April 17, 2019
अरविन्द घोष के विचार Arvind ghosh quotes in hindi
Arvind ghosh quotes in hindi
अरविंद घोष हमारे देश के महान दार्शनिक एवं एक स्वतंत्रता सेनानी थे. उन्होंने अपना पूरा जीवन देश के लिए ही जिया था. अरविंद घोष जी ने अपने जीवन में कई ऐसे कार्य किए थे जिनसे आज भी उन्हें याद किया जाता है इनका जन्म कलकत्ता में हुआ था इनके पिता एक डॉक्टर थे. अरविंद घोष जी ने कारावास की यात्नाएं भी सही थी, वो अपने देश को हर हालत में स्वतंत्र करवाना चाहते थे. उन्होंने एक आश्रम की स्थापना की थी वास्तव में उनका जीवन काफी प्रेरणादायक था चलिए पढ़ते हैं इनके कुछ अनमोल विचारों को
image source- https://en.wikipedia.org/wiki/Sri_Aurobindo
- कोई भी देश या कोई जाति अब विश्व से अलग नहीं रह सकती है
- पढ़ो लिखो, कर्म करो और जीवन में आगे बढ़ो. तुम कष्ट सहन करो केवल मातृभूमि के लिए, मां की सेवा के लिए
- जैसे सारा संसार बदल रहा है उसी तरह भारत देश को भी बदलना चाहिए
- मेरा हर एक कार्य खुद के लिए ना होकर देश के लिए ही है, मेरा एवं मेरे परिवार का हित देश के हित में ही निहित है
- तुम लोग जड़, पदार्थ, खेत मैदान और वन पर्वत को ही स्वदेश कहते हो लेकिन मैं इसे मां कहता हूं
- कोई किसी को गुण नहीं सिखा सकता, किसी अन्य के गुण जब सीखने की या लेने की भूख मन में आती है तो गुण अपने आप ही सीख लिए जाते हैं
- लोगों में सर्वथा नवीन चेतना का संचार करो, उनके अस्तित्व के रूप को बदलो जिससे पृथ्वी पर एक नए जीवन का आरंभ हो सके
- कला अति सूक्ष्म और कोमल है इसलिए अपनी गति के साथ यह मस्तिष्क को भी कोमल और सूक्ष्म बना देती है
- अब हमारे सारे कामों के लक्ष्य मातृभूमि की सेवा ही होनी चाहिए
- धन को विलास के लिए खर्च करना एक तरह से चोरी होगी, धन असहाय लोगो और जरूरतमंदों के लिए है
- ऐसा समाज किस काम का जिसमें फूट हो गयी हो और पक्ष भेद हो गए हो
- अगर तुम किसी का चरित्र जानना चाहते हो तो उसके महान कार्य को मत देखो उसके जीवन के साधारण कार्य का निरीक्षण करो
दोस्तों हमें बताएं कि महरिशी अरविंद घोष के अनमोल वचन Arvind ghosh quotes in hindi आप सभी को कैसे लगे इसी तरह के नए-नए बेहतरीन आर्टिकल को पढ़ने के लिए हमें सब्सक्राइब करना ना भूलें जिससे नई नई जानकारी आपको मिलती रहेंगी.
One Comment
जीवन में काम आने वाली बहुत अच्छी बातों को आपने बहुत अच्छे तरीके से बताया इसके लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद !