता का पालन करना चाहिए । रामायण काल के समय से ही नारी को पूजा जाता है ,नारी का सम्मान किया जाता है ।
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